सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा की अधिसूचना को चुनौती
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की प्रारंभिक परीक्षा की अधिसूचना का मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया है। गैर सरकारी संगठन संभावना ने याचिका दायर कर कहा कि अधिसूचना में कानून व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत दिव्यांगों को आरक्षण नहीं दिया गया है। याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जलान की पीठ ने केंद्र सरकार के कई मंत्रालयों यूपीएससी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से सुनवाई करते हुए मुख्य
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली
सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा की अधिसूचना को लेकर एक याचिका दायर की गई है। गैर सरकारी संगठन संभावना ने याचिका में कहा है कि अधिसूचना में कानून व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत दिव्यांगों को आरक्षण नहीं दिया गया है। याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने केंद्र सरकार के कई मंत्रालयों व संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। वीडियो कान्फ्रेंसिग के माध्यम से सुनवाई में मुख्य पीठ ने श्रेणीवार पद आवंटन की जानकारी मांगी है। अगली सुनवाई 31 अगस्त को होगी।
संभावना की तरफ से दायर याचिका में कानून एवं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर दिव्यांगों को चार फीसद आरक्षण देने की मांग की गई है। याचिका के अनुसार यूपीएससी ने संभावित 796 पदों के बारे में जिक्र किया है, लेकिन पदों के सही संख्या की जानकारी नहीं दी है। याचिका के अनुसार अगर यूपीएससी के 796 पद को ही मान लिया जाए और उसके अनुसार चार फीसद आरक्षण दिया जाए तो यह संख्या 32 होती है, जबकि अधिसूचना में दिव्यांगों के लिए 24 पदों का ही जिक्र है। याचिका में दावा किया गया कि कानून के हिसाब से दिव्यांगों के लिए चार फीसद आरक्षण का प्रावधान है जिसमें से उसके चार श्रेणियों को एक-एक फीसद आरक्षण दिया जाना चाहिए, लेकिन अधिसूचना में सभी श्रेणी के लिए तीन, चार, आठ व नौ पद होने की बात कही गई है। याचिका में दावा किया गया है कि सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा की अधिसूचना गलत है। ऐसे में इसे स्पष्ट करने का निर्देश दिया जाना चाहिए या फिर इसे निरस्त किया जाना चाहिए।