मानसिक तौर पर बीमार व बेसहारा की कोरोना जांच को न मांगे पता : हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) से कहा कि मानसिक तौर पर बीमार या बेसहारा लोग की कोरोना जांच के लिए स्थानीय पता मोबाइल नंबर या पहचान नंबर देने के लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए। मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने आइसीएमआर से कहा कि वह संबंधित अधिकारियों को एक आदेश जारी करे कि मानसिक
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) से कहा कि मानसिक तौर पर बीमार या बेसहारा लोगों की कोरोना जांच के लिए स्थानीय पता, मोबाइल नंबर या पहचान नंबर देने के लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए। मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने आइसीएमआर से कहा कि वह संबंधित अधिकारियों को एक आदेश जारी करे कि मानसिक तौर पर बीमार व्यक्ति की कोरोना जांच के लिए इसकी अनिवार्यता नहीं होगी। आइसीएमआर के दिशानिर्देश के तहत कोरोना जांच कराने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पहचान पत्र और वैध मोबाइल नंबर देना अनिवार्य है, ताकि उसे ट्रैक किया जा सके।
मानसिक तौर पर बीमार व बेसहारा लोगों की कोरोना जांच के संबंध में दिल्ली सरकार व आइसीएमआर को निर्देश देने की मांग को लेकर अधिवक्ता गौवर कुमार बंसल ने जनहित याचिका दायर की थी। याचिका पर पीठ ने कहा कि दिशानिर्देश आइसीएमआर ने जारी किए हैं तो उसे तीन लाइन में स्पष्ट करना चाहिए कि मानसिक तौर पर बीमार व बेसहारा की कोरोना जांच के लिए पहचान पत्र, मोबाइल नंबर व स्थानीय पते की जरूरत नहीं होगी। पीठ ने आइसीएमआर से कहा कि वह इस सबंध में सभी राज्यों के लिए आदेश जारी करे।
आइसीएमआर की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने पीठ की तरफ से उठाए गए बिदुओं पर सरकार की तरफ से निर्देश लेने के लिए समय मांगा। इस पर पीठ ने सुनवाई को 7 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया।