अनुदान नहीं मिलने के कारण डॉक्टरों को वेतन देने में हुई देरी
लॉकडाउन के बाद से रेजिडेंट डॉक्टरों का वेतन नहीं देने के मामले में उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा अनुदान नहीं देने के कारण डॉक्टरों का वेतन देने में देरी हुई।
- याचिका पर एनडीएमसी ने दिल्ली हाई कोर्ट में दी जानकारी
- लॉकडाउन के बाद से डॉक्टरों को नहीं मिला है वेतन जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : लॉकडाउन के बाद से रेजिडेंट डॉक्टरों का वेतन नहीं देने के मामले में उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा अनुदान नहीं देने के कारण डॉक्टरों का वेतन देने में देरी हुई। मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ के समक्ष एनडीएमसी ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में दिल्ली सरकार को 162 करोड़ रुपये निगम को भुगतान करना था, इसमें से सिर्फ 27 करोड़ रुपये ही स्वीकृत किए गए।
एनडीएमसी ने पीठ को यह भी बताया कि डॉक्टरों को मार्च और अप्रैल का वेतन भुगतान कर दिया गया है। पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि कोरोना योद्धा बनकर डॉक्टर काम कर रहे हैं और उनके वेतन का भुगतान हीं नहीं किया जा रहा है। वेतन नहीं मिलने पर कस्तूरबा गांधी अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा इस्तीफा देने को लेकर समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर का संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने जनहित याचिका शुरू की थी।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि मंगलवार को दाखिल की गई रिपोर्ट में विभिन्न मदों में स्वीकृत हुए अनुदान की जानकारी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की तरफ से सभी बकाया का भुगतान किया गया है। इस पर मुख्य पीठ ने उनसे कहा कि वह निगम द्वारा पेश किए गए तथ्य पर जवाब दाखिल करें। दिल्ली सरकार ने स्थिति रिपोर्ट पेश करके कहा कि अदालत के निर्देश के तहत दिल्ली सरकार ने अप्रैल में रेजिडेंट डॉक्टरों के वेतन का भुगतान करने के लिए निगम को आठ करोड़ रुपये का जारी किया है।