गतिरोधः मुसीबत के आगे बौने साबित हो रहे हैं सरकारी इंतजाम
राजधानी में एक ओर जहां गगनचुंबी इमारतें हैं, वहीं दूसरी तरफ संकरी गलियों वाले रिहायशी इलाकों में जर्जर इमारतें और भीड़भाड़ वाले बाजार। यहां आगजनी होने पर बचाव कार्य बड़ी चुनौती है, क्योंकि न तो इसके लिए जरूरी संसाधन हैं और न प्रशिक्षित कर्मचारी। यदि समय रहते अग्निशमन व्यवस्था को
नई दिल्ली, संतोष कुमार सिंह। राजधानी में एक ओर जहां गगनचुंबी इमारतें हैं, वहीं दूसरी तरफ संकरी गलियों वाले रिहायशी इलाकों में जर्जर इमारतें और भीड़भाड़ वाले बाजार भी हैं। यहां आगजनी होने पर बचाव कार्य बड़ी चुनौती है, क्योंकि न तो इसके लिए जरूरी संसाधन हैं और न ही प्रशिक्षित कर्मचारी हैं। यदि समय रहते अग्निशमन व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया गया, तो इसकी गंभीर कीमत चुकानी पड़ सकती है।
ताक पर रखे गए नियम
दिल्ली-एनसीआर की ऊंची-ऊंची इमारतों में आग लगने पर निपटने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं की जा रही है। नियम के अनुसार ऊंची इमारतों में अग्निशमन उपायों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने पर जुर्माना लगाने के साथ ही बिजली व पानी का कनेक्शन भी काटा जा सकता है। लेकिन इसका सख्ती से पालन नहीं हो रहा है। एक तो सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर अव्यवस्थित निर्माण हो रहा है, वहीं फायर फाइटिंग सिस्टम की स्थिति भी नहीं सुधर रही है। राष्ट्रमंडल खेलों के समय इस ओर ध्यान दिया गया था। लेकिन इसके बाद इस दिशा में उल्लेखनीय काम नहीं हुआ।
कागज में सिमटी योजनाएं
प्रस्तावित एक दर्जन से ज्यादा दमकल केंद्रों का निर्माण अब तक पूरा नहीं हुआ है। लिहाजा, राजधानी की सुरक्षा आधा दर्जन दमकल केंद्रों पर निर्भर है। इनके पास भी आधुनिक उपकरण व वाहन नहीं हैं। कर्मचारियों की कमी भी दूर नहीं की जा रही है। दमकल केंद्र जिन स्थानों पर स्थित हैं, वहां से दूरी और संकरी व भीड़ वाली सड़कों की वजह से शहर के संवेदनशील स्थानों पर दमकल वाहनों के समय पर पहुंचने में भी दिक्कत होती है। पानी की कमी भी अग्निशमन व्यवस्था दुरुस्त करने में बड़ी बाधा है। इन बाधाओं को दूर नहीं किया जा रहा है जबकि दिल्ली में लालकुआं और उपहार सिनेमा जैसी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। जिसमें आग लगने से दर्जनों लोगों की मौत हुई थी।
दिल्ली में संवेदनशील स्थल और इलाका
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अनुसार अग्निशमन विभाग के पास दिल्ली के शाहदरा (पूर्वी मंडल), जनकपुरी (पश्चिमी मंडल), मोती नगर (उत्तर-पश्चिमी मंडल), कनॉट प्लेस (मध्य मंडल), रूपनगर और नेहरू प्लेस (दक्षिण मंडल) से आग लगने की सूचना ज्यादा आती है।
इसका मुख्य कारण घनी आबादी तथा अवैध रूप से रसायन और ज्वलनशील पदार्थो का भंडारण है। राजधानी में आगजनी की 70 फीसद घटनाएं शार्ट सर्किट से होती है। सबसे चिंताजनक है कि इसे रोकने को ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। इसे रोकने के लिए अग्निशमन विभाग, पुलिस, बिजली कंपनियों और नगर निगम के बीच तालमेल जरूरी है।