कानूनी दस्तावेजों का ऑनलाइन पंजीयन नहीं करने पर हाई कोर्ट नाराज
अदालत के आदेश के बावजूद भी कानूनी दस्तावेजों का अभी तक आनलाइन पंजीयन नहीं करने पर हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के प्रति नाराजगी जताई है। मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने कहा कि जब फाइलिग गवाहों का बयान करने से लेकर टैक्स रिटर्न व बच्चों की भी फीस जब ऑनलाइन जमा हो सकती है तो फिर दिल्ली सरकार ऑनलाइन दस्तावेजों का पंजीयन क्यों नहीं कर सकती है। पीठ ने कहा कि दस्तावेजों के ऑनलाइन पंजीकरण से कई सारे लाभ हैं। इससे दस्तावेजों में मानवीय हस्तक्षेप कम हो
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली :
अदालत के आदेश के बाद भी कानूनी दस्तावेजों का अभी तक ऑनलाइन पंजीयन नहीं करने पर हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार के प्रति नाराजगी जताई।
मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने कहा कि जब फाइलिग, गवाहों का बयान करने से लेकर टैक्स रिटर्न व बच्चों की भी फीस ऑनलाइन जमा हो सकती है तो फिर दिल्ली सरकार दस्तावेजों का ऑनलाइन पंजीयन क्यों नहीं कर सकती है। दिल्ली सरकार से नाराजगी जताते हुए मुख्य पीठ ने कहा कि क्या आप अपनी मर्जी से ही करेंगे। पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए मुख्य सचिव से प्रकरण पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। मुख्य सचिव बताएं कि उन्होंने दस्तावेजों के ऑनलाइन पंजीयन को लेकर अभी तक क्या कदम उठाया है। याचिका पर सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
मुख्य पीठ ने 31 अगस्त को सरकार से कहा था कि वह वसीयत, करार व अन्य कानूनी दस्तावेजों को ऑनलाइन पंजीयन शुरू करें ताकि कोरोना महामारी के बीच बुजुर्ग, गर्भवती महिला व अन्य बीमार लोग संक्रमित होने से बच सकें। अधिवक्ता गौरव गंभीर ने याचिका दाखिल कर कहा था कि रजिस्ट्रार दफ्तर दस्तावेजों का पंजीयन नहीं कर रहे हैं। इसके कारण महामारी के बीच बुजुर्ग, गर्भवती महिला एवं बीमार को ऑफिस में भीड़-भाड़ के बीच जाना पड़ रहा है।