सड़क हो या पार्क, हर जगह नजर आती है धूल ही धूल
प्रदूषण से बचने के लिए एक ओर सरकारी एजेंसियां हरियाली का संदेश देती हैं तो वहीं दूसरी तरफ हरियाली के लिए संरक्षित स्थान के हालत खस्ता है। उत्तम नगर हस्तसाल नांगलोई सहित अनेक जगहों पर यह लापरवाही नजर आती है। हस्तसाल में तो एक पार्क ऐसा है जहां हरियाली का नामोनिशान नजर नहीं आता है। यहां कदम प्रदूषण से बचने के लिए एक ओर सरकारी एजेंसियां हरियाली का संदेश देती हैं तो वहीं दूसरी तरफ हरियाली के लिए संरक्षित स्थान की हालत खस्ता है।
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : प्रदूषण से बचने के लिए एक ओर सरकारी एजेंसियां हरियाली का संदेश देती हैं तो वहीं दूसरी तरफ हरियाली के लिए संरक्षित स्थान की हालत खस्ता है। उत्तम नगर, हस्तसाल, नांगलोई सहित अनेक जगहों पर यह लापरवाही नजर आती है। हस्तसाल में तो एक पार्क ऐसा है जहां कदम रखते ही धूल उड़ना शुरू हो जाता है। यहां से उड़ने वाली धूल आसपास फैलकर धुंध का रूप ले लेती है। वहीं सड़क के बीच सेंट्रल वर्ज (दो विपरीत दिशा में जा रही सड़कों के बीच हरित पट्टी के लिए छोड़ी गई जगह) पर कई जगह टाइल्स बिछा दी गई है, लेकिन टाइल्स के बीच में जगह- जगह पौधे के लिए बनाए गए प्लांटर पौधे के बिना सूने नजर आते हैं, तो कहीं सेंट्रल वर्ज पर कूड़े का ढेर बिखरा नजर आता है।
गौरतलब है कि सड़कों पर बने सेंट्रल वर्ज पर हरियाली का विकास करने के पीछे पर्यावरण के साथ साथ सड़क सुरक्षा से जुड़ी बात भी प्रमुख कारण है। सेंट्रल वर्ज पर हरियाली के कारण दो सड़कों पर आमने सामने से आ रहे वाहनों की रोशनी चालकों की आंखों में सीधी नहीं पड़ती है। सीधी रोशनी नहीं पड़ने के कारण वे सामने की स्थिति को साफ -साफ देख पाते हैं। सामान्य तौर पर सेंट्रल वर्ज उन्हीं सड़कों पर होता है जो चौड़ी होने के साथ साथ यातायात के लिहाज से काफी व्यस्त होते हैं। ऐसी सड़कों पर वाहनों की रफ्तार काफी तेज होती है। लेकिन इन बातों के बावजूद सड़कों के बीच स्थित सेंट्रल वर्ज पर हरियाली का खयाल नहीं रखा जा रहा है। क्षेत्र के कई विधानसभा क्षेत्रों से गुजरने वाली नजफगढ़ रोड पर यह लापरवाही साफ- साफ नजर आती है। ऐसी स्थिति तब है कि जबकि सेंट्रल वर्ज पर लगी हरियाली की सुरक्षा के लिए जगह- जगह लोहे के ग्रिल लगाए गए हैं। लेकिन हरियाली की देखभाल के जिम्मेदार विभाग लोक निर्माण विभाग को इसकी फिक्र नहीं है। सेंट्रल वर्ज पर कभी कभार अनमने तरीके से हरियाली उगाने की कोशिश होती है। लेकिन देखरेख के अभाव में यह प्रयास कुछ ही दिनों में दम तोड़ देती है। सड़क पर धूल की मोटी परत
क्षेत्र की अधिकांश सड़कों पर जमी धूल की मोटी परत को देखकर ऐसा लगता है मानो कई महीने से सड़क की सफाई या सुध नहीं ली गई है। गलियों व सड़कों से गुजरने वाले वाहन अपने पीछे धूल का गुबार उड़ाते आगे बढ़ते हैं। यह धूल सांस के साथ अंदर जाकर फेफड़ों को कमजोर कर रहा है, लोग को बीमार कर रहा है। चाहे मुख्य सड़क की बात करें या कम चौड़ी सड़क की रोजाना सड़कों की सफाई क्षेत्र के लोगों के लिए सपने जैसा है। जिन सड़कों की खोदाई हो चुकी होती है वहां तो ये कर्मचारी जाते ही नहीं। कई लोग मजबूरी के कारण अपने घर या दुकान के सामने सड़क के हिस्से में पानी का छिड़काव कर धूल की समस्या का समाधान करने की कोशिश करते हैं। लेकिन यह बात भी है कि इस प्रयास की एक सीमा है। नियमों के अनुसार सड़क की सफाई से पहले वहां पानी का छिड़काव होना चाहिए ताकि धूल हवा में न उड़े। लेकिन इस नियम का पालन कहीं नहीं होता है। नजफगढ़ रोड की बात छोड़ दें तो चाहे दुर्गा पार्क रोड, नजफगढ़- नांगलोई रोड, विकासनगर रोड, विकासनगर मेन रोड, ओम विहार फेस पांच रोड सहित ऐसे अनेक रोड हैं जहां से गुजरने वाला हर राहगीर सांस के हर उतार चढ़ाव के साथ धूल फांकने को मजबूर हैं।