उपभोक्ताओं को अब नहीं भेजे जाएंगे अनुमानित बिल
उपभोक्ताओं को अब अनुमानित बिजली बिल की जगह मीटर रीडिग पर आधारित वास्तविक बिल भेजे जाएंगे। बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के कर्मचारी उपभोक्ताओं के घर व्यावसायिक प्रतिष्ठानों कार्यालयों में जाकर मीटर रीडिग ले रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : उपभोक्ताओं को अब अनुमानित बिजली बिल की जगह मीटर रीडिग पर आधारित वास्तविक बिल भेजे जाएंगे। बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के कर्मचारी उपभोक्ताओं के घर, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, कार्यालयों में जाकर मीटर रीडिग ले रहे हैं। हालांकि, कंटेंमेंट जोन में अभी मीटर रीडिग लेने का काम शुरू नहीं हो सका है।
लॉकडाउन के समय से उपभोक्ताओं को अनुमानित बिजली बिल भेजे जा रहे हैं। रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) और व्यापारी इसका विरोध कर रहे हैं। इसे लेकर सियासत भी हो रही है। भाजपा इसे मुद्दा बना रही है। भाजपा नेता लॉकडाउन के समय स्थायी शुल्क वसूलने का भी विरोध कर रहे हैं। इसे लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता आरडब्ल्यूए और व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिग पर चर्चा कर चुके हैं।
वहीं, बिजली वितरण कंपनियों का कहना है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए उनकी प्राथमिकता स्वास्थ्य सेवाओं, आपातकालीन सेवाओं के साथ ही आम उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति की थी। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार को हरसंभव सहयोग दिया जा रहा है। कोरोना संक्रमण की वजह से मीटर रीडिग, बिल वितरण आदि काम रोक दिए गए थे। लॉकडाउन के दौरान विभिन्न प्रचार माध्यमों से इसकी जानकारी भी उपभोक्ताओं को दे दी गई थी। दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) द्वारा निर्धारित नियमों के हिसाब से अनुमानित बिल भेजे जा रहे थे। यह बढ़ा हुआ नहीं बल्कि अस्थायी बिल था। यह उपभोक्ता के पिछले साल की इसी अवधि के बिल पर आधारित था, लेकिन अब मीटर रीडिग लेकर वास्तविक बिल भेजे जाएंगे। डीईआरसी के नियम के अनुसार वसूले गए अस्थायी बिल को वास्तविक बिल में समायोजित किया जाएगा। भाजपा का कहना है कि उसके दबाव से दिल्ली सरकार व बिजली कंपनियों ने यह कदम उठाया है, लेकिन स्थायी शुल्क का मामला हल होने तक उसका विरोध जारी रहेगा।