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तिहाड़ में आलीशान जिंदगी जी रहे यूनिटेक के प्रबंध निदेशक, तस्वीरों के साथ HC पहुंचा मामला

धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद यूनिटेक के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा और अजय चंद्रा के लिए जेल आरामगाह बन चुकी है।

By Edited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 08:47 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 11:43 AM (IST)
तिहाड़ में आलीशान जिंदगी जी रहे यूनिटेक के प्रबंध निदेशक, तस्वीरों के साथ HC पहुंचा मामला
तिहाड़ में आलीशान जिंदगी जी रहे यूनिटेक के प्रबंध निदेशक, तस्वीरों के साथ HC पहुंचा मामला

नई दिल्ली, जेएनएन। धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद यूनिटेक के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा और अजय चंद्रा के लिए जेल आरामगाह बन चुकी है। उनकी बैरक में ऐशो-आराम के सामान मौजूद हैं। चंद्रा बंधुओं की बैरक के अंदर विलासितापूर्ण जिंदगी की यह तस्वीर शुक्रवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) ने हाई कोर्ट के सामने पेश की।

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रिपोर्ट में एएसजे ने कहा कि कि निरीक्षण के दौरान चंद्रा बंधुओं की बैरक से एलईडी टीवी, मिनरल वॉटर क्रेट, बैडमिंटन रैकेट, कपड़ों से भरे कई बैग व अन्य घरेलू सामान मिले हैं। जेल मैनुअल के अनुसार इस तरह के सामान रखने की अनुमति नहीं है। उन्होंने महानिदेशक (डीजी) जेल व जेल अधिकारियों पर गंभीर सवाल उठाते हुए उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की सिफारिश की।

एएसजे रमेश कुमार-2 की रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने दिल्ली सरकार, डायरेक्टर जनरल जेल व अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी कर 1 फरवरी 2019 तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।

उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के हाउसिंग प्रोजेक्ट में धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश रचने के मामले में दिल्ली की एक अदालत के आदेश पर चंद्रा बंधुओं को सितंबर 2017 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में बंद हैं। तिहाड़ के 25 कैदियों की शिकायत पर एएसजे रमेश कुमार-2 ने 4 सितंबर को जेल का निरीक्षण किया था।

एएसजे ने रिपोर्ट में कहा कि तिहाड़ जेल के अंदर की स्थिति देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि डीजी जेल व अधिकारियों के स्तर पर भ्रष्टाचार व अधिकारों का गंभीर दुरुपयोग हो रहा है। इस तरह के सामान किसी भी कैदी को बिना डीजी जेल व अन्य अधिकारियों की जानकारी व मदद के उपलब्ध नहीं कराए जा सकते।

निरीक्षण के दौरान कुछ जेल अधिकारियों ने कहा कि कैदियों ने यह शिकायत इसलिए की क्योंकि वे सुविधाएं उपलब्ध कराने का दबाव बना रहे थे, जिनकी अनुमति नहीं दी जा सकती। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मामले की शिकायत करने वाले कुछ कैदियों को उनके पत्र भेजने के बाद मंडोली जेल में स्थानांतरित कर दिया गया।

बैरक में है चंद्रा बंधुओं का इंटरनेट युक्त ऑफिस
एएसजे ने रिपोर्ट में बताया कि चंद्रा बंधुओं की बैरक में एक अलग ऑफिस है, जिसमें कंप्यूटर लगे हैं और उसमें इंटरनेट की सुविधा व प्रिंटर भी लगा है। घरेलू सामान के साथ गद्दे, सरसों का तेल, फुटमैट, एक्वाफिना मिनरल वॉटर समेत अन्य सामान मौजूद है। हालांकि, चंद्रा बंधुओं ने दावा किया कि मिनरल वॉटर जेल कैंटीन से लाए थे, जबकि न्यायिक अधिकारी ने पाया कि जेल कैंटीन में सिर्फ बिसलेरी वॉटर ही बेचा जा रहा था। चंद्रा बंधुओं ने बाहर की दुर्गध को रोकने के लिए अपनी बैरक के चारों तरफ स्टील के जाल का घेरा बनाया था, जिसे कंबल व बोर्ड से ढका गया था।

हाई कोर्ट ने शुरू की जनहित याचिका पर सुनवाई
एएसजे की रिपोर्ट व 25 कैदियों की शिकायत का संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी है। कैदियों ने पत्र में दावा किया था कि आर्थिक अपराध में गिरफ्तार किए गए चंद्रा बंधु तिहाड़ जेल के अंदर विलासितापूर्ण तरीके से रह रहे हैं।

कैदियों का आरोप था कि एक तरफ जहां उन्हें पर्याप्त पानी, खाना, फल, चिकित्सकीय उपचार व अन्य जरूरी सामान नहीं मिलता, वहीं दूसरी तरफ वाइट कॉलर अपराध करने वाले चंद्रा बंधु को छोटी सी बीमारी होने पर विशेषज्ञों से चिकित्सकीय उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्हें स्मार्ट फोन, घर का खाना, टीवी व आसानी से परिजनों से मिलने की सुविधा दी जा रही है।


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