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महज 14 साल की उम्र में की क्षुद्रग्रह की खोज

दिल्ली निवासी माउंट आबू स्कूल के 14 वर्षीय छात्र निखिल झा ने अखिल भारतीय क्षुद्रग्रह खोज अभियान में एक मापनिक नाम के क्षुद्रग्रह की खोज की है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 12:52 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 06:08 AM (IST)
महज 14 साल की उम्र में की क्षुद्रग्रह की खोज
महज 14 साल की उम्र में की क्षुद्रग्रह की खोज

रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली:

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दिल्ली निवासी माउंट आबू स्कूल के 14 वर्षीय छात्र निखिल झा ने अखिल भारतीय क्षुद्रग्रह खोज अभियान में एक मापनिक नाम के क्षुद्रग्रह की खोज की है। हालांकि यह नाम निखिल की ओर से दिया गया है, इसका असली नाम नासा की ओर से रखा जाएगा। यह अंतरराष्ट्रीय विज्ञान कार्यक्रम भारतीय खगोलविदों ने अंतरराष्ट्रीय खगोलीय खोज सहयोग (आइएएससी), हार्डिन सीमन्स विश्वविद्यालय और टेक्सास के सहयोग से संचालित किया था। अभियान में कई भारतीय छात्रों ने हिस्सा लिया था। वहीं, 10वीं कक्षा के छात्र निखिल के क्षुदग्रह की खोज की पुष्टि आइएएससी न भी की है। निखिल के मुताबिक भविष्य में वैज्ञानिक संदर्भ के लिए नासा जैसी अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां इस खोज पर अध्ययन भी कर सकती हैं। सबसे कम उम्र के प्रतिभागी बने निखिल

यह प्रतियोगिता वर्ष 2019 में करवाई गई थी, जिसका परिणाम मई, 2020 में आया है। इस प्रतियोगिता में यह मुकाम हासिल करने वाले वह सबसे कम उम्र के प्रतिभागी बन गए हैं। निखिल के मुताबिक इस उपलब्धि को संभव बनाने के लिए उन्होंने माउंट आबू स्कूल की एस्ट्रोनॉमी लैब में कड़ी मेहनत की और उनके शिक्षकों ने भी इसमें उनका सहयोग किया। प्रतियोगिता में हर साल 400 स्कूल-कॉलेज लेते हैं भाग

निखिल ने बताया कि इस प्रतियोगिता में हर साल 400 से भी ज्यादा स्कूल व कॉलेज भाग लेते हैं। प्रतियोगिता में छात्रों को माइनर प्लेनेट सेंटर की रिपोर्ट तैयार करनी होती है। रिपोर्ट को आइएएससी के पास भेजा जाता है, जो इसकी समीक्षा करता है और एक साल में छात्रों को परिणाम बता देता है। विज्ञान में है गहरी रुचि

निखिल अक्सर किताबें पढ़कर, खगोल विज्ञान और खगोल फोटोग्राफी, डेटा एनालिटिक्स व रोबोटिक्स की खोज करके अपने खाली समय का उपयोग करते हैं। इसैक न्यूटन और एडविन हबल उनकी प्रेरणा के स्त्रोत हैं। उनके मुताबिक उनकी शुरू से ही खगोल विज्ञान में गहरी रुचि थी। वह हमेशा सितारों और आकाश को देखते हुए उत्सुक हो जाते थे और फिर शिक्षकों से जानने की कोशिश करते थे कि इससे आगे क्या है और यह किस चीज से बना है। उन्होंने बताया कि जब उनके स्कूल में खगोल विज्ञान प्रयोगशाला खुली, तो एक खगोल विज्ञान क्लब भी था, जहां उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया। विज्ञान के प्रति बढ़ा जुनून

इस खोज के साथ निखिल का खगोल विज्ञान के प्रति प्रेम और जुनून अधिक बढ़ गया है। इसके अलावा, उनका उद्देश्य केवल भारत में ही नहीं बल्कि वैश्विक क्षेत्र में भी इसे आगे बढ़ाने की आकांक्षा है। उनका विश्वास है कि सपने पूरे करने के लिए कड़ी मेहनत ही एकमात्र रास्ता है। कई पुरस्कार हासिल कर चुके हैं निखिल

- नेहरू तारामंडल की ओर से 2019 में करवाई गई अंतरिक्ष प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में दूसरा पुरस्कार।

- अब्दुल कलाम इंटरनेशनल फाउंडेशन की ओर से संचालित गतिविधियों में प्रथम पुरस्कार।

- आइआइएलएस विश्वविद्यालय की ओर से करवाए गए आइआइएलएम यंग सिटीजन अवॉर्ड फॉर इनोवेशन एंड सोशल इम्पैक्ट, 2019 के ग्रैंड फिनाले तक पहुंचे हैं।


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