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34वां अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला: 9 दिनों में 10 लाख लोगों ने किया दीदार

मेले के इन 9 दिनों में पर्यटकों की संख्या दस लाख को पार कर गई है। रविवार को भारी भीड़ के चलते सभी पार्किंग फुल हो गई

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 06:45 PM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 07:21 PM (IST)
34वां अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला: 9 दिनों में 10 लाख लोगों ने किया दीदार
34वां अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला: 9 दिनों में 10 लाख लोगों ने किया दीदार

फरीदाबाद, जागरण संवाददाता। अरावली की पहाड़ियों की मनमोहक छटा के बीच चल रहे 34वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में दूसरे रविवार को एक लाख 75 हजार से अधिक पहुंचे दर्शकों ने खूब आनंद लिया। मेले के इन 9 दिनों में पर्यटकों की संख्या दस लाख को पार कर गई है। रविवार को भारी भीड़ के चलते सभी पार्किंग फुल हो गई थी जिधर देखो मेला परिसर में भारी भीड़ नजर आ रही थी। रविवार को अवकाश होने के चलते मेले में आने वाले दर्शकों की संख्या अधिक थी।

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सुबह 12 बजे ही पार्किंग फुल

सुबह 12 बजे तक सभी पार्किंग स्थल फुल हो गए थे। बाहर सड़कों पर भी दूर-दूर तक वाहन रेंगरेंग कर चल रहे थे। मौके पर यातायात पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। दिल्ली-गुरुग्राम जाने वाली सड़कों पर भी वाहनों की लंबी लाइन लगी हुई थी। पुलिस के जवान सादी वर्दी में मेला परिसर में घूम रहे थे। भीड़ के चलते जेबकतरे भी सक्रिय हो जाते हैं। इसलिए पुलिस ऐसे बदमाशों पर नजर रखे हुए थी।

दर्शकों की भीड़ से शिल्पियों की कमी हुई पूरी

रविवार को पहुंची दर्शकों की अपार भीड़ ने शिल्पियों के चेहरों को भी खिली धूप की तरह खिला दिया। लोगों ने मेले में जमकर खरीदारी भी की। हस्तशिल्पी हुसैन ने कहा कि शनिवार से पहले तक स्टॉल खरीदारी के लिहाज से सूने थे, पर लगातार दो दिन दर्शकों के जुटने से अब तक की कमी पूरी होती दिख रही है। कश्मीर से आए शॉल और सूट लेकर आए जावेद अहमद ने कहा कि अब मेला सोपान पर पहुंच रहा है और लोग खरीदारी भी कर रहे हैं।

पर्यटकों ने की जमकर मस्ती

मेले में भारी भीड़ के बावजूद पर्यटक पूरा मजा लेते नजर आए। फूड कोर्ट पर पर्यटकों ने विभिन्न व्यंजनों का स्वाद रखा। यहां राजस्थानी स्टॉल, गोहाना की जलेबी, बिहार के लिट्टी चौखा के स्टालों पर तो लोग काफी देर तक इंतजार करते हुए दिखाई दिए। छोटी चौपाल के साथ-साथ डीजे के धुन पर भी युवा जमकर थिरके। बंचारी और बीन वादक भी मेले का समां बांध रहे थे। यहां आने वाले युवा व बच्चे थकावट के बावजूद थिरकने से अपने आपको नहीं रोक पाए।

बच्चों के साथ-साथ बड़े भी बड़ी चौपाल के साथ बने सेल्फी प्वाइंट पर दिनभर फोटों खिचवाते नजर आए। मेले में आए पयर्टक देसी व विदेशी कलाकारों की ताल में ताल मिला कर डांस कर रहे थे। कोई बीन की धुन पर तो कोई ढोल की थाप में नृत्य कर रहा था। प्रदेश की परंपरागत कलाओं के रंगों व फिल्मी धुनों पर स्कूली छात्रों ने जमकर मस्ती की। सूरजकुंड मेले में न केवल प्राचीन हस्तलिपी कला, संस्कृति का ज्ञान मिलता है बल्कि मेले में मस्ती का साथ सीखने का बहुत मिलता है।

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