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बीमा नियम तोड़ने पर वाहन चालक को देना होगा मुआवजा

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली बीमा नियमों का उल्लंघन करने पर बीमा कंपनी के बजाय वाहन चालक को मुआवजे की रकम अदा करनी होगी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 May 2018 07:17 PM (IST)Updated: Wed, 09 May 2018 07:17 PM (IST)
बीमा नियम तोड़ने पर वाहन 
चालक को देना होगा मुआवजा
बीमा नियम तोड़ने पर वाहन चालक को देना होगा मुआवजा

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली

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बीमा नियमों का उल्लंघन करने पर बीमा कंपनी के बजाय वाहन चालक को मुआवजे की रकम पीड़ित को अदा करनी पड़ेगी। मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंची बीमा कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने एमएसीटी के फैसले को बदल दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोपितों ने बीमा पॉलिसी के नियमों का उल्लंघन किया है और उन्हें ही मुआवजे की रकम अदा करनी होगी। कोर्ट ने बीएमडब्ल्यू कार चालक व कार मालिक को पीड़ितों को मुआवजे की रकम का भुगतान करने के आदेश दिए। साथ ही कोर्ट में गलत बयान देने पर अपील याचिका पर 2-2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

आइसीआइसीआइ लोमबार्ड जनरल इंश्योरेंस की तरफ से अदालत में याचिका दायर की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जेआर मिधा ने ड्राइवर सूरज व कार मालिक देवेंद्र को एमएसीटी द्वारा लगाए गए मुआवजे की रकम को 12 फीसद ब्याज के साथ 30 दिन के अंदर जमा करने का आदेश दिया। यह भी कहा कि आवेदक बीमा कंपनी द्वारा जमा की गई धनराशि को ब्याज के साथ तत्काल वापस करे।

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यह था मामला

5 मई 2012 को राजेंद्र कुमार चोपड़ा पत्नी वीना, बेटी कश्मा, दामाद शैलेश शेथे के साथ गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल से इंडिगो कार से वापस लौट रहे थे। कार ड्राइवर संजय गुलाटी थे। जैसे ही कार इफको टावर सेक्टर-29 गुरुग्राम पहुंची विपरीत दिशा से तेज रफ्तार से आ रही बीएमडब्ल्यू कार ने उसमें टक्कर मार दी थी। इंडिगो कार सवार घायलों को मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां कश्मा व संजय को मृत घोषित कर दिया गया। बीएमडब्ल्यू कार चालक सूरज फरार हो गया था। एक अन्य सवार दक्ष जयसवाल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पुलिस को गुमराह करने की हुई कोशिश

आरोपित सूरज ने कोर्ट को बताया कि वह कार के आगे की सीट पर बैठा था, जबकि कार उसका रिश्तेदार राजेश उर्फ राजा चला रहा था। राजेश के पास ड्राइविंग लाइसेंस था। यही बात कार मालिक व सूरज के पिता ने भी बताई, जबकि दुर्घटना में घायल शैलेश ने बताया कार में दो ही व्यक्ति थे और कार सूरज ही चला रहा था। सच सामने आने पर सूरज ने घटना के दौरान कार चलाने की बात कुबूल की थी। यह था एमएसीटी का फैसला

मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) ने कहा कि यह आवश्यक नहीं है कि कार कौन चला रहा था, क्योंकि कार का बीमा था। ऐसे में बीमा कंपनी ही मुआवजा देने के लिए हकदार है। ट्रिब्यूनल ने बीमा कंपनी को मृतक कश्मा के परिजन को एक करोड़, मृतक संजय के परिजन को 79.84 लाख, घायल राजेंद्र कुमार चोपड़ा 2.83 लाख रुपये और शैलेश शेथे को 9.67 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था। इस आदेश को बीमा कंपनी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। अब मुआवजे की यह रकम आरोपित सूरज व उसके पिता देवेंद्र को अदा करनी होगी। हाई कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के फैसले पर उठाए सवाल

पीठ ने कहा कि ट्रिब्यूनल न सिर्फ अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा बल्कि न्याय व्यवस्था में लोगों के भरोसे को भी कायम रखने में नाकाम रहा। उसने तथ्यों की जांच तक नहीं की और यह तक जानने की कोशिश नहीं की कि कार में कितने लोग सवार थे और कार चला कौन रहा था। ट्रिब्यूनल ने बिना तथ्यों की तह में जाए बीमा कंपनी को जिम्मेदार ठहरा दिया।


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