तिहाड़ जेल के अस्पताल में सुविधा बढ़ाने को लेकर हाई कोर्ट सख्त
- कोर्ट ने मुख्य सचिव को दिए विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक करने के आदेश
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
तिहाड़ जेल के अस्पताल में सुविधा के अभाव की जानकारी मिलने पर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को बैठक कर एक योजना तैयार करने के निर्देश दिए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि जेल अस्पताल सुविधाओं के अभाव में एक रेफरल सेंटर बनकर रह गया है। यहां पर छोटे उपचार के लिए भी कैदियों को बाहर भेजना पड़ता है।
तिहाड़ जेल के अस्पताल की सुविधाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि 12 हजार कैदियों वाले जेल में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल दयनीय है। पीठ ने मुख्य सचिव को कहा कि वह जल्द ही इस मामले में गृह व स्वास्थ्य विभाग के प्रिसिंपल सेक्रेटरी और परिवार कल्याण विभाग के निदेशक बैठक कर योजना तैयार करें। पीठ ने उक्त टिप्पणी जेल रेजिडेंस मेडिकल ऑफिसर की उस रिपोर्ट पर की। जिसमें उन्होंने बताया कि तिहाड़ जेल का अस्पताल सुविधाओं के अभाव में मूलरूप से एक द्विस्तरीय अस्पताल के रूप में काम कर रहा है। इस दौरान तिहाड़ जेल अस्पताल से दूसरे अस्पतालों को रेफर किए मरीजों का आंकड़ा पेश किया गया। जिसके तहत नवंबर 2015 से दिसंबर 2017 के बीच 3358 मरीजों को उपचार के लिए जेल से बाहर दूसरे अस्तपालों में भेजा गया।
उक्त जानकारी पर कोर्ट ने कहा कि इसे देखकर तो यही लगता है कि जेल में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति का परीक्षण और इसमें सुधार का प्रयास सालों से करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। पदों पर नियुक्ति को भी गंभीरता से नहीं लिया गया और अब भी बड़ी संख्या में डॉक्टरों के पद खाली हैं। मानसिक रोगियों के लिए सृजित किए गए 49 पदों पर अब भी नियुक्ति नहीं की गई।