Move to Jagran APP

दिल्ली में 184 किसान संगठनों ने केंद्र को घेरा

देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में दिल्ली पहुंचे किसानों ने सोमवार को अपनी ताकत का अहसास कराया। रामलीला मैदान से लेकर संसद मार्ग तक किसानों ने बड़ी रैली आयोजित की, जिसमें देशभर के 1

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Nov 2017 10:15 PM (IST)Updated: Mon, 20 Nov 2017 10:15 PM (IST)
दिल्ली में 184 किसान संगठनों ने केंद्र को घेरा
दिल्ली में 184 किसान संगठनों ने केंद्र को घेरा

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में दिल्ली पहुंचे किसानों ने सोमवार को अपनी ताकत का अहसास कराया। रामलीला मैदान से लेकर संसद मार्ग तक किसानों ने बड़ी रैली आयोजित की, जिसमें देशभर के 184 किसान संगठन शामिल हुए। रैली के दौरान किसानों ने केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में जमकर नारेबाजी की। अलग-अलग रंग के झंडे को हाथ में थामे किसान अपनी आवाज को बुलंद कर रहे थे। संसद मार्ग पर पहुंचने के बाद यह रैली किसान मुक्ति संसद में तब्दील हो गई, जिसमें महिला किसानों ने भी हिस्सा लिया।

loksabha election banner

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के तत्वाधान में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। वहीं किसान मुक्ति संसद में कृषि उपज लाभकारी मूल्य गारंटी बिल और संपूर्ण कर्जा मुक्ति बिल को पारित भी किया गया। दो दिन तक चलने वाली संसद की सभापति विख्यात समाजसेवी मेधा पाटेकर हैं। इस दौरान आत्महत्या करने वाले किसानों को श्रद्धांजलि भी दी गई।

मेधा पाटेकर ने कहा कि केंद्र सरकार की वर्तमान नीति देश के किसानों, मजदूरों और लगभग सभी तत्वों के लिए विनाशकारी है। वहीं, महिला किसान अपने उन परिजनों की तस्वीर भी लेकर पहुंची थी, जिन्होंने कर्ज न चुकाने की वजह से आत्महत्या कर ली थी। कुछ महिला किसान सांसदों ने अपनी आपबीती भी सुनाई। बिहार के सासाराम से पहुंची शांति देवी ने बताया कि यहां पर किसान कर्ज माफी और फसल का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को लेकर आए हैं।

वहीं, किसानों को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि इतिहास में गौरव का यह दिन है जिन किसान महिलाओं की आवाज लोकसभा और राज्यसभा में कोई नहीं सुनता है वे यहां खुद महिला संसद बनाकर अपनी बातें रख रही हैं। महिलाओं को किसानों तक दर्जा नहीं मिला है। साढ़े तीन साल से ज्यादा का समय गुजर चुका है, लेकिन केंद्र सरकार किसानों के हित में कुछ नहीं कर सकी है।

जय किसान आदोलन-स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि किसान मुक्ति संसद देश के किसान आदोलन के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी। पीले और नीले झडे जुड़ने से किसान संघर्ष का इंद्र धनुष बना है। किसान ने बहुत धोखा खाया है, लेकिन अब नहीं खाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.