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ग्राउंड जीरो : शिक्षा से दूर और नशे की गिरफ्त में है त्रिलोकपुरी

दिल्ली सरकार द्वारा खुले में शारब पीने पर पांच हजार रुपये के चालान का प्रावधान है लेकिन सरकार और पुलिस की तरफ से नियम सख्त करने के बावजूद लोग खुले में जाम छलकाने से बाज नहीं आ रहे हैं। चुनावों के चलते शराबियों को और सहानुभूति मिल जाती है अध्धों व पव्वों के लिए मतदाता आसानी से उम्मीदवारों पर न्योछावर हो जाते है। पार्षद चुनने के साथ विधायक और सांसद बनाने में योगदान करने वाले इस क्षेत्र में आज तक नशे आदि सामग्रियों का सेवन करने वाले लोगों पर किसी प्रकार की कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। नतीजतन हर तरफ सुबह से लेकर शाम तक बुजुर्ग व नई उम्र के युवा हर जगह नशे आदि का सेवन करते नजर आ जाएंगे। चुनावी माहौल के चलते कुछ जगहों पर लोग अपनी पसंदीदा राजनीतिक पार्टियों के नाम पर जाम लगाते दिख जाएंगे। इस पर अभी तक सिर्फ राजनीति हुई है लेकिन समस्या

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 06:45 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 06:45 PM (IST)
ग्राउंड जीरो : शिक्षा से दूर और नशे की गिरफ्त में है त्रिलोकपुरी

पुष्पेंद्र कुमार, पूर्वी दिल्ली

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त्रिलोकपुरी पुनर्वास कॉलोनी में प्रवेश करते ही अहसास हो जाता है कि यह इलाका नशे की गिरफ्त में है। यहां सार्वजनिक स्थानों पर लोग खुलेआम नशा करते हुए दिख जाते हैं। शाम होते-होते यहां की तस्वीर एकदम बदल जाती है। यह तस्वीर सिर्फ वर्तमान की नहीं, बल्कि वर्षो से यही स्थिति है। शिक्षा का माहौल नहीं बदलने से यहां की तस्वीर में खास बदलाव नहीं आ रहा है।

खुले में शराब पीने पर चालान से लेकर गिरफ्तारी तक का प्रावधान है। कानून के इन प्रावधानों से यह इलाका बेअसर है। यहां अवैध रूप से शराब से लेकर अन्य नशीले पदार्थो की अवैध बिक्री धड़ल्ले से होती है। कार्रवाई के अभाव में खुलेआम जाम छलकते हैं। चुनावी मौसम में तो यहां बहार आ जाती है। राजनीतिक दल इसका लाभ उठाने से नहीं चूकते। अब वोट किसके पक्ष में जाएगा, यह उस समय की परिस्थिति पर निर्भर करता है।

चुनाव के दौरान नशे का मामला हर बार उठता है, लेकिन चुनाव बाद इस समस्या की सुध लेने को कोई तैयार नहीं होता। इलाके में चुनाव प्रचार जोरों पर है। एक ओर जहां जनसभा और नुक्कड़ सभाएं की जा रही हैं। वहीं दूसरी ओर मैं भी चौकीदार कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान कुछ राजनीतिक मछुआरे मतदाताओं को अपने जाल में फांसने की जुगत में लगे रहते हैं।

स्थानीय निवासियों के अनुसार, 1976 में सरकार द्वारा दक्षिणी दिल्ली का सुंदरीकरण किया गया था। इसके तहत मोती बाग, सराय काले खां, अन्ना नगर की झुग्गी बस्तियों को त्रिलोकपुरी में लाकर बसाया गया था। यहां 36 ब्लॉकों के अलावा चार अतिरिक्त ब्लॉक, 12 गज के पांच मकान, दो डीडीए जनता फ्लैट बने हुए हैं। यहां हर धर्म के लोग बसे हुए हैं, लेकिन दलित व मुस्लिम समुदाय के लोगों की संख्या अधिक है। त्रिलोकपुरी क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या करीब दो लाख है। राजनीतिक रूप से देखें तो अभी यहां आम आदमी पार्टी के विधायक हैं। त्रिलोकपुरी तीन वार्ड क्षेत्र में आता है। दो वार्ड से भाजपा तो एक वार्ड से आप के पार्षद हैं।

34 ब्लॉक निवासी हरिप्रकाश (48) बताते हैं कि क्षेत्र अक्सर तनावग्रस्त रहता है। छोटी-छोटी बात पर यहां कश्मीर की तरह पत्थरबाजी शुरू हो जाती है। अक्सर स्थिति बेकाबू हो जाती है और स्थानीय पुलिस के अलावा रैपिड एक्शन फोर्स और सीआरपीएफ जवानों को तैनात करने की नौबत आ जाती है। इस विवाद के चलते यहां रहने वाले अन्य लोगों की दिनचर्या प्रभावित होती है। क्षेत्र में अक्सर चुनाव से पहले छोटा मोटा दंगा होता है। सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद भी यहां कई महीनों तक तनाव बना रहता है।

स्थानीय निवासी मोहन झा (38) बताते हैं कि त्रिलोकपुरी 27 ब्लॉक में एक बस स्टैंड है, सिर्फ नाम का। दिल्ली परिवहन निगम की ओर से शुरुआती दौर में रूट नंबर 307 पर बस सेवा शुरू की गई थी, जो त्रिलोकपुरी से कमला मार्केट तक जाती थी। इस रूट पर पहले बसों की संख्या कम की गई, फिर सेवा ही बंद कर दी गई। कई ब्लॉकों के निवासी इस कारण परेशान रहते हैं। इसका फायदा ई-रिक्शा वाले उठा रहे हैं। उनकी चांदी हो गई, वह मनमाना किराया वसूलते हैं। चुनाव के समय यह मुद्दा उठता है, लेकिन बाद में सब भूल जाते हैं। 32 ब्लॉक निवासी रामवीर सिंह चौधरी (49) कहते हैं कि त्रिलोकपुरी ब्लॉक- 32 ऐसा इलाका है, जहां चुनाव में राजनीति का तख्ता पलटने से संबंधित सामग्रियों को तैयार किया जाता है। इस ब्लॉक के कई घरों में नशे से संबंधित सामग्रियां तैयार की जाती हैं। इसके कारण क्षेत्र के अन्य ब्लॉकों के युवाओं पर बुरा असर पड़ रहा है। इस संबंध में स्थानीय पुलिस को शिकायत दी जाती है, इसके बावजूद कार्रवाई नहीं होती है।

31 ब्लॉक निवासी देवप्रकाश बाबू (53) बताते है कि दिल्ली सरकार जनसभा में शिक्षा को लेकर बड़े वादे करती फिर रही है, लेकिन यह इलाका सरकार के दावों से कोसों दूर है। यहां कई सरकारी स्कूल हैं, लेकिन यहां पढ़ाई का स्तर काफी निम्न है। शिक्षा से वंचित युवा अपराध और नशे का रास्ता अपना रहे हैं। 84 के सिख विरोधी दंगों के घाव भी ताजा हो गए हैं

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद त्रिलोकपुरी में जबरदस्त दंगा हुआ था। यहां एक गुरुद्वारे में कई लोगों की हत्या की गई थी, जिनकी तस्वीरें गुरुद्वारे में लगी हुई हैं। कुछ दिन पहले जब दंगा विरोधी मामले में पहली बार सजा हुई थी तो यहां के सिखों के दर्द ताजा हो गए थे क्योंकि त्रिलोकपुरी मामले में ही सजा हुई थी।


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