कंप्यूटर के लिए सहयोगी भाषा है संस्कृत
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : संस्कृत विषय को आइआइटी में शुरू करने का भले ही कुछ जगह विरोध हो रहा हो, ले
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : संस्कृत विषय को आइआइटी में शुरू करने का भले ही कुछ जगह विरोध हो रहा हो, लेकिन विशेषज्ञ इसे न केवल प्राचीन बल्कि कंप्यूटर जैसे आधुनिक माध्यम के लिए वैज्ञानिक और सटीक भाषा मानते हैं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के संस्कृत अध्ययन केंद्र में कंप्यूटर के माध्यम से संस्कृत से ¨हदी में अनुवाद का कार्य हो रहा है। संस्कृत पढ़ने के लिए भी कंप्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है। संभावना है कि जल्द ही कंप्यूटर संस्कृत से ¨हदी में परिष्कृत अनुवाद करने लगेगा।
संस्कृत अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष प्रो. गिरीशनाथ झा का कहना है कि हम कंप्यूटर को रोजाना प्रयोग की भाषा सिखाते हैं ताकि वह पढ़ने और अन्य कार्यो में मदद कर सके। संस्कृत इसके लिए काफी अनुकूल है क्योंकि यह परिष्कृत, वैज्ञानिक और श्रृंखलाबद्ध भाषा है। पाणिनी का व्याकरण बेहतर है। इसलिए अन्य भाषाओं की तुलना में कंप्यूटर इसे आसानी से समझता है।
जेएनयू के पूर्व छात्र और अमेरिका में साफ्टवेयर इंजीनियर रह चुके प्रो. गिरीशनाथ झा का कहना है कि यहां पर छात्रों ने हितोपदेश की 25 कहानियों का एनीमेशन भी संस्कृत और ¨हदी में किया है। अध्ययन केंद्र की वेबसाइट पर कोई भी ऋगवेद, महाभारत आदि के बारे में मूल संस्कृत से ¨हदी में पढ़ सकता है या किसी शब्द को आसानी से खोजा जा सकता है।
प्रो. झा का कहना है कि संस्कृत को लेकर सोच बदलने की आवश्यकता है। यह एक वैज्ञानिक भाषा है। इसको लेकर सरकार का रुख सराहनीय है। वाराणसी के एक वैद्य की पुस्तक रसायन शास्त्र का अनुवाद यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स में मैंने एक टीम के साथ किया। वहां रजत भस्म में नैनो पार्टिकल ढूंढ़ने पर शोध हो रहा है। पश्चिम में छात्र को वहां एक क्लासिक भाषा पढ़ाई जाती है, जबकि भारत में संस्कृत कई स्कूलों से गायब हो रही है। अमेरिका विमान शास्त्र पर काम कर रहा है, लेकिन यदि कोई भारतीय वैज्ञानिक संस्कृत के ग्रंथों का विज्ञान में प्रयोग करे तो उसे दकियानूस कहा जाता है।