कोविड अस्पताल का प्रत्येक वार्ड गलवन के बलिदानियों के नाम
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गौतम कुमार मिश्रा, पश्चिमी दिल्ली
एक हजार बिस्तरों वाला सरदार वल्लभ भाई पटेल कोविड अस्पताल गलवन घाटी के बलिदानियों की खूब याद दिलाता है। अस्पताल परिसर में प्रवेश करते ही गलवन के सभी बलिदानियों के नाम व उनके चित्र बड़े बोर्ड में जगह-जगह लगे नजर आते हैं। अस्पताल का प्रत्येक वार्ड गलवन के बलिदानियों के नाम पर रखा गया है। अस्पताल की आईसीयू को शहीद कर्नल बी संतोष बाबू वार्ड का नाम दिया गया है। इसके अलावा अन्य तीन वार्ड शहीद नायब सूबेदार मंदीप सिंह, शहीद नायब सूबेदार सतनाम सिंह, शहीद नायब सूबेदार नुदुराम सोरेन के नाम पर रखे गए हैं।
रक्षा अनुसंधान अनुसंधान एवं विकास संगठन के अधिकारियों ने बताया कि यह अस्पताल एक ओर जहां बलिदानियों के प्रति हमारे सम्मान को दर्शाता है, तो वहीं दूसरी ओर कोरोना के खिलाफ हमारे मजबूत इरादे को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि अस्पताल के यहां जमीन हमें 23 जून को सौंपी गई थी। यह जगह उजाड़ था। ऐसे जगह में डिजाइन तैयार करने से लेकर मजबूत ढांचे में बंधे हैंगर को खड़ा करना एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन बड़ी से बड़ी चुनौतियों को पार करना हमारे संस्कृति की खासियत है। हैंगर के कोने-कोने में ऑक्सीजन का समुचित प्रवाह बना रहे, इसके लिए यहां कई इंतजाम किये गए हैं। परिसर में ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए एक बड़ा क्रायोजेनिक मेडिकल ऑक्सीजन टैंक लगा है। यहां ऑक्सीजन को तरल रूप में रखा जाता है। सभी हैंगर वातानुकूलित हैं, जहां स्वच्छ हवा के प्रवाह के लिए बड़े-बड़े पाइप लगाए गए हैं। हवा का प्रवाह सतत बना रहे, इस दिशा में खास ध्यान रखा गया है। ताकि संक्रमण से सभी सुरक्षित रहें। हैंगर में केबिन बने हैं। एक केबिन में दो मरीजों के लिए बिस्तर का इंतजाम है। परिसर में बना अवजल शोधक संयंत्र भी अत्याधुनिक है, जो यहां से निकले सीवेज को उपचारित करेगा। यहां कई तरह के स्वचालित यंत्र हैं, जिनकी मदद से मरीजों को कम से कम स्पर्श करने की जरूरत होगी। पूरा परिसर वाई-फाई की सुविधा से लैस है। यहां अस्पताल पूरी तरह निश्शुल्क है। इस अस्पताल को सेना के अन्य अस्पतालों के साथ जोड़ा गया है, ताकि जरूरत पड़ने पर सभी एकीकृत तरीके से कार्य कर सकें।