सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, 148 साल पुराने पटाखा बाजार में लौटी रौनक, दुकानदार खुश
दुकानदार अब इस दिवाली में दो सालों से बचे स्टॉक को निकालने की कोशिश में हैं। इसलिए पटाखों के दाम न बढ़ाने के साथ आकर्षक ऑफर की घोषणा पर भी विचार कर रहे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिलने से राष्ट्रीय राजधानी के 148 वर्ष पुराने पटाखा मार्केट में रौनक लौट आई है। सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर पटाखे जलाने व बेचने की सशर्त अनुमति दी है। फैसला आने के कुछ घंटे बाद ही जामा मस्जिद के पीछे स्थित पाईवालान में पटाखों की बिक्री में 30 से 40 फीसद का इजाफा हुआ है।
1870 से हो रही है पटाखों की बिक्री
यहां वर्ष 1870 से पटाखों की बिक्री हो रही है। पिछले वर्ष प्रतिबंध से इस बाजार में वीरानी छा गई थी। दुकानदार अब इस दिवाली में दो सालों से बचे स्टॉक को निकालने की कोशिश में हैं। इसलिए पटाखों के दाम न बढ़ाने के साथ आकर्षक ऑफर की घोषणा पर भी विचार कर रहे हैं।
100 साल से पुरानी हैं दुकानें
पाईवालान में थोक पटाखा बिक्री की कुल 9 दुकानें हैं। जिनमें से कई 100 वर्ष से अधिक पुरानी हैं। 143 वर्ष पुरानी दुकान मजेस्टिक फायर वर्क्स के छठवीं पीढ़ी के मालिक महेश्वर दयाल श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि दो साल हम जैसे दुकानदारों के लिए काफी तकलीफदेह रहा है।
कई माह पहले शुरू हो जाती हैं तैयारियां
सुप्रीम कोर्ट ने कम प्रदूषण वाले पटाखे बेचने के निर्देश दिए हैं, लेकिन एक पटाखा दुकानदार के मुताबिक यह ज्यादा व्यावहारिक नहीं है। पटाखों की बिक्री की तैयारियां कई माह पहले शुरू हो जाती हैं। मुख्य रूप से तमिलनाडु के शिव काशी से पटाखा आता है। जिसकी बुकिंग मार्च-अप्रैल माह में ही हो जाती है। वहां से दिवाली के एक माह पहले पटाखों की खेप दिल्ली के नजदीक हरियाणा व उत्तर प्रदेश के गोदामों में पहुंच जाती है। अब दिवाली में कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में अगर अब ऑर्डर दिए गए तो पटाखों की अगली खेप त्योहार के बाद ही आएगी।
दिवाली पर होती है 80 फीसद पटाखों की बिक्री
पटाखा विक्रेताओं के लिए दिवाली का पर्व अहम है, क्योंकि इस एक दिन की बिक्री पूरे वर्ष की बिक्री के 80 फीसद के बराबर है। वर्ष 2016 में दिवाली के तत्काल बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी थी। 10 माह के प्रतिबंध के बाद वर्ष 2017 में दिवाली से एक माह पहले बिक्री पर छूट तो दी गई, लेकिन त्योहार से ठीक पहले फिर से प्रतिबंध लगा दिया गया।