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प्रदूषण के खिलाफ जंग लग रहे दो राज्‍यों के 4500 गांवों के किसान

इस बार पंजाब हरियाणा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उत्तर प्रदेश के किसानों को पराली प्रबंधन से जुड़ी जानकारियां और मशीनें मुहैया कराई गई हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 12 Oct 2019 03:20 PM (IST)Updated: Sat, 12 Oct 2019 03:31 PM (IST)
प्रदूषण के खिलाफ जंग लग रहे दो राज्‍यों के 4500 गांवों के किसान
प्रदूषण के खिलाफ जंग लग रहे दो राज्‍यों के 4500 गांवों के किसान

नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस साल पराली जलाने की घटनाएं और कम होंगी। इस बार पंजाब, हरियाणा, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उत्तर प्रदेश के किसानों को पराली प्रबंधन से जुड़ी जानकारियां और मशीनें मुहैया कराई गई हैं। इन राज्यों में पिछले दो वर्षो में पराली प्रबंधन से संबधित मशीनें रियायती दरों पर बेची गई अथवा किराए पर मुहैया कराई गई हैं।

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कई योजनाओं की वजह से पराली जलाने की घटनाएं हुईं कम

तोमर ने कहा कि पिछले साल शुरू की गई योजनाओं के चलते पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। इस बार इसमें और कमी आने की संभावना है। कृषि मंत्री ने यहां एक समारोह से इतर पत्रकारों से बातचीत की। दरअसल, पराली से जुड़ी योजनाओं के संचालन का दायित्व इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आइसीएआर) के 60 कृषि विज्ञान केंद्रों के मार्फत किया गया। इनमें से 22 कृषि विज्ञान केंद्र पंजाब, 14 हरियाणा, एक दिल्ली और 23 उत्तर प्रदेश के हैं। ऐसे केंद्रों के माध्यम से योजनाओं का लाभ यहां के किसानों तक पहुंचाया गया।

मशीनरी खरीदने के लिए केंद्र ने दिया धन

मौजूदा साल में केंद्र सरकार ने 273.80 करोड़ रुपये पंजाब को दिए, जबकि हरियाणा को 192.29 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई। उत्तर प्रदेश के किसानों को 105.29 करोड़ रुपये दिए गए। वर्ष 2018-19 में भी केंद्र सरकार ने तीनों राज्यों को कृषि मशीनरी की खरीद के लिए धन मुहैया कराया था।

4500 गांवों ने खुद को पराली जलाने से मुक्‍त घोषित

अधिकृत आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2018 में पंजाब और हरियाणा के 4500 गांवों ने खुद को पराली जलाने से मुक्त घोषित कर दिया है। इन गांवों में अब तक पराली जलाने की एक भी घटना नहीं हुई है। केंद्रीय कृषि मंत्रलय की ओर से इस योजना से अलग भी कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं, जिससे पराली जलाने पर रोक लगाई जा सके। एग्रीकल्चरल मेकेनाइजेशन सब मिशन के तहत प्रति हेक्टेयर 4000 रुपये की मदद मुहैया कराई गई है। इसका असर भी इस बार दिख रहा है।

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