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पर्यावरण विशेषज्ञों ने किया स्वीकार, रफ्तार से नहीं हो रहा काम

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : डब्ल्यूएचओ की 20 प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष 14 शहर भारत के हैं और इस

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 May 2018 11:29 PM (IST)Updated: Wed, 02 May 2018 11:29 PM (IST)
पर्यावरण विशेषज्ञों ने किया स्वीकार, रफ्तार से नहीं हो रहा काम
पर्यावरण विशेषज्ञों ने किया स्वीकार, रफ्तार से नहीं हो रहा काम

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : डब्ल्यूएचओ की 20 प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष 14 शहर भारत के हैं और इसमें छठे नंबर पर दिल्ली है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण को लेकर अभी उतनी तेजी से काम नहीं हो रहा है। जब प्रदूषण से निपटने की तैयारी होती है तो ऑड-इवेन के लिए एनसीआर क्या दिल्ली भी तैयार नहीं दिखती है। डीजल इंजन को एनसीआर में बंद करना भी मुमकिन नहीं दिख रहा।

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ग्रीनपीस इंडिया ने इसी साल अपनी एक रिपोर्ट एयरोप्किल्पिस-2 जारी की थी। इसमें बताया गया कि भारत के 280 शहरों में से 80 फीसद की हवा सास लेने लायक नहीं है। ग्रीनपीस के वरिष्ठ संयोजक सुनील दहिया ने डब्ल्यूएचओ और भारतीय एजेंसियों की रिपोर्ट में कई जगह विरोधाभास भी बताया। उनके मुताबिक डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में सिर्फ 32 भारतीय शहरों के आकडे़ लिए गए हैं। इनमें चार उत्तर प्रदेश के हैं, जबकि सीपीसीबी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड देश के करीब 300 शहरों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम में जिन 100 शहरों को शामिल किया है, उसका इस रिपोर्ट से कोई लेना-देना नहीं है। डब्ल्यूएचओ की सूची में शामिल तीन शहर 100 शहरों की सूची से गायब हैं। इनमें पटना, गया और मुजफ्फरपुर शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में विश्व के प्रदूषित शहरों की सूची में चीन के कई शहर थे, लेकिन पिछले तीन साल में चीन ने स्थिति में सुधार किया है।

सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी का कहना है कि प्रदूषण राष्ट्रीय स्तर पर जन स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है। इससे निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ही अभियान चलाने की जरूरत है। यह देश के सभी शहरों में लागू होना चाहिए और इसमें कठोर कदम उठाने होंगे। सीएसई के अनुसार देश में 5000 से अधिक शहरों में सिर्फ 307 में ही अभी मॉनिटरिंग हो रही है। इनमें भी कई शहरों में मैन्युअल मॉनिटरिंग की जा रही है।


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