कोरोना संकट दूर करने में पूरी शिद्दत से जुटा हुआ है
निर्मल जैन पूर्वी दिल्ली के वरिष्ठ भाजपा नेताओं में से एक हैं। वह दूसरी बार पार्षद बने हैं। भाज
निर्मल जैन पूर्वी दिल्ली के वरिष्ठ भाजपा नेताओं में से एक हैं। वह दूसरी बार पार्षद बने हैं। भाजपा ने इस बार वरिष्ठता के आधार पर नए महापौर का चयन किया। जैन पिछले दो साल से नेता सदन के रूप में दायित्व संभाल रहे थे वहीं वह भाजपा के जिलाध्यक्ष सहित संगठन में कई पदों पर रह चुके हैं। महापौर बनने के बाद दैनिक जागरण के सुधीर कुमार ने निर्मल जैन से विस्तृत बातचीत की। पेश है बातचीत के अंश: अभी कोरोना संकट का काल चल रहा है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम इससे निपटने के लिए किस तरीके से तैयार है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम दलीय राजनीति से ऊपर उठकर कोरोना संकट को दूर करने में पूरी शिद्दत से जुटा हुआ है। कोरोना मरीजों से लेकर लॉक डाउन से प्रभावित होने वाले लोगों की मदद के लिए निगम सरकार के साथ है। चाहे राशन बांटने का मामला हो या भोजन उपलब्ध करवाने का। इसके अलावा स्वामी दयानंद अस्पताल को भी इस तरह से तैयार कर दिया गया है कि वहां कोरोना मरीजों का इलाज हो सके। लेकिन अभी इस अस्पताल में अन्य मरीजों का दो शिफ्टों में इलाज किया जा रहा है क्योंकि जीटीबी अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है। निगम हर विधानसभा क्षेत्र में आइसोलेशन सेंटर बना रहा है जिससे कि जिन्हें होम क्वारंटाइन में दिक्कत हो उन्हें यहां रखा जा सकता है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। कोरोना काल में स्थिति और भी विकट हो गई है इससे कैसे निपटेंगे - यह सही है कि पूर्वी दिल्ली निगम की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब है। इसके पीछे प्रदेश सरकार का सबसे बड़ा हाथ है। फिर भी स्थिति संभालने की लगातार कोशिश की जा रही है। कोरोना काल में निगम को 300 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो चुका है। दिल्ली सरकार से इस साल 1660 करोड़ रुपये का राजस्व मिलना है। पहली तिमाही के तहत 440 करोड़ रुपये मिलने थे जिसमें से सिर्फ 50 करोड़ रुपये योजना मद में शिक्षा के लिए मिले हैं। पूर्वी निगम जहां अपने स्तर पर आर्थिक रूप से खुद को मजबूत करने के लिए प्रयासरत है वहीं दिल्ली सरकार से भी लगातार बातचीत कर रही है कि हक का पैसा जरूर मिलना चाहिए। देश की राजधानी का हिस्सा होकर भी पूर्वी निगम की सफाई के मामले में बहुत पीछे है। इसके पीछे क्या कारण हैं - मैं इससे सहमत नहीं हूं। पूर्वी दिल्ली नगर निगम पूरी क्षमता से काम कर रहा है। कोरोना संकट के दौरान भी 80 फीसद सफाई कर्मचारी लगातार काम कर रहे हैं। रोजाना 2100 टन कूड़ा उठ रहा है। स्वच्छता रैकिग में पूर्वी दिल्ली का प्रदर्शन लगातार सुधर रहा है। इसके लिए और कई स्तरों पर प्रयास हो रहा है। शहर को कचरा मुक्त करने के लिए यह जरूरी है कि गीला व सूखा कचरा अलग-अलग हो। इसके लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मार्च की समय सीमा निर्धारित की थी, फिर भी इस पर काम नहीं हुआ।
- ऐसा नहीं है। इस कार्य के लिए निगम ने एक कंपनी से करार किया है उसमें कई तरह की तकनीकी दिक्कतें थी, जिससे उसे काम से रोका गया है। कोरोना संकट के कारण पिछले तीन महीने से इस पर काम नहीं हो पा रहा है। अब इस पर फिर से काम शुरू किया जाएगा। गाजीपुर लैंडफिल साइट पूर्वी दिल्ली की बड़ी समस्या है। यहां हादसा भी हो चुका है। लेकिन इस पहाड़ की ऊंचाई कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। - यह सही है। इसके लिए नेशनल हाइवे अथारिटी से लेकर कई एजेंसियों से बात हुई। सांसद गौतम गंभीर भी इसके लिए लगातार प्रयासरत हैं। यहां मशीन लगाकर कूड़े और मिट्टी को अलग-अलग किया जा रहा है। लेकिन मिट्टी को कहां खपाया जाए यह समस्या बनी हुई है। इस समस्या को प्रदेश सरकार की मदद से ही दूर किया जा सकता है। केंद्र से इसके लिए सहयोग मिल रहा है। नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन के सहयोग ने पूर्वी निगम ने कंपनी स्थापित की है। जिससे कचरे से बिजली बनाने का दूसरा संयंत्र पूर्वी दिल्ली में स्थापित होगा। जिससे आने वाले समय में कचरे का पहाड़ खत्म हो जाएगा।