पौधारोपण की चाह, मुश्किल में भी निकाल ले रहे राह
पर्यावरण संरक्षण के प्रति बढ़ती जागरूकता कहें या फिर कोरोना महामारी का भय लेकिन दिल्ली में रहने वाला हर व्यक्ति आज पौधा लगाने की चाह रखता है। बड़ी संख्या में लोग औषधीय गुणों वाले पौधे लगाना चाहते हैं तो ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं जो फल-सब्जी के साथ-साथ सुगंधित फूलों वाले और छायादार पेड़ लगाने की चाहत रखते हैं। हालांकि दिल्ली में जगह की कमी है बावजूद इसके लोग घर मे पौधे लगाने की थोड़ी बहुत जगह बना ही ले रहे हैं।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली
पर्यावरण संरक्षण के प्रति बढ़ती जागरूकता कहें या फिर कोरोना महामारी का भय, दिल्ली में रहने वाला हर व्यक्ति आज पौधा लगाने की चाह रखता है। बड़ी संख्या में लोग औषधीय गुणों वाले पौधे लगाना चाहते हैं तो ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं, जो फल-सब्जी के साथ-साथ सुगंधित फूलों वाले और छायादार पेड़ लगाने की चाहत रखते हैं। हालांकि, दिल्ली में जगह की कमी के बावजूद लोग घर में पौधे लगाने की थोड़ी-बहुत जगह बना ही ले रहे हैं। पौधारोपण के प्रति दिल्ली वासियों के रुझान और गंभीरता को जानने के लिए हमने 200 से अधिक लोगों से बात की। इसमें 30 साल तक के किशोर और युवा, 30 से 50 साल तक के महिला-पुरुष और 50 से अधिक उम्र वाले वरिष्ठ नागरिकों की राय जानी गई। इस रायशुमारी में सरकारी एवं गैर सरकारी कर्मचारी और कारोबारी वर्ग के लोग भी शामिल रहे।
लगभग 80 फीसद लोगों ने अपने जीवन में एक से अधिक पौधे लगाने की बात कही। किशोर और युवा वर्ग में खुशबूदार और मोहक फूल वाले पौधे ज्यादा पसंद किए जाते हैं। मसलन, गुलाब, रात की रानी, हारशिगार इत्यादि। वरिष्ठ नागरिकों की पसंद जामुन, सहजन, अर्जुन, गिलोय, हरड़- बहेड़ा, कढ़ी पत्ता, बेल पत्र जैसे पौधे हैं। महिलाओं की पहली पसंद तुलसी और उसके बाद फल-सब्जी वाले पौधे रहते हैं।
30 से 50 साल की उम्र वाले लोगों की प्राथमिकताएं उनकी जिम्मेदारियों से तय होती हैं। इसी वजह से इस वर्ग के अधिकतर लोगों का कहना था कि वे पेड़-पौधों के लिए अधिक समय नहीं निकाल पाते। राजधानी में पौधे लगाने के लिए जगह की समस्या कमोबेश सभी ने बताई। खासकर जो लोग छोटे घरों या फ्लोर वगैरह में रहते हैं, उन्हें इस समस्या का काफी सामना करना पड़ता है। फिर भी लोग घर के मुख्य द्वार के आसपास, बालकनी, रसोई की खिड़की और छत, कहीं न कहीं जगह निकाल ही लेते हैं।
दूसरी तरफ निम्न मध्यमवर्गीय और श्रमिक वर्ग ने पौधे नहीं लगा पाने की असमर्थता जताई। उनका कहना था कि उनके लिए जीवनयापन की जरूरतें पूरी करना पहली प्राथमिकता है। जिनके पास अपना घर भी नहीं है और किराये पर रहते हैं, उनकी भी अपनी समस्याएं हैं। हालांकि, यह पौधों के प्रति बढ़ता प्रेम ही है कि बड़ी संख्या में लोग अपने ऑफिस, दुकान और औद्योगिक प्रतिष्ठान में भी मनी प्लांट सहित गमलों में लगाए जाने वाले पौधों के लिए जैसे-तैसे जगह बना ही ले रहे हैं। बॉक्स-1
दिल्ली में पौधे अब लगभग सभी रोपना चाहते हैं। अधिकतर की पहली पसंद औषधीय गुणों वाले पौधे और महक वाले फूलों के पौधे हैं। व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, आरडब्ल्यूए और विभिन्न संगठन भी पौधरोपण करना चाहते हैं। इनके स्तर पर छायादार और जन उपयोगी नीम, अर्जुन, जामुन, आम, अमरूद जैसे पेड़ ज्यादा रोपे जाते हैं। ऐसे में यह एक सुखद अनुभूति ही कही जा सकती है कि लोग पेड़-पौधों की न सिर्फ उपयोगिता समझ रहे हैं बल्कि उनके लिए जगह और समय भी निकाल रहे हैं।
-निशीथ सक्सेना, निदेशक (उद्यान), दिल्ली सरकार