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जेएनयू के सीआइटीडी में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में सभी फेल

अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली बेहतर शिक्षा प्रणाली के लिए मशहूर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक बा

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Mar 2018 03:01 AM (IST)Updated: Fri, 02 Mar 2018 03:01 AM (IST)
जेएनयू के सीआइटीडी में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में सभी फेल
जेएनयू के सीआइटीडी में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में सभी फेल

अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली

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बेहतर शिक्षा प्रणाली के लिए मशहूर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक बार फिर चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां आयोजित होने वाली एमफिल और पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में काफी कम छात्र पास हुए हैं। सेंटर फॉर इंटरनेशनल ट्रेड एंड डेवलपमेंट (सीआइटीडी) में एमफिल-पीएचडी व पीएचडी की 42 सीटों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा आयोजित कराई गई थी, जिसमें करीब चार सौ परीक्षार्थी शामिल हुए थे। सूत्रों के अनुसार एमफिल-पीएचडी में करीब दस छात्र पास हुए, जबकि पीएचडी में एक भी छात्र उत्तीर्ण नहीं हुआ।

सूत्रों का कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी विषय की प्रवेश परीक्षा में एक भी छात्र उत्तीर्ण नहीं हुआ। जिन छात्रों को एमए में जेएनयू के शिक्षकों ने ही बेहतर अंक दिए वही पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में उन्हीं शिक्षकों द्वारा कॉपी जांचने के बाद फेल हो गए। जेएनयू में इस तरह के परिणाम को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। यहां गत वर्ष से ही शिक्षक संगठन, छात्र संगठन और प्रशासन के बीच टकराव चल रहा है। सीटों की कटौती के मुद्दे पर छात्र और शिक्षक संगठन ने कई बार आंदोलन भी किया है।

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दाखिला नीति को माना जा रहा है जिम्मेदार

जेएनयू में शिक्षक संघ में महत्वपूर्ण पद पर रह चुके एक पदाधिकारी व वरिष्ठ शिक्षक का कहना है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की हर बात मानना जरूरी नहीं है, क्योंकि जेएनयू सहित कई केंद्रीय विश्वविद्यालय पार्लियामेंट के एक्ट से बने हैं। उन्हें अपने नियम तय करने की स्वायत्तता है और यूजीसी रेगुलेशन-2016 मानने की बाध्यता नहीं है। गत वर्ष से जेएनयू ने सभी वर्गो के लिए प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने की योग्यता का पैमाना प्रश्नपत्र के कुल अंक का 50 फीसद तय किया है। ऐसे में सभी वर्गो के छात्रों के लिए 50 फीसद अंक लाना बहुत मुश्किल है, इसलिए प्रवेश परीक्षा परिणाम निराशाजनक आया है। छात्र संघ की अध्यक्ष गीता कुमारी का कहना है कि जेएनयू प्रशासन नहीं चाहता है कि सभी वर्गो के छात्र जेएनयू में आएं। पचास फीसद अंक की बाध्यता ने छात्रों का रास्ता रोका है। जेएनयू प्रशासन ने आरक्षण के मूलभूत सिद्धांत का उल्लंघन किया है। जब छात्र प्रवेश परीक्षा ही पास नहीं कर पाएगा तो साक्षात्कार तक कैसे पहुंचेगा और उसे आरक्षण का लाभ कैसे मिलेगा। मामले में विश्वविद्यालय का पक्ष जानने के लिए जब जेएनयू में रेक्टर-1 और रजिस्ट्रार को फोन किया गया, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। गौरतलब है कि एमफिल में ¨हदी में 4 और भूगोल में 10 परीक्षार्थी ही पास हुए हैं।

एबीवीपी ने की पुनर्मूल्यांकन की मांग

एमफिल और पीएचडी में काफी कम संख्या में छात्रों के पास होने का मामला गरमा गया है। एबीवीपी ने इस पर सवाल उठाते हुए मामले की जांच की मांग की है। जेएनयू में एबीवीपी के नेता और एबीवीपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य सौरभ शर्मा ने कहा कि यह छात्रों के भविष्य से जुड़ा मसला है, इसलिए कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन होना चाहिए।

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टॉपर का भी नहीं हुआ चयन

हंसराज कॉलेज से ¨हदी में एमए कर रहा हूं। स्नातक और एमए प्रथम वर्ष में टॉपर था, लेकिन जेएनयू में एमफिल में मेरा चयन नहीं हुआ। विश्वविद्यालय के परिणाम में बस 'नॉट सेलेक्टेड' बता रहा है। यदि मेरे अंक मुझे बताए जाएं तो लसल्ली होगी।

-जाकिर

¨हदू कॉलेज में एमए अंतिम वर्ष का छात्र हूं। प्रथम वर्ष में टॉपर था। नेट की परीक्षा भी पास की है, लेकिन मेरा चयन जेएनयू की एमफिल की प्रवेश परीक्षा में नहीं हुआ। प्रश्नपत्र बहुत कठिन नहीं था। मामले की जांच होनी चाहिए।

-कादिर हुसैन

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