NDMC: संपत्तिकर न देने पर 138 बैंक खाते और 83 संपत्तियां कुर्क, 10 करोड़ से ज्यादा था बकाया
निगम के करीब 4.50 लाख संपत्तिकरदाता हैं जो नियमित हर वर्ष संपत्तिकर जमा करते हैं। इससे निगम को संपत्तिकर में 600 करोड़ तक का राजस्व आता है। 25 नंवबर तक निगम 388.55 करोड़ रुपये संपत्तिकर वसूल चुका है।
नई दिल्ली [निहाल सिंह]। खराब आर्थिक हालत को देखते हुए उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने आय बढ़ाने के लिए सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसके लिए निगम अपने आय के स्त्रोतों को ही दुरुस्त कर रहा है। इसके तहत निगम के संपत्तिकर विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। निगम ने बकाया संपत्तिकर न देने पर 138 बैंक खातों और 83 संपत्तियों को कुर्क कर दिया है। निगम के विभिन्न इलाकों में यह संपत्तियां हैं। इन संपत्तियों पर करीब 10 करोड़ से ज्यादा का संपत्तिकर बकाया था।
निगम लगातार इन संपत्ति मालिकों नोटिस दे रहा था बावजूद इसके यह लोग संपत्तिकर जमा नहीं कर रहे थे। इसके बाद निगम ने सख्ती से कदम उठाते हुए यह कार्रवाई की है। निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निगम के पास राजस्व बढ़ाने के सीमित साधन हैं। संपत्तिकर के साथ ही निगम पार्किंग और विज्ञापन से आय बढ़ा सकता है। कोरोना के चलते निगम को पार्किंग से ज्यादा राजस्व की उम्मीद नहीं हैं। अगर इस दिशा में अगर काम भी किया गया तो इसके परिणाम एक दो वर्षों में ही आएंगे। इसलिए निगम अपने संपत्तिकर विभाग से आने वाले राजस्व को सुधारने की कोशिश में लगा है।
कोरोना संकट होने के बाद भी निगम 94 फीसद तक संपत्तिकर पिछले वर्ष की तुलना में वसूल चुका है। जो लोग संपत्तिकर नहीं दे रहे हैं उनके संपत्तियों के बैंक खाते अटैच करने से लेकर संपत्तियों के कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। एक अप्रैस से लेकर 24 नंवबर के बीच निगम ने 138 बैंक खातों और 83 संपत्तियों को कुर्क कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि निगम के करीब 4.50 लाख संपत्तिकरदाता हैं जो नियमित हर वर्ष संपत्तिकर जमा करते हैं। इससे निगम को संपत्तिकर में 600 करोड़ तक का राजस्व आता है। 25 नंवबर तक निगम 388.55 करोड़ रुपये संपत्तिकर वसूल चुका है।
नई संपत्तियों की दायरे में लाने की कोशिश
निगम के मुताबिक संपत्तिकर से राजस्व बढ़ाने में नई विशिष्ठ संपत्तियों की पहचान की जा रही है। इसके तहत निगम अब तक 1500 नई विशिष्ठ संपत्तियों की पहचान कर चुका है। इससे निगम को 2.72 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है। निगम व्यावसायिक क्षेत्रों में ऐसी संपत्तियों की पहचान में जुटा है जहां से राजस्व आ सकता है।
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