Move to Jagran APP

दिल्ली में टला सूरत जैसा हादसा, परीक्षा केंद्र में आग से फंसी 300 छात्राएं; सामने आई बड़ी लापरवाही

घटना के बाद अभिभावकों में रोष भी देखा गया। अभिभावकों ने कहा कि यहां पर मानकों का पालन नहीं किया गया है। आग लगने के बाद भी प्रवेश द्वार को नहीं खोला गया।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 08:16 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 08:16 AM (IST)
दिल्ली में टला सूरत जैसा हादसा, परीक्षा केंद्र में आग से फंसी 300 छात्राएं; सामने आई बड़ी लापरवाही
दिल्ली में टला सूरत जैसा हादसा, परीक्षा केंद्र में आग से फंसी 300 छात्राएं; सामने आई बड़ी लापरवाही

नई दिल्ली, जेएनएन/एएनआइ। दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi Universtiy) में बीएलएड (बैचलर ऑफ एलिमेंट्री एजूकेशन) कोर्स में दाखिले के लिए ओल्ड पालम रोड स्थित परीक्षा केंद्र में ऑनलाइन टेस्ट के दौरान आग लग गई। केंद्र के इलेक्ट्रिक पैनल में आग लगते ही चारों तरफ धुआं फैल गया। प्रथमदृष्टया शार्ट सर्किट से आग लगने की बात कही जा रही है। इससे अफरा-तफरी का माहौल बन गया। परीक्षा केंद्र के बाहर खड़े अभिभावक छात्रओं को देखने केंद्र के ऊपरी फ्लोर पर पहुंचे और उन्हें लेकर नीचे की ओर भागे। केंद्र में प्रवेश और निकास के लिए एक ही रास्ता होने के कारण छात्राओं और अभिभावकों को काफी दिक्कत हुई। अग्निशमन की छह गाड़ियां मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया। केंद्र पर करीब तीन सौ छात्राएं ऑनलाइन परीक्षा देने के लिए पहुंची थी।

loksabha election banner

ओल्ड पालम रोड स्थित परीक्षा केंद्र पर रविवार दोपहर 12 बजे से ऑनलाइन परीक्षा शुरू होने वाली थी। केंद्र के तीनों फ्लोर पर 11 बजे सभी छात्रएं अपने-अपने स्थान पर बैठ गई थीं और इंस्ट्रक्शन पढ़ रही थीं। 11.29 बजे ग्राउंड फ्लोर में इलेक्ट्रिक पैनल में अचानक आग लग गई और ग्राउंड फ्लोर के साथ ऊपरी मंजिल पर भी धुआं फैल गया। सभी छात्राएं इधर-उधर भागने लगीं। इसी दौरान बिल्डिंग के प्रथम तल पर किसी ने प्रवेश द्वार बंद कर दिया जिससे छात्राएं बाहर नहीं निकल पा रही थी। इस पर अभिभावक ऊपर पहुंचे और प्रवेश द्वार को तोड़ने की कोशिश करने लगे। किसी तरह दरवाजा खोला गया और छात्राओं को बाहर निकाला गया।

वहीं सेंटर के कर्मचारियों ने अग्निशमन यंत्र की मदद से इलेक्ट्रिक पैनल में लगी आग को बुझाने की कोशिश की। इस दौरान सूचना पर अग्निशमन विभाग व आपदा प्रबंधन की टीम मौके पर पहुंची और छात्राओं को नीचे उतारा गया। छात्राओं ने बताया कि धुआं भरने से सांस लेने में भी दिक्कत आ रही थी। कुछ छात्राएं तो इतनी डरी हुई थी कि वे सीढ़ी से नीचे भी नहीं आ रही थी।

अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मौके पर छह फायर टेंडर को भेजा गया था। सभी छात्राओं को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। घटना के बाद अभिभावकों में रोष भी देखा गया। अभिभावकों ने कहा कि यहां पर मानकों का पालन नहीं किया गया है। आग लगने के बाद भी प्रवेश द्वार को नहीं खोला गया। यहां तक कि सीढ़ी पर लगे गेट को भी बंद करने की कोशिश की गई, लेकिन हमने उसे बंद नहीं होने दिया।

