कहने को बड़े अस्पताल और नहीं मिल रही एआरवी
सरकार एक तरफ अस्पतालों में इलाज के लिए दवाईयां मुहैया करवाने के दावे करती है वहीं कुछ अस्पताल ऐसे हैं जिसमें समय पर इलाज के लिए दवाईयां ही उपलब्ध नहीं है। यमुनापार के सबसे बड़े दो अस्पताल कहें जाने वाले गुरु तेग बहादुर अस्पताल व स्वामी दयानंद अस्पताल में पिछले कई दिनों से एंटी रेबीज वैक्सीन (एआरवी) के इंजेक्शन नहीं है। मरीज कई दिनों से अस्पतालों के चक्कर लगाकर परेशान हो गए है। सुविधा के अभाव में मरीजों को निजी अस्पतालों की ओर दौड़ लगानी पड़ रही है। मरीजों ने इसकी शिकायत जीटीबी अस्पताल के प्रशासन को कई बार की, वह इस और ध्यान नहीं दे रहा है।
गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) और स्वामी दयानंद यमुनापार ही नहीं, पूरी दिल्ली के बड़े अस्पतालों में गिने जाते हैं लेकिन आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि यहां से एंटी रेबीज वैक्सीन (एआरवी) जैसी मामूली चीज के लिए मरीज पांच दिनों से लौट रहे हैं। इन बड़े अस्पतालों में पांच दिनों में भी एआरवी की व्यवस्था नहीं हो पाना बताता है कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के सरकारी दावे अपनी जगह हैं और हकीकत अपनी जगह। अस्पताल में एआरवी की व्यवस्था कराने के बजाय मरीजों को एक ही सलाह लगातार दी जा रही है कि वे किसी और अस्पताल में चले जाएं, यहां अभी एआरवी नहीं है।
प्रताप नगर निवासी देवेंद्र ने बताया कि गत 13 सितंबर को उन्हें कुत्ते ने काट लिया था। उन्होंने गुरु तेग बहादुर अस्पताल जाकर एआरवी का इंजेक्शन लगवाया। जहां डॉक्टर ने चार चरण में इंजेक्शन लगवाने के लिए बुलाया। दूसरे चरण का इंजेक्शन लगवाने के लिए वह 18 सितंबर को गए तो कहा गया कि अभी एआरवी नहीं है, 21 तारीख को आना। जब 21 तारीख को गए तो कहा गया कि अभी एआरवी नहीं है। आप अन्य सरकारी अस्पताल या निजी अस्पताल में जाकर इंजेक्शन लगवा सकते हैं। देवेंद्र का कहना है कि यहां से अन्य सरकारी अस्पताल काफी दूर हैं और निजी अस्पतालों में एआरवी 330 रुपये की है। आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति क्या करें। इस संबध में दिल्ली सरकार द्वारा अस्पतालों में मरीजों की सहायता के लिए जारी किए गए नंबर 1031 पर कई बार फोन किया गया लेकिन कोई सहायता नहीं मिली।
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रोजाना लौट रहे 500 मरीज
केवल गुरु तेग बहादुर अस्पताल में ही एआरवी इंजेक्शन लगवाने के लिए रोज 500 मरीज पहुंचते हैं। यानी करीब 500 मरीज रोज अस्पताल से लौट रहे हैं, बावजूद अस्पताल प्रशासन एआरवी की व्यवस्था करने में रुचि नहीं दिखा रहा। यहां पहुंचे लोगों को रोज यह कह दिया जा रहा है कि अस्पताल में एआरवी नहीं है। ताज्जुब की बात यह भी है कि अस्पताल में एआरवी नहीं होने के कारण लगातार मरीज लौट रहे हैं लेकिन यहां के अधिकारियों को इसकी जानकारी तक नहीं है। इस संबंध में पूछे जाने पर जीटीबी अस्पताल के निदेशक डॉ. सुनील कुमार का कहना था कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है। स्वामी दयानंद अस्पताल में तो अन्य दवाइयों का भी टोंटा
निगम के स्वामी दयानंद अस्पताल में भी कई दिनों से एआरवी नहीं है। इसके अलावा यहां अन्य कई दवाइयां भी नहीं मिल रही हैं। रोजाना दवाई के लिए मरीज लंबी कतार लगाकर खड़े रहते हैं। जब काउंटर तक पहुंचते हैं, तब उन्हें कह दिया जाता कि अस्पताल में यह दवा नहीं है। कहीं और से ले लो। मरीजों को मजबूरन दूरदराज अन्य सरकारी अस्पतालों में जाकर दवाइयां लेनी पड़ रही हैं। मरीजों ने बताया कि इस संबंध में स्वास्थ्य समिति के चेयरमैन से दवाइयां मंगाने के लिए कहा गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
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जिस मेडिकल संस्था से अस्पताल में दवाइयां आती हैं, उसके लाइसेंस की अवधि समाप्त हो गई थी। इस कारण दवाइयां नहीं आ पा रही थीं। लेकिन, अब संस्था के लाइसेंस का नवीनीकरण हो गया है। एक सप्ताह के अंदर अस्पताल में सारी दवाइयां उपलब्ध हो जाएंगी।
सचिन शर्मा, चेयरमैन, स्वास्थ्य समिति, पूर्वी दिल्ली नगर निगम।