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Delhi News: लकवा पीड़ित के यूरिनरी ब्लेडर से निकाले 500 ग्राम के 16 पत्थर

Delhi News इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (आइएसआइसी) के डाक्टरों ने लकवाग्रस्त व्यक्ति के मूत्राशय से 500 ग्राम वजन के 16 पत्थरों को निकालकर कीर्तिमान स्थापित किया है। 29 वर्षीय मध्य प्रदेश के मुरैना निवासी दीपक आइएसआइसी में रिहैबिलिटेशन के लिए आए थे।

By Geetarjun GautamEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 03:25 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 03:25 PM (IST)
Delhi News: लकवा पीड़ित के यूरिनरी ब्लेडर से निकाले 500 ग्राम के 16 पत्थर
लकवा पीड़ित के यूरिनरी ब्लेडर से निकाले 500 ग्राम के 16 पत्थर

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (आइएसआइसी) के डाक्टरों ने लकवाग्रस्त व्यक्ति के मूत्राशय से 500 ग्राम वजन के 16 पत्थरों को निकालकर कीर्तिमान स्थापित किया है। 29 वर्षीय मध्य प्रदेश के मुरैना निवासी दीपक आइएसआइसी में रिहैबिलिटेशन के लिए आए थे।

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इसी दौरान जांच में उन्हें इस बीमारी का पता चला। दो साल पहले ऊंचाई से गिरने से दीपक की रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई थी। उनका आइएसआइसी में इलाज चल रहा था। उन्हें रिहैबिलिटेशन के उद्देश्य से डा. एचएस छाबड़ा को रेफर किया गया।

आइएसआइसी के वरिष्ठ डा. प्रशांत जैन ने बताया कि लकवाग्रस्त सभी मरीजों में लोअर यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होते हैं। इससे मूत्राशय और आंत्र प्रभावित होती हैं। पीड़ित का मूत्राशय ठीक से काम नहीं कर रहा था। जब उनकी जांच की गई तो उनके मूत्राशय में कई पत्थर थे, जो धीरे-धीरे बढ़ रहे थे।

सीटी स्कैन में मूत्राशय में कम से कम 16 पत्थरों के होने का पता चला।उन्होंने बताया कि पीड़ित का इलाज ओपन सिस्टोलिथोटामी प्रक्रिया से किया गया। इस प्रक्रिया में डाक्टरों ने मूत्राशय में छोटे से छेद के माध्यम से पत्थरों को निकाला। यह छेद सुप्राप्यूबिक एरिया में बनाया गया था।

सभी पत्थरों को एक बार में हटा दिया गया और फिर मूत्राशय और घाव का इलाज किया गया। मरीज अब पूरी तरह से ठीक है। उन्होंने बताया कि न्यूरोजेनिक ब्लैडर आंतरिक या बाहरी ट्रामा, बीमारी या चोट से उत्पन्न होने वाले न्युरोलाजी संबंधी डिसफंक्शन के कारण मूत्राशय में होने वाली खराबी को कहते हैं।

लकवाग्रस्त मरीजों में यह आम बात है। न्यूरोजेनिक ब्लैडर यूरिन को पत्थर में बदलते हैं और यूरिन को खाली नहीं करते हैं। इसलिए यूरिन का कुछ भाग धीरे-धीरे मूत्राशय में जमा होने लगता है, जिससे मूत्राशय में ठोस पत्थर सा बन जाता है। इसलिए मूत्राशय का इन्फेक्शन, पथरी व अन्य इन्फेक्शन न्यूरोजेनिक ब्लैडर में ज्यादा देखने को मिलते हैं।


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