देर से शुरू हुई परीक्षा

घटना के बाद छात्राएं बहुत डरी हुई थीं। सभी नीचे आ गई थी। अपने अभिभावकों से मिलकर उनकी जान में जान आई। आधे घंटे बाद अधिकारियों ने फिर से परीक्षा की अनुमति दी, तब भी छात्राएं ऊपर जाने से घबरा रहीं थी। घटना के कारण परीक्षा 45 मिनट देरी से शुरू हुई।

घटना के बाद कई छात्रएं चली गईं घर

मौके पर मौजूद अभिभावकों ने बताया कि घटना से करीब दस छात्राएं इतना डर गई थीं कि वे बिना परीक्षा दिए ही घर चली गईं। डीयू को उन जगहों पर ही परीक्षा का आयोजन करना चाहिए जो मानकों के अनुरूप बने हों। यही हादसा अगर कहीं बिकराल रूप ले लेता तो क्या होता।

अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिस समय आग लगी, उस वक्त सैकड़ों छात्रएं और कर्मचारी  बिल्डिंग में मौजूद थे। घटना के बाद अग्निशमन विभाग की टीम पहुंची और करीब दो सौ लोगों को एयर लिफ्ट से नीचे उतारा गया। घटना के बाद पचास से साठ लोग सीढ़ी के सहारे बाहर निकलने में सफल रहे। सीढ़ी के पास ही आग लगने के कारण एयर लिफ्ट के सहारे नीचे उतारना ही सबसे ज्यादा सुरक्षित था। हालांकि, आधे घंटे बाद सब कुछ सामान्य हो गया और पूरी बिल्डिंग की जांच करने के बाद दोबारा से परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी गई।

मिली खामियां

आग लगने की घटना के बाद मौके पर पहुंचे दक्षिणी पश्चिमी जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों ने इमारत में कई खामियां पाई। किसी भी व्यावसायिक कार्य के लिए अग्निशमन विभाग से एनओसी लेनी जरूरी है, लेकिन यहां ऐसा नहीं किया गया। डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट ऑफीसर विनोद भारद्वाज ने बताया कि यहां जबरदस्त लापरवाही नजर आई है। इमारत में कोई आपातकालीन द्वार नहीं है। साथ ही घटना के बाद मुख्य निकास द्वार को भी नहीं खोला गया, इससे छात्राओं व अभिभावकों को काफी परेशानी हुई। साथ ही इमारत की प्रथम, द्वितीय व तृतीय तल पर आग से निपटने के लिए कोई इंतजाम नहीं थे। ऐसे में आग अगर ऊपरी तल पर जाती तो बड़ा हादसा हो सकता था। उन्होंने बताया कि इसके अलावा बिल्डिंग में पानी के टैंक भी नहीं नजर आए। उन्होंने कहा कि दक्षिणी पश्चिमी जिला उपायुक्त राहुल सिंह ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और हमें रिपोर्ट बनाने को कहा है। इसके आधार पर नोटिस भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि यहां पर कई ऐसे केंद्र चल रहे हैं, जिसमें अनियमितताएं हैं। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण इलाके के ऐसे सेंटरों का निरीक्षण करेगा और जहां-जहां खामी मिलेगी, उस पर कार्रवाई की जाएगी।

करीब दो घंटे तक मौके पर की जांच

आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बचाव कार्य के बाद करीब दो घंटे तक बिल्डिंग का निरीक्षण किया और इसमें मिली खामियों को नोट किया। इस घटना से पहले जनकपुरी इलाके में भी एक घटना हुई थी, जहां एक हॉस्टल के इलेक्ट्रिक पैनल में आग लग गई थी। यह इस इलाके की लगातार दूसरी घटना है।

कई लोग गिरे भी,  अभिभावकों ने कहा, याद आ गया सूरत हादसा

परीक्षा केंद्र पर आग लगने के बाद चारो तरफ अफरा-तफरी थी। एक साथ सैकड़ों अभिभावक सेंटर के ऊपरी तल पर जाने लगे। इस दौरान कई लोग गिर भी गए। अभिभावकों ने कहा कि जैसे ही आग लगी, हमारे जेहन में सूरत हादसे की तस्वीर उभरने लगी। हर कोई अपने बच्चे को देखने के पहली, दूसरी और तीसरी मंजिल की ओर भागा। बच्चों के चेहरे पर भी दहशत व्याप्त थी। कई छात्राएं तो इतना डर गई कि बोल ही नहीं पा रही थीं।

दिल्ली-NCR की ताजा खबरों को पढ़ने के लिए यहां पर करें क्लिक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.