निगम के दफ्तर और स्कूल सौर ऊर्जा से होंगे रोशन
बिजली बिल के खर्च को कम करने के लिए पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सभी दफ्तरों स्कूलों सामुदायिक भवनों अस्पताल समेत अन्य भवनों को सौर ऊर्जा की व्यवस्था की जाएगी।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली :
बिजली बिल के खर्च को कम करने के लिए पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सभी दफ्तरों, स्कूलों, सामुदायिक भवनों, अस्पताल समेत अन्य भवनों को सौर ऊर्जा की व्यवस्था की जाएगी। जो बिजली बचेगी, उसके बेच का आय अर्जित की जाएगी। बृहस्पतिवार को निगम की स्थायी समिति ने सभी संपत्तियों पर सोलर पैनल लगाने के प्रस्ताव को सहमति प्रदान कर दी है।
स्थायी समिति के अध्यक्ष बीर सिंह पंवार की अध्यक्ष में हुई बैठक में सौर ऊर्जा को लेकर रखे गए प्रस्ताव में बताया कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने वर्ष 2018-19 में शाहदरा उत्तरी जोन कार्यालय समेत दस जगहों पर 325 किलोवाट का सौर ऊर्जा संयंत्र लगाया था। जिससे उन जगहों पर आपूर्ति के बाद बची बिजली को बेच कर 20 लाख रुपये की आय अर्जित की जा रही है। प्रस्ताव में बताया कि निगम के 220 स्कूल, 70 सामुदायिक भवन, अस्पताल समेत स्वास्थ्य विभाग की 40 बिल्डिंग की छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाएं तो दोहरा फायदा होगा। निगम के भवनों में बिजली की खपत से आ रहे मोटे बिल को कम किया जा सकेगा। बची बिजली को बेच कर आय अर्जित की जा सकेगा। साथ ही बताया कि सोलर एनर्जी कारपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआइ) से इसके लिए करार किया जाएगा। इस प्रस्ताव पर स्थायी समिति सदस्यों ने सहमति प्रदान कर दी। बैठक में नेता सदन सत्यपाल, पूर्व महापौर एवं पार्षद बिपिन बिहारी सिंह, डिप्टी चेयरमैन दीपक मल्होत्रा, पार्षद शशि चांदना, मोहिनी जीनवाल शामिल थीं।
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कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था बनाने से पहले नोटिस देने पर आपत्ति
आरडब्ल्यूए और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में गीला और सूखा अलग रखने की व्यवस्था बनाने के लिए निगम द्वारा नोटिस दिए जा रहे हैं। साथ ही उसमें जुर्माना लगाने की चेतावनी दी जा रही है। पूर्व महापौर एवं पार्षद बिपिन बिहारी सिंह ने इसे अनुचित बताते हुए स्थायी समिति की बैठक मे नोटिस भेजने पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि निगम अभी खुद अलग-अलग कूड़े को इकट्ठा कर निस्तारण की व्यवस्था नहीं कर पाया। जब तक निगम खुद तैयारी न कर ले, तब तक नोटिस भेजना उचित नहीं।
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तोड़फोड़ को लेकर अधिकारियों पर साधा निशाना
यमुनापार की अनधिकृत कालोनियों में नक्शा स्वीकृत कराए बिना बन रहे मकानों में तोड़फोड़ की कार्रवाई को लेकर नेता सदन सत्यपाल सिंह ने आपत्ति जताई। उन्होंने स्थायी समिति की बैठक में सवाल उठाते हुए कहा कि अधिकारी और उनके अधीनस्थ मकान तैयार होने के बाद तोड़फोड़ क्यों करते हैं। जब कोई व्यक्ति जीवन भर की कमाई मकान बनाने में लगा देता है और उसमें रहने लगता है, जब निगम की टीम उसे तोड़ने चली जाती है। नींव रखने से बनने के दौरान यह काम क्यों नहीं होता। उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2021 तक बन चुके मकानों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
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अधिकारी नहीं देते जवाब, पार्किंग को बनाया मुद्दा
समिति के सदस्यों ने बैठकों के दौरान अधिकारियों से पूछे गए सवालों के जवाब न मिलने पर आपत्ति जताई। पार्षद गुंजन गुप्ता समेत अन्य सदस्यों ने कहा कि अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। यही नहीं दौरे की रिपोर्ट तक जारी नहीं की जाती। कुछ सदस्यों ने अवैध तरीके से चल रही पार्किंग का मुद्दा उठाया। ------
ये प्रस्ताव रखे
- वार्ड-39 के लिए भूमिगत जलाशय बनाने को शाहदरा झील-दो (महिला पार्क) की एक हजार वर्ग मीटर भूमि दिल्ली जल बोर्ड को दी जाए
- पार्कों में धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के लिए शुल्क न लिया जाए
- लाइसेंस फीस को न बढ़ाया जाए
- संपत्ति कर विभाग के अधिकारियों का स्थानांतरण दूसरे विभागों में न किया जाए
- 10 अप्रैल 2006 तक लगे वेतन भोगी कर्मचारियों को स्थायी किया जाए
- स्वामी दयानंद अस्पताल के नियो नटाल इंटेसिव केयर यूनिट में सुधार किया जाए