व्यवस्था में खामी से बिगड़ रहा डॉक्टर और मरीज का रिश्ता
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : अस्पतालों में डॉक्टरों और मरीजों के बीच बढ़ती मारपीट की घटनाओं के मद्देनजर
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : अस्पतालों में डॉक्टरों और मरीजों के बीच बढ़ती मारपीट की घटनाओं के मद्देनजर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने पहली बार डॉक्टर और मरीजों के बीच रिश्तों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी को उपराज्यपाल अनिल बैजल, भारतीय चिकित्सा परिषद की अध्यक्ष डॉ. जयश्री मेहता, आइएमए के अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेडकर सहित कई डॉक्टरों ने संबोधित किया। इस दौरान यह बात निकालकर सामने आई कि व्यवस्था में खामी के कारण भी मरीजों और डॉक्टरों के बीच मारपीट की घटनाएं बढ़ रही हैं। ऐसी घटनाओं के लिए मरीजों और तीमारदारों में आक्रोश और सुविधाओं में कमी दोनों जिम्मेदार हैं।
एलजी ने कहा कि मानवता की सेवा करने में चिकित्सा पेशा शीर्ष पर है, लेकिन स्मार्ट फोन के बढ़ते इस्तेमाल के साथ ही मरीज भी काफी जागरूक हुए हैं। उन्होंने डॉक्टरों और मरीजों के बीच मारपीट के लिए युवा पीढ़ी में क्रोध व गुस्से को बड़ा कारण बताया। हाल ही में हुए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि देश में डॉक्टर मरीजों की जांच व चिकित्सकीय परामर्श देने में दो मिनट से भी कम समय देते हैं। इतने कम समय में डॉक्टर और मरीज के बीच सार्थक संबंध नहीं बन सकते हैं।
उन्होंने कहा कि अस्पतालों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों के अनुसार पर्याप्त संख्या में डॉक्टर नहीं हैं। इस कारण डॉक्टरों पर कार्य का दबाव है। इन समस्याओं को हल करने की जरूरत है। यह बताने की जरूरत है कि समाज में ¨हसा के लिए कोई जगह नहीं है। मरीजों व उनके तीमारदारों द्वारा डॉक्टरों को धमकाने को किसी भी रूप में सही नहीं ठहराया जा सकता है। वहीं, डॉ. रवि वानखेडकर ने कहा कि आइएमए एक जुलाई से देशभर में शून्य सहनशीलता अभियान शुरू करेगा।