1962 युद्ध के नायक जसवंत सिंह पर बनी फिल्म रिलीज, इस वजह से पैदा हुआ था विवाद
1962 भारत-चीन युद्ध के नायक राइफलमैन जसवंत ¨सह रावत के जीवन पर आधारित फिल्म दिल्ली हाई कोर्ट की हरी झंडी मिलने के बाद रिलीज हो गई। न्यायमूर्ति विभू बाखरू ने यह कहते हुए जसवंत ¨सह रावत के परिजनों की याचिका खारिज कर दी कि फिल्म बनाने के लिए वर्ष 2015 में सहमति जताने के बाद अब वह इसे निजता का उल्लंघन नहीं बता सकते। पीठ ने कहा कि
नई दिल्ली, जेएनएन। 1962 भारत-चीन युद्ध के नायक राइफलमैन जसवंत सिंह रावत के जीवन पर आधारित फिल्म को दिल्ली हाई कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद यह रिलीज कर दी गई है। न्यायमूर्ति विभू बाखरू ने यह कहते हुए जसवंत सिंह रावत के परिजनों की याचिका खारिज कर दी कि फिल्म बनाने के लिए वर्ष 2015 में सहमति जताने के बाद अब वे इसे निजता का उल्लंघन नहीं बता सकते। पीठ ने कहा कि फिल्म '72 ऑवर्स : मार्टियर हू नेवर डायड' की रिलीजिंग को टालने का कोई कारण नहीं है।
राइफलमैन जसवंत सिंह रावत को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। रावत के परिवार के सदस्यों ने फिल्म की रिलीजिंग के खिलाफ अदालत का रुख करते हुए फिल्म को रावत की निजता पर हमला बताया था। इसके साथ ही परिजनों ने फिल्म के निर्माता संध्या एंटरटेनमेंट से फिल्म की रॉयल्टी की मांग की थी। उन्होंने रावत की भूमिका निभाने वाले अभिनेता को बदलने की भी मांग की थी। प्रोडक्शन हाउस ने अदालत को बताया कि परिवार की सहमति 2015 में ली गई थी और फिल्म उनके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर ही बनाई गई। यह भी दावा किया कि परिवार ने अभिनेता अविनाश ध्यानी को रावत की भूमिका के लिए सहमत किया था।
सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र सरकार के स्थायी वकील कीर्तिमान सिंह को फिल्म देखने और इसमें कुछ भी आपत्तिजनक होने पर सूचित करने के लिए कहा था। अदालत के निर्देश पर फिल्म देखने के बाद कीर्तिमान सिंह ने अदालत को बताया कि इसमें कोई ऐसी सामग्री नहीं है, जो रावत और उनके परिवार के लिए अपमानजनक हो। कीर्तिमान की तरफ से दी गई जानकारियों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा कि इस फिल्म को रिलीज होने से रोकने का यह कोई कारण नहीं है।
पीठ ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता और उसके परिवार ने इस फिल्म को बनाने के लिए सहमति दी थी तो उसे गोपनीयता की हानि के खिलाफ शिकायत करने के लिए नहीं सुना जा सकता है। बता दें कि इससे पहले रावत के परिवार द्वारा फिल्म में राइफलमैन की भूमिका निभा रहे अभिनेता को हटाने के लिए जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया गया था कि अभिनेता पर दुष्कर्म का आरोप है।
याचिका के अनुसार,रावत सेना के गढ़वाल राइफल्स की चौथी बटालियन में राइफलमैन थे। 17 नवंबर 1962 को शहीद होने से पहले रावत ने चीन-भारतीय युद्ध के दौरान चीनी सेना को तीन दिनों तक अकेले रोके रखा था। उनकी वीरता को सलाम करते हुए हाल ही में उन्हें मेजर जनरल पद से सम्मानित किया जा रहा है। रावत ने चीनी सेना के खिलाफ जिस पोस्ट को बचाया था उसे जसवंत गढ़ नाम दिया गया था। वहीं पास में एक कमरा है जहां उनके निजी सामान को अभी भी सुरक्षित रखा गया है।