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एम्स के सुपर स्पेशियलिटी में प्रायोजित सीटें भी रहेंगी खाली

आगामी शैक्षिणक सत्र में एम्स के सुपर स्पेशियलिटी कोर्स की 45 सीटें खाली रहने के मामले में अब नई बात यह सामने आई है कि इस बार प्रायोजित (स्पांसर्ड) श्रेणी की सीटों पर भी संस्थान को योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पाए हैं। इसलिए इस श्रेणी की 39 सीटों में से 34 सीटें खाली रह जाएंगी। क्योंकि उन सीटों पर नामांकन के लिए अभ्यार्थी प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाए। इस वजह से एम्स में सुपर स्पेशियलिटी की सीटें खाली रहने की नौबत आने को चिकित्सा क्षेत्र के लिए गंभीर मामला माना जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 07:53 PM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 07:53 PM (IST)
एम्स के सुपर स्पेशियलिटी में प्रायोजित सीटें भी रहेंगी खाली

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : आगामी शैक्षणिक सत्र में एम्स के सुपर स्पेशियलिटी कोर्स की 45 सीटें खाली रहने के मामले में अब नई बात सामने आई है। इस बार प्रायोजित (स्पांसर्ड) श्रेणी की सीटों पर भी संस्थान को योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पाए हैं। इसलिए इस श्रेणी की 39 सीटों में से 34 सीटें खाली रह जाएंगी। क्योंकि उन सीटों पर दाखिले के लिए अभ्यर्थी प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाए। इस वजह से एम्स में सुपर स्पेशियलिटी की सीटें खाली रहने की नौबत आ गई है।

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एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर कहते हैं कि यदि यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में डॉक्टरों की कमी और बढ़ सकती है। प्रायोजित श्रेणी की सीटें खाली रहने से बाहर के अस्पतालों के डॉक्टरों की दक्षता निखारना मुश्किल होगा। एम्स की एक बड़ी जिम्मेदारी देशभर के लिए प्रशिक्षित डॉक्टर तैयार करना है। एम्स के डॉक्टर कहते हैं कि प्रायोजित श्रेणी के अंतर्गत कुछ सीटें रिजर्व रखी गई हैं। इसके अंतर्गत पड़ोसी राज्यों व आर्मी के अस्पताल से डॉक्टर सुपर स्पेशियलिटी कोर्स के लिए एम्स आते हैं। इसके अलावा नेपाल सहित पड़ोसी देशों से भी कुछ छात्र मेडिकल शिक्षा के लिए आते हैं, लेकिन इनका मुख्य मकसद दूसरे राज्य के अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों को सुपर स्पेशियलिटी कोर्स के लिए अवसर देना है। इन सीटों पर दाखिला लेने वाले डॉक्टरों के पढ़ाई का खर्च संबंधित राज्य सरकार व संस्थान उठाते हैं। इसके अंतर्गत जुलाई के सत्र में विभिन्न संकायों की 39 सीटें निर्धारित की गई थीं, इसमें 22 विभागों की सीटें नहीं भर पाएंगी। न्यूरो रेडियोलॉजी व पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी की सीटों पर किसी ने आवेदन भी नहीं किया था। शेष विभागों में स्नातकोत्तर कर चुके डॉक्टरों ने आवेदन तो किया था पर वे प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल नहीं कर सके।

उल्लेखनीय है कि एम्स ने सुपर स्पेशियलिटी की प्रवेश परीक्षा में सफलता के लिए योग्यता के नियमों में बदलाव किया है। इसके तहत अभ्यर्थियों को परीक्षा में कम से कम 50 फीसद अंक लाना अनिवार्य कर दिया गया है, जबकि पहले 50 परसेंटाइल के आधार पर सीटें भरी जाती थीं।


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