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JNU विवादः घटना के दिन से ही उमर साथियों के साथ कैंपस में मौजूद था!

मुख्य साजिशकर्ता उमर खालिद समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार करना तो दूर खुफिया एजेंसियां उनकी लोकेशन तक ट्रैस नहीं कर सकी। सूत्रों का यहां तक कहना है कि सारे आरोपी शायद जेएनयू के अंदर ही मौजूद थे और पुलिस राज्यों में छापेमारी कर उन्हें ढूढ़ रही थी।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2016 08:22 AM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2016 12:26 PM (IST)

नई दिल्ली (विनीत त्रिपाठी)। जेएनयू के अंदर देशद्रोही नारे लगाने के आरोपी छात्रों के आगे दिल्ली पुलिस के खुफिया तंत्र से लेकर केंद्रीय खुफिया एजेंसियां हर स्तर पर फेल साबित हुईं। मुख्य साजिशकर्ता उमर खालिद समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार करना तो दूर खुफिया एजेंसियां उनकी लोकेशन तक ट्रैस नहीं कर सकी। सूत्रों का यहां तक कहना है कि सारे आरोपी शायद जेएनयू के अंदर ही मौजूद थे और पुलिस राज्यों में छापेमारी कर उन्हें ढूढ़ रही थी।

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आरोपी छात्र रविवार को अचानक कैंपस में दाखिल भी हो गए और खुफिया तंत्र को भनक तक नहीं लगी। दिल्ली पुलिस के खुफिया तंत्र की सबसे बड़ी असफलता जेएनयू में आयोजित हुए कार्यक्रम के बारे में पूरी जानकारी न होने से ही सामने आ गई थी।

स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच, खुफिया तंत्र ही नहीं केंद्रीय खुफिया एजेंसी को भी आभास नहीं था कि जेएनयू में देशविरोधी कार्यक्रम का आयोजन होने जा रहा है। अफजल गुरू और मकबूल भट के समर्थन और भारत के टुकड़े करने जैसे नारेबाजी के बावजूद पुलिस सक्रिय नहीं हुई। वह अगले दिन वीडियो जारी होने के बाद सक्रिय हुई।

पुलिस ने सिविल ड्रेस में जेएनयू से कन्हैया कुमार से पूछताछ की और गिरफ्तार किया। मुख्य आरोपी बनाए जाने की खबर मिलते ही उमर खालिद, आशुतोष कुमार, अनिर्बान भट्टाचार्य, रामा नागा, अनंत प्रकाश फरार हो गए।

पुलिस कमिश्नर भीमसेन बस्सी ने आरोपियों की तलाश में स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच के आला अधिकारियों के नेतृत्व में 8 टीमें बनाईं और बाद में पांच और टीमें बनाई गईं। केंद्रीय खुफिया एजेंसी की टीमें भी आरोपियों की तलाश में लगाई गईं, लेकिन दिल्ली पुलिस से लेकर केंद्रीय खुफिया एजेंसियां भी आरोपियों का पता नहीं लगा सकीं।

मान लिया जाए कि आरोपी छात्र जेएनयू के अंदर ही मौजूद थे तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली पुलिस 9 दिन में विभिन्न राज्यों में उनकी तलाश में छापेमारी क्यों कर रही थी? पुलिस ने क्यों यह खुलासा नहीं किया कि छात्र जेएनयू में हैं।

अगर अनंत प्रकाश की मानें तो रविवार को वह आशुतोष, रामा नागा के साथ कैंपस में मुख्य गेट से आया था, जबकि उमर खालिद अकेले बाद में कैंपस में आया। अनंत की बात अगर सही है तो फिर कैंपस में प्रवेश करने की भनक दिल्ली पुलिस समेत अन्य खुफिया एजेंसियों को क्यों नहीं लगी।

दिल्ली पुलिस का सर्विलांस हुआ फेल

दिल्ली पुलिस सर्विलांस के जरिए भी किसी भी तरह से की जानकारी जुटाने में नाकाम रही। जिसका नतीजा रहा कि सभी आरोपी दोबारा से जेएनयू कैंपस में पहुंच गए और अब कैंपस के अंदर से खुलेआम न सिर्फ बयानबाजी कर रहे हैं, बल्कि जेएनयू प्रशासन पर उन पर लगे आरोपों को केंद्र सरकार के माध्यम से खत्म कराने का दबाव भी बना रहे हैं।


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