हिंदी के विकास को लेकर हो रहे प्रयास नाकाफी: नरेंद्र कोहली
11वें विश्व हिंदी दिवस के आयोजन के दौरान उपन्यासकार नरेंद्र कोहली ने हिंदी के विकास और इसे राष्ट्रीय भाषा बनाने के लिए किए जा रहे उपायो को नाकाफी बताते हुए कहा कि अगर हिंदी को देश की पहचान बनाना है तो हर स्तर पर कार्य करना होगा।
नई दिल्ली। कांस्टीट्यूशन क्लब में 11वें विश्व हिंदी दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर राजभाषा विभाग के सचिव गिरीश शंकर, उपन्यासकार नरेंद्र कोहली व संसदीय राजभाषा समिति के उपाध्यक्ष सत्यनारायण जटिया, कवि डॉ. कुंवर बेचैन, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, गजेंद्र सोलंकी, सांसद अश्विनी चौबे, रामकुमार शर्मा, साहित्यकार आचार्य रमाकांत व शिक्षाविद बीबी मिश्रा ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजा राममोहन लाइब्रेरी फाउंडेशन के अध्यक्ष ब्रजकिशोर शर्मा ने की।
नरेंद्र कोहली ने हिंदी के विकास और इसे राष्ट्रीय भाषा बनाने के लिए किए जा रहे उपायो को नाकाफी बताते हुए कहा कि अगर हिंदी को देश की पहचान बनाना है तो हर स्तर पर कार्य करना होगा। बच्चों के बीच बचपन से ही हिंदी को लोकप्रिय बनाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विडंबना है कि देश में अंग्रेजी भाषा के रूप में ही नही, बल्कि माध्यम के रूप में पढ़ाई जा रही है। इससे हिंदी दोयम दर्जे की भाषा बनती जा रही है। इसके लिए जरूरी है कि सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि पढ़ाई का माध्यम हिंदी होना चाहिए।
सत्यनारायण जटिया ने भी हिंदी को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस दिशा में विश्व हिंदी दिवस जैसे आयोजन काफी सहायक साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं, साथ ही इसके लिए लोगों को भी अपनी भाषा और संस्कृति के लिए जागरूक होने की बात कही।
समारोह में गिरीश शंकर ने कहा कि राजभाषा विभाग हिंदी के विकास के लिए प्रयासरत है। हिंदी को उसका स्थान दिलाने के लिए जरूरी है कि हम सब मिलकर कार्य करें। इनके अलावा कार्यक्रम में उपस्थित कवियों और वक्ताओं ने हिंदी के विकास और उसके लिए किए जाने वाले जरूरी उपायों पर चर्चा की।
कलम की कॉकटेल पुस्तक का विमोचन
विश्व हिंदी दिवस पर उपन्यासकार नरेंद्र कोहली ने मीडिया जगत से जुड़ी लेखिका शारदा शुक्ला के लेखों के संकलन कलम की कॉकटेल का विमोचन किया। इस पुस्तक में शारदा ने तमाम अखबारों में प्रकाशित आलेखो, कहानियों, साक्षात्कारों और कई अहम विषयों पर किए गए कार्यों से मिले अनुभवों को साझा किया है। पुस्तक में मानव तस्करी, परा-विज्ञान, ऑन लाइन वोटिंग, सिनेमा, धर्म आदि विषयों पर आधारित लेख ध्यानाकर्षक हैं।