82 फीसद पत्रकार बोले, पक्षपातपूर्ण रही पश्चिमी मीडिया की रिपोर्टिंग
आइआइएमसी के महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने बताया कि संस्थान के आउटरीच विभाग की ओर से यह सर्वेक्षण जून 2021 में किया गया था। इसमें देश भर से कुल 529 पत्रकारों मीडिया शिक्षकों और मीडिया स्कालर ने हिस्सा लिया।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान (Delhi based Indian Institute of Mass Communication) की ओर से किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, 82 फीसद भारतीय मीडियाकर्मियों की राय में पश्चिमी मीडिया की कोरोना काल के दौरान भारत में महामारी की रिपोर्टिग पक्षपातपूर्ण रही। 69 प्रतिशत मीडियाकर्मियों का मानना है कि इस कवरेज से विश्व स्तर पर भारत की छवि धूमिल हुई है। वहीं, 56 फीसद का कहना है कि ऐसी कवरेज से विदेश में बसे प्रवासी भारतीयों की भारत के प्रति नकारात्मक राय बनी है।
आइआइएमसी के महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने बताया कि संस्थान के आउटरीच विभाग की ओर से यह सर्वेक्षण जून 2021 में किया गया था। इसमें देश भर से कुल 529 पत्रकारों, मीडिया शिक्षकों और मीडिया स्कालर ने हिस्सा लिया। सर्वेक्षण में शामिल 60 फीसद मीडियाकर्मियों का मानना है कि पश्चिमी मीडिया ने पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब करने का प्रयास किया है।
सर्वेक्षण में यह भी समझने की कोशिश की गई कि महामारी के दौरान पश्चिमी मीडिया में भारत के विरुद्ध यह नकारात्मक अभियान वास्तव में कब शुरू हुआ। इसके जवाब में 38 फीसद लोगों ने कहा कि यह अभियान दूसरी लहर के दौरान उस समय शुरू हुआ जब भारत महामारी से लड़ने में व्यस्त था, जबकि 25 फीसद मीडियाकर्मियों का मानना है कि यह पहली लहर के साथ ही शुरू हो गया था।
वहीं 21 फीसद का मानना है कि भारत के खिलाफ नकारात्मक अभियान तब शुरू हुआ जब भारत ने कोरोना रोधी वैक्सीन के परीक्षण की घोषणा की। सर्वेक्षण में एक रोचक तथ्य यह भी सामने आया कि 63 फीसद लोगों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब करने वाली पश्चिमी मीडिया की नकारात्मक खबरों को इंटरनेट मीडिया पर साझा नहीं की।