पराली के धुएं में अटक रहीं दिल्ली-एनसीआर की सांसें
आंखों में जलन सीने में चुभन सिर में भारीपन और सांस लेने में घुटन. दिल्ली के ज्यादातर लोग आजकल यही शिकायतें करते नजर आ रहे हैं। दफ्तर क्या सड़क क्या घर के भीतर भी इस से निजात नहीं पा रहे हैं। आलम यह है कि ज्यादातर लोग लोग हर समय लगाकर रखने को मजबूर हो रहे हैं।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली
आंखों में जलन, सीने में चुभन, सिर में भारीपन और सांस लेने में घुटन. दिल्ली के ज्यादातर लोग आजकल ऐसी ही शिकायतें करते नजर आ रहे हैं। दफ्तर, सड़क व घर के भीतर भी इससे निजात नहीं पा रहे हैं। आलम यह है कि ज्यादातर लोग हर समय मास्क लगाने को मजबूर हो रहे हैं।
दरअसल, सर्दियों की दस्तक के साथ ही दिल्लीवासियों की सांसें एक बार फिर पराली के धुएं में अटकने लगी हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी), पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) और सुप्रीम कोर्ट की सख्ती व आदेश दोनों ही हवा-हवाई साबित हो रहे हैं। स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दिल्ली में प्रदूषण में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से निकले धुएं की हिस्सेदारी इस बार भी करीब 23 फीसद तक पहुंच चुकी है।
पिछले कुछ सालों के हालात को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी और ईपीसीए की ओर से एनसीआर के सदस्य राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा एवं पंजाब के प्रदूषण बोर्ड अधिकारियों को अनेक बार तलब किया गया। हरियाणा-पंजाब को तो दो टूक शब्दों में स्पष्ट कर दिया गया कि अगली बार पराली का धुआं एनसीआर तक नहीं पहुंचना चाहिए। बावजूद इसके हकीकत कुछ और ही है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार 21 सितंबर से 25 अक्टूबर तक पंजाब में पराली जलाने के 14,461 मामले रिकॉर्ड किए गए हैं, जबकि 2019 में इसी अवधि के दौरान 9,796 मामले दर्ज किए गए थे। इसी तरह हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार हरियाणा में अभी तक पराली जलाने की 4,284 घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं। अकेले सोमवार को ही दोनों राज्यों में 1943 जगहों पर पराली जलाई गई है, जोकि इस सीजन में एक दिन का सबसे ज्यादा आंकड़ा है। बीमारियों का शिकार बना रहा
हवा में मौजूद धुआं
एन्वायरमेंटल साइंस एंड पॉल्यूशन रिसर्च जरनल में आइआइटी मुंबई की एक रिपोर्ट के मुताबिक हवा में मौजूद धुआं या वायु प्रदूषण से स्वास्थ्य पर नाकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इस रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण दिल्ली एसीआर के निवासियों को बीमार बना रहा है। इन बीमारियों में दमा, अस्थमा, मधुमेह, मस्तिष्क संबंधी रोग, आंखों में जलन, त्वचा रोग व फेफड़ों से संबंद्ध रोग शामिल हैं। इसी तरह अमेरिका के इंस्टीटयूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवेल्यूशन (आइएचएमई) की एक रिपोर्ट बताती है कि वायु प्रदूषण से इंसान की औसत उम्र तो घट ही रही है, लकवा, बांझपन व नपुंसकता जैसी स्थायी दिव्यांगता भी बढ़ रही है।