DDCA : जांच अधिकारी व दिल्ली सरकार में तनातनी
भ्रष्टाचार मामले में दिल्ली सरकार और प्रधान सचिव चेतन सांघी में ठन गई है। दिल्ली सरकार एक शख्स का नाम घोटाले में डालने के लिए कह रही थी।
नई दिल्ली (वीके शुक्ला)। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) भ्रष्टाचार मामले में दिल्ली सरकार और प्रधान सचिव चेतन सांघी में ठन गई है।
एक ओर जहां केजरीवाल सरकार ने चेतन सांघी पर आरोप लगाया है कि वह पुराने घपले से जुड़े मामलों में अपना बचाव करने के लिए कैबिनेट से मंजूरी दिलाने का दबाव बना रहे थे, तो वहीं चेतन ने दिल्ली सरकार पर ही हमला कर दिया है। चेतन ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार एक शख्स का नाम घोटाले में डालने के लिए कह रही थी।
वहीं, सरकार से जुड़े उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि जांच के बाद जब सरकार को सांघी के मामले में गड़बड़ी मिली तो उसने ऐसा करने से मना कर दिया था। ज्ञात हो कि लंबी छुट्टी पर चल रहे सांघी ने केंद्रीय गृह सचिव को दिल्ली सरकार के खिलाफ पत्र लिखा है।
इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि डीडीसीए की जांच में एक बड़े नेता का नाम जोड़ने का उन पर दबाव बनाया गया था। सरकार से जुड़े सूत्रों ने साफ किया है कि चेतन सांघी को पता था कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) एफआइआर दर्ज करने जा रही है।
सांघी ने पुराने घपलों में कार्रवाई न हो इससे बचाव के लिए सरकार की बगैर अनुमति के एक कैबिनेट नोट तैयार किया था। सांघी सरकार पर दबाव बना रहे थे कि कैबिनेट इसे मंजूरी दे दे। जिससे एसीबी यदि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करती है तो निष्क्रिय हो सके।
दिल्ली के गृह विभाग के मंत्री सत्येंद्र जैन ने पूरे मामले का गहन अध्यन किया तो पता चला कि सांघी के मामले में सब कुछ ठीक नहीं है। सांघी पर आरोप है कि उन्होंने शीला सरकार के दौरान डीएसआइआइडीसी (दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं ढांचागत विकास निगम) का चेयरमैन रहते हुए कुछ औद्योगिक प्लांटों को फ्री होल्ड कर दिया था, जबकि उनके पास इसका अधिकार नहीं था।
ये प्लाट पहले डीडीए के पास थे। इस मामले की शिकायत मिलने पर डीडीए के सतर्कता विभाग ने जांच शुरू की, जो अभी तक चल रही है। इसी जांच में कहा गया कि जब एक्ट के तहत नियम तय नहीं हुए तो प्लाटों को फ्री होल्ड कैसे कर दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि इसी आधार पर सांघी के खिलाफ एसीबी ने दो एफआइआर दर्ज की हैं। दिल्ली के प्रधान सचिव चेतन सांघी पिछले कुछ माह से सरकार के करीबी अधिकारी रहे हैं।
दिल्ली सरकार ने विश्वास करते हुए उन्हें डीडीसीए में भ्रष्टाचार की जांच करने वाली कमेटी का प्रमुख बनाया था, मगर 248 पन्नों की रिपोर्ट का जब सरकार ने अध्ययन किया तो पता चला कि सुबूत होने के बाद भी एक बड़े नेता को इसमें बचाया गया है।
यहां बता दें कि डीएसआइआइडीसी में अनियमितताओं के मामले में सांघी के खिलाफ एसीबी ने दो एफआइआर दर्ज की हैं और एसीबी पर केंद्र सरकार का नियंत्रण है।