एसडीएम जमीन को बचाने में जुटे और डीडीए गंवाने में
दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) एक तरफ अपनी संपत्ति को बचाने के लिए अतिक्रमण से बचाओ और इनाम पाओ प्रतियोगिता चला रहा है। दूसरी ओर डीडीए अपनी जमीन अपने हाथों कैसे गंवाता है, इसका नजारा न्यू अशोक नगर में देखने को मिला। यहां डीडीए की करीब 1300 गज के तीन प्लॉट मेन रोड पर हैं, जिसका ब्योरा डीडीए की वेबसाइट पर मौजूद है। इस जमीन पर एक व्यक्ति ने अवैध कब्जा करने के साथ ही मालिकाना हक का दावा करने के बोर्ड भी लगा दिए, लेकिन डीडीए के अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं।
शुजाउद्दीन, पूर्वी दिल्ली : दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) एक तरफ अपनी संपत्ति को बचाने के लिए अतिक्रमण से बचाओ और इनाम पाओ प्रतियोगिता चला रहा है। दूसरी ओर डीडीए अपनी जमीन अपने हाथों कैसे गंवाता है, इसका नजारा न्यू अशोक नगर में देखने को मिला। यहां डीडीए की करीब 1300 गज के तीन प्लॉट मेन रोड पर हैं, जिसका ब्योरा डीडीए की वेबसाइट पर मौजूद है। इस जमीन पर एक व्यक्ति ने अवैध कब्जा करने के साथ ही मालिकाना हक का दावा करने के बोर्ड भी लगा दिए, लेकिन डीडीए के अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं। मयूर विहार के एसडीएम अजय अरोड़ा ने डीडीए को आइना दिखाने का काम किया है। उन्होंने अपने एक ऑर्डर के सात पेज की कॉपी इस जमीन पर चस्पा कर स्पष्ट संदेश दिया कि यह जमीन डीडीए की है, साथ ही डीडीए के उपाध्यक्ष से गुजारिश की है कि वह अपने विभाग के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें।
ऑर्डर के अनुसार, राम किशन समेत तीन लोगों ने खसरा नंबर 419/305 पर चारदीवारी करने के लिए एसडीएम से 28 दिसंबर 2018 को इजाजत मांगी थी। गत 17 जनवरी को एसडीएम ने अर्जी को ठुकराकर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। कई वर्ष पहले इस इलाके में खेती होती थी। डीडीए ने इस जमीन का अधिग्रहण कर लिया और लोगों को मुआवजा भी दे दिया, लेकिन देखते ही देखते न्यू अशोक नगर नाम से एक अवैध कॉलोनी यहां बस गई। डीडीए किसी तरह कुछ जमीन को बचा सका। अब इस बची जमीन पर भी भूमाफिया आंखें गड़ाए बैठा है।
आश्चर्य की बात यह है कि एक अगस्त 2017 को डीडीए के उप निदेशक ने कार्यकारी अभियंता को पत्र भेजकर कहा कि प्लॉट नंबर 393-395 डीडीए के हैं, इसकी जानकारी वेबसाइट पर है। ये जमीन दशमेश पब्लिक स्कूल के सामने मुख्य रोड पर है। उसपर राम किशन ने अवैध कब्जा कर रखा है, सख्त कदम उठाते हुए अपनी जमीन बचा लो। डीडीए के कार्यकारी अभियंता ने इस पत्र पर कोई ध्यान नहीं दिया और न ही उप निदेशक ने दोबारा पता करने की कोशिश की कि अवैध कब्जा क्यों नहीं हटा। नतीजा यह हुआ कि माफिया के हौसले बढ़ते गए और उसने एसडीएम से चारदीवारी की इजाजत मांग ली। एसडीएम के इस आर्डर के बाद देखना होगा कि डीडीए अपनी जमीन को बचाता है या फिर हाथ से जाने देता है।