सीबीआइ रिश्वतखोरी मामले में हाई कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना व अन्य के खिलाफ चल रही जांच के लिए और समय देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। सीबीआइ ने
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआइ के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना व अन्य के खिलाफ रिश्वतखोरी के मामले में चल रही जांच के लिए और समय देने की मांग को लेकर दायर सीबीआइ की याचिका पर हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। जांच एजेंसी ने कहा कि हम जनवरी में आए अदालत के फैसले की समीक्षा की मांग न करके निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी जांच के लिए और समय दिए जाने की मांग कर रहे हैं।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) विक्रमजीत बैनर्जी ने पीठ को बताया कि सीबीआइ के पूर्व डीसीपी देवेंद्र कुमार ने एफआइआर रद करने की मांग को खारिज करने के हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। वहीं, राकेश अस्थाना की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र शरण ने कहा कि जब एक मामले में हाई कोर्ट ने अपना आदेश दे दिया तो अब इस पर सुनवाई का आधार नहीं है। एएसजी ने कहा कि जांच एजेंसी अदालत के आदेश का पालन करने के योग्य है और निष्पक्ष, स्वतंत्र एवं पारदर्शी जांच के लिए उसे चार महीने का समय दिया जाना चाहिए।
हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर सीबीआइ की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाया था। पीठ ने पूछा था कि अब तक अन्य देशों को लेटर्स रोगेटरी (साक्ष्य के लिए प्रार्थना पत्र) क्यों नहीं भेजा गया, जबकि इसके आदेश जनवरी में पास हुए थे। सीबीआइ बताए कि वह कब तक यह प्रक्रिया पूरी कर लेगी।
गौरतलब है कि मीट कारोबारी सतीश सना से दो करोड़ रुपये रिश्वत लेने के मामले में 15 अक्टूबर को सीबीआइ ने तत्कालीन विशेष निदेशक राकेश अस्थाना व डीएसपी देवेंद्र कुमार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। देवेंद्र कुमार व मनोज प्रसाद को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा और अदालत ने एफआइआर रद करने की अस्थाना व देवेंद्र की मांग को खारिज कर दिया था। सीबीआइ के शीर्ष अधिकारियों के बीच विवाद पूरे देश के सामने आया था और पूर्व सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा को अंत में चयन समिति ने उनके पद से हटा दिया था।
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