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सजा के ऐलान के दौरान कोर्ट ने कहा- 'कानूनी प्रक्रिया से बचने को गवाही नहीं देते लोग'

सुनवाई के दौरान अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह जगजाहिर है कि लोग अदालत के चक्कर काटने से बचने के लिए गवाही देने को आगे नहीं आते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि कानूनी प्रक्रिया के चक्कर में उन्हें बेवजह प्रताड़ित होना पड़ेगा।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 24 Mar 2016 10:22 AM (IST)Updated: Fri, 25 Mar 2016 07:55 AM (IST)
सजा के ऐलान के दौरान कोर्ट ने कहा- 'कानूनी प्रक्रिया से बचने को गवाही नहीं देते लोग'

नई दिल्ली (संदीप गुप्ता)। तीस हजारी कोर्ट की एक अदालत ने छेड़छाड़ के मामले में केवल पीड़ित महिला के बयान के आधार पर सेना के जवान को एक साल के कैद की सजा सुनाई। इससे पहले मजिस्ट्रेट अदालत ने सुबूत के अभाव में उसे बरी कर दिया था।

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सुनवाई के दौरान अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह जगजाहिर है कि लोग अदालत के चक्कर काटने से बचने के लिए गवाही देने को आगे नहीं आते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि कानूनी प्रक्रिया के चक्कर में उन्हें बेवजह प्रताड़ित होना पड़ेगा।

एंटी करप्शन ब्रांच की विशेष जज हिमानी मल्होत्रा ने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष की तरफ से मामले में कोई भी संयुक्त गवाह पेश नहीं किया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट अपने पूर्व के आदेशों में पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि यदि मामला सच्चाई की कसौटी पर खरा उतरता है और स्वीकार्य लगता है तो केवल पीड़िता के बयान के आधार पर भी सजा सुनाई जा सकती है।

अभियोजन पक्ष यह साबित कर पाने में सफल रहा है कि सेना के जवान ने महिला से छेड़छाड़ की है। उन्होंने कहा कि सेना के कंधे पर देश की रक्षा का भार है। सेना से जुड़े होने के कारण दोषी की जिम्मेदारी लोगों की सुरक्षा के लिए काम करना है, लेकिन पेश मामले में जवान स्वयं ही आपराधिक गतिविधि में लिप्त है।

ऐसे में उसके खिलाफ नरमी नहीं बरती जा सकती है। दोषी को आइपीसी की धारा-354 (छेड़छाड़) के तहत एक साल कैद और पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। सुनवाई के दौरान धारा 354ए (गलत मंशा से महिला को छूना) के तहत छह माह कैद की सजा भी सुनाई गई।

जज ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि निचली अदालत ने केवल स्वतंत्र गवाह के अभाव में पीड़िता की गवाही को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया। कानून कहता है कि यदि पीड़िता मामले में इकलौती गवाह है और उसका बयान विश्वास योग्य है तो केवल इस आधार पर भी आरोपी को सजा दी जा सकती है।

पुलिस के मुताबिक, 22 फरवरी 2013 को पीड़िता नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास से गुजर रही थी। तभी दोषी टी मानिकदन नशे की हालत में ट्रेन पकड़ने के लिए रेलवे स्टेशन आया था। उसने महिला के साथ छेड़छाड़ की।

शोर मचाने पर राहगीरों की मदद से दोषी को मौके पर ही पकड़ लिया गया था। इसके बावजूद भी पुलिस की तरफ से मामले में कोई संयुक्त गवाह पेश नहीं किया गया। दोषी की मेडिकल जांच में नशे में होने की पुष्टि हुई थी।


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