Move to Jagran APP

मां भारती के लिए जान न्यौछावर कर चुकाया दूध का कर्ज

शौर्यगाथा : मां भारती की रक्षा के लिए प्राण न्योछावर कर जांबाज ने दूध का कर्ज चुकाया शौर्यगाथा : मां भारती की रक्षा के लिए प्राण न्योछावर कर जांबाज ने दूध का कर्ज चुकाया शौर्यगाथा : मां भारती की रक्षा के लिए प्राण न्योछावर कर जांबाज ने दूध का कर्ज चुकाया शौर्यगाथा : मां भारती की रक्षा के लिए प्राण न्योछावर कर जांबाज ने दूध का कर्ज चुकाया

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Aug 2018 06:21 PM (IST)Updated: Sat, 04 Aug 2018 06:21 PM (IST)
मां भारती के लिए जान न्यौछावर कर चुकाया दूध का कर्ज
मां भारती के लिए जान न्यौछावर कर चुकाया दूध का कर्ज

सतीश राघव, सोहना (गुरुग्राम)

loksabha election banner

पिता आजाद ¨हद फौज में में थे, मां भारती को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए नेता जी सुभाषचंद्र बोस के साथ मिलकर लड़ाई लड़ी और सात साल जेल में भी रहे। पिता की तरह बेटे में भी देशभक्ति कूट-कूट कर भरी थी। बचपन में पिता से युद्ध के किस्से सुनकर जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो सेना में जाने का मौका मिल गया। ऑपरेशन विजय (कारगिल युद्ध) के दौरान एक दिन वह भी आया जब वीर जवान ने मां भारती की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। हम बात कर रहे हैं जांबाज श्योदान सिंह की, जिन्होंने जंग के मैदान में घायल होने के बाद भी अदम्य साहस दिखाया। पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर कर उनके कब्जे से दुर्गम माछिल चोटी को मुक्त कराकर तिरंगा फहराने के बाद अंतिम सांस ली। मां के दूध का कर्ज चुकाने वाले इस वीर जवान ने गुरुग्राम के गांव सहजावास में जन्म लिया था। अपने बेटे की वीरगाथा सुनाते हुए मां चंद्रोदेवी का चेहरा गर्व से चमक उठता है। कहती हैं कि इच्छा थी कि पोते भी सेना में जाएं, लेकिन किसी कारण से वे भर्ती नहीं हो सके।

अमर शहीद श्योदान ¨सह के पिता अर्जुन ¨सह आजाद ¨हद फौज के सिपाही थे। उनकी प्रबल इच्छा थी कि उनके दोनों बेटे सेना में जाएं। बच्चों ने पिता की इच्छा को पंख दिए और छोटा बेटा श्योदान ¨सह सेना में तो बड़ा बेटा सुखपाल ¨सह सीआइएसएफ में भर्ती हो गया। अपनी कुशलता के चलते श्योदान सफलता की सीढ़ी चढ़ते गए और हवलदार बन गए। ऑपरेशन विजय के दौरान उनकी ड्यूटी बर्फ से ढकी माछिल चोटी पर कब्जा जमाने वाले पाक सैनिकों से लड़ने के लिए भेजी गई सैन्य टुकड़ी में लगाई गई थी। दुश्मन की ओर से गोले बरसाए जा रहे थे पर देश के मतवालों को इसकी चिंता कहां, वे आगे बढ़ते जा रहे थे। रास्ते मे श्योदान व उनके साथियों ने पंद्रह पाक सैनिकों को मार गिराया। चोटी पर बने बंकर में पांच आतंकी बचे थे। उन्हें मारने के लिए श्योदान अपने अधिकारी की चेतावनी के बाद भी आगे बढ़ गए। तभी एक गोला उनके पास आकर गिरा और यह शेर जख्मी हो गया। 15 कुमायूं रेजीमेंट का यह जवान इसके बाद भी नहीं रुका और अपनी रायफल से तीन पाक सैनिकों को ढेर कर दिया। अन्य को साथियों ने मार गिराया। मौत के घाट उतरने से पहले पाकिस्तानी सैनिक ने एक हथगोला फेंका, जिससे श्योदान ¨सह और घायल हो गए। वह साथी के कंधे के सहारे चोटी के ऊपर पहुंचे और तिरंगा फहराकर भारत माता की जय का उद्घोष किया। इसके बाद वहां बैठ गए और बैठे-बैठे ही अंतिम सांस ली।

-----------------------------

श्योदान के संगी की जुबानी

सहजावास निवासी सूबेदार हेम सिंह कहते हैं कि मुझे गर्व है कि लड़ाई के दौरान मैं भी श्योदान के साथ था। चारों ओर से गोले बरस रहे थे, लेकिन हमारी टुकड़ी थमी नहीं। श्योदान के अदम्य साहस व वीरता के चलते हमने जंग जीती। मुझे आज भी वह क्षण याद है, शरीर से लहू बह रहा था पर श्योदान के मुंह से जय भवानी, जय भारती का उद्घोष कम नहीं हो रहा था। कैंप में जब भी बात होती थी तो वह यही कहते थे कि मां का दूध पीकर आया हूं, दुश्मन को मारकर दूध का कर्ज चुका कर ही चोटी से नीचे जाऊंगा, भले ही तिरंगे में लिपटकर आप सभी के कंधे पर ही क्यों न जाना पड़े। म्हारे बेटे ने दूध की लाज रखी

अमर बलिदानी श्योदान सिंह की मां चंद्रो देवी को अपने बेटे पर गर्व है। वह कहती हैं कि गुरुग्राम से आए एक अफसर बाबू ने बताया था कि बेटा शहीद हो गया। एक मां का मन व्यथित हुआ पर थोड़ी देर में मुझे शक्ति मिली और मैं सबसे पहले घर में बने पूजा स्थल पर गई। भगवान के हाथ जोड़े और यही कहा म्हारे छोरे ने दूध की लाज रख ली। बड़े आप हैं, पर काम मैं बड़ा करूंगा

शहीद श्योदान सिंह के बड़े भाई सुखपाल कहते हैं कि मेरा भाई देश के काम आया। भगवान से बस यही प्रार्थना करता हूं कि हर जन्म में ऐसा वीर भाई दे। वह बचपन में कहा करते थे कि भाई आप बड़े हो, लेकिन काम मैं बड़ा करूंगा। पति से मिली प्रेरणा देती है संबल

शहीद श्योदान सिंह की पत्नी सुमन देवी कहती हैं कि वह आज भी मेरे साथ हैं। देश के लिए भले ही वे शहीद हो गए, मगर उनकी प्रेरणा मुझे संबल देती है। काश जन्म तिथि के दस्तावेज में गलती नहीं होती और प्रशासन साथ देता तो बेटा भी पिता की वर्दी पहन कर घर आता। आज भी मैं दिन की शुरुआत उनकी तस्वीर को नमन करने के बाद ही करती हूं। आंसू आते हैं पर वे खुशी और गर्व के होते हैं। मेरी तो यही इच्छा है कि हमारी चौथी पीढ़ी भी सेना में जाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.