कोरोना के मामले बढ़ने के साथ ही अस्पतालों में बढ़ते गए बेड
राज्य ब्यूरो नई दिल्ली राजधानी में जैसे-जैसे कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा होता गया
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : राजधानी में जैसे-जैसे कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा होता गया वैसे-वैस यहां के अस्पतालों में कोविड बेडों की संख्या भी बढ़ती गई। यही कारण रहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की बदौलत कोरोना को काफी हद तक काबू करने में मदद मिली।
शुरुआत में आरएमएल व सफदरजंग अस्पताल में कोरोना के इलाज की व्यवस्था थी। 17 मार्च से लोकनायक अस्पताल में भी 50 बेड की व्यवस्था की गई और 20 मई से मरीजों को भर्ती करने का काम शुरू हआ। इसके कुछ दिनों बाद दिल्ली सरकार ने पाच अस्पतालों को कोरोना के इलाज के लिए अधिकृत कर दिया। इनमें लोकनायक, राजीव गाधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, जीटीबी, डीडीयू व अंबेडकर अस्पताल शामिल किए गए। इसी माह के अंत में निजामुद्दीन की घटना सामने आने के बाद एम्स ने राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआइ) में 125 बेड की व्यवस्था की। साथ ही एम्स ट्रॉमा सेंटर को भी कोरोना के इलाज के लिए तैयार किया गया। निजामुद्दीन की घटना के कुछ दिन बाद कोरोना के मामलों में स्थिरता आने पर जीटीबी, डीडीयू व अंबेडकर अस्पताल को कोविड के इलाज से मुक्त कर दिया गया और लोकनायक अस्पताल में 2000 व राजीव गाधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल मे 500 बेड की व्यवस्था करने का फैसला लिया गया।
मई में मामले बढ़ने पर निजी अस्पतालों में भी कोरोना का इलाज शुरू किया गया। जून में कोरोना के मामले अधिक बढ़ने के कारण जीटीबी अस्पताल को दोबारा कोविड अस्पताल घोषित कर दिया गया, जिसमें 1500 बेड की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा सभी निजी अस्पतालों में कोरोना के लिए बेड आरक्षित कर दिए गए। इस तरह अस्पतालों में बेड बढ़ते चले गए। मौजूदा समय में अस्पतालों में 15,301 बेड उपलब्ध हैं।
इसके अलावा दक्षिणी दिल्ली में 10 हजार बेड का कोविड केयर सेंटर व कैंट इलाके में दो हजार बेड क्षमता का अस्थायी अस्पताल तैयार किया गया है। जिसमें 250 वेंटिलेटर की व्यवस्था है। अस्पतालों में भी वेंटिलेटर बढ़ाए गए। इस वजह से वेंटिलेटर की संख्या 400 से बढ़कर 948 तक पहुंच गई है। लोकनायक अस्पताल में पहले 64 वेंटिलेटर थे, अब 125 वेंटिलेटर हैं। इसी तरह राजीव गाधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में वेंटिलेटर 29 से बढ़कर 150 हो गए हैं।