Move to Jagran APP

अब मिठास नहीं, समस्याओं से गांव की पहचान

By Edited By: Published: Wed, 14 May 2014 07:59 PM (IST)Updated: Wed, 14 May 2014 07:59 PM (IST)
अब मिठास नहीं, समस्याओं से गांव की पहचान

दिल्ली देहात व शहरी क्षेत्र को आपस में जोड़ने वाले नजफगढ़ रोड के किनारे बसे नंगली सकरावती गांव का अतीत समस्याओं से मुक्त रहा है। शहरीकरण की तेज रफ्तार के कारण यह गांव बिजली-पानी व जलनिकासी समेत कई समस्याओं से जूझ रहा है। पहले गन्ने की मिठास से जाना जाने वाले गांव की अब पहचान समस्याओं से होती है।

loksabha election banner

----------

गांव की आबादी : 12 हजार लगभग

कुल मतदाता- लगभग 3500

आसपास बसी कॉलोनियां- राणाजी एंक्लेव, अर्जुन पार्क, इंद्रा पार्क, नंगली डेयरी, जय विहार,

गांव का इतिहास

कभी गन्ने की खेती के लिए दिल्ली देहात में प्रसिद्ध नंगली सकरावती गांव गन्ने की मिठास के लिए जाना जाता था। इस मिठास के कारण ही गांव को नंगली सकरावती नाम मिला। सकरावती यानी शक्कर वाला गांव। गन्ने से गांव में ही शक्कर बनाई जाती थी। चंद दूरी पर स्थित नजफगढ़ बाजार में इस शक्कर की खपत आसानी से हो जाती थी, लेकिन अब धीरे-धीरे गांव से खेती विलुप्त होती जा रही है। अब जो थोड़े बहुत खेत हैं उनमें सब्जियों की खेती होती है। गांव का इतिहास करीब 350 वर्ष पुराना है। तब यहां दिचाऊं गांव से लोग बसने आए थे। गांव के बुजुर्ग बताते थे हैं कि हमारे पूर्वज दिचाऊं गांव में हरियाणा स्थित नारीनारा गांव से आकर बसे थे। इस स्थानांतरण की कहानी भी दिलचस्प है। नारीनारा गांव में दहिया गोत्र के जाटों की बहुसंख्य आबादी थी। एक दिन तेहलान गोत्र के मुखिया को गांव के नाई ने बताया कि दहिया गोत्र वाले आप लोगों पर आज रात हमला करने वाले हैं। इसकी भनक मिलते ही तेहलान गोत्र वाले दिचाऊं आकर बस गए। दिचाऊं वालों की जमीन नंगली सकरावती के पास थी। जिस व्यक्ति को नंगली सकरावती गांव के पास की जमीन हिस्से में मिली, उसे दिचाऊं से यहां आने में काफी मुश्किल होती थी। ऐसे में उसने नंगली सकरावती में ही बसने का फैसला किया। जब गांव बसना शुरू हुआ था तब गांव में दादा राणा जी संत होते थे। इन्हें पीर बाबा भी कहा जाता था। जिस जगह पर बाबा रहते थे वहां आज दादा राणानाथ पीर जी मठ बना हुआ है। इस मठ को लोग दादा राणा जी के मंदिर नाम से जानते हैं। आज भी गांव वाले किसी भी कार्य की शुरुआत इस मंदिर में माथा टेकने के बाद ही करते हैं।

तीन प्रमुख मुद्दे

पानी की किल्लत

गांव से चंद मीटर के फासले पर स्थित नजफगढ़ स्थित भूमिगत जलाशय से पूरे नजफगढ़ व ग्रामीण क्षेत्र की प्यास भले ही बुझती हो, लेकिन नंगली सकरावती गांव को इससे खास फायदा नहीं होता। गांव का आधा हिस्सा पानी की घोर किल्लत का शिकार है। जिस हिस्से में पानी की आपूर्ति होती है वहां भी दूषित पानी के कारण लोग परेशान हैं। समस्या का कारण गांव में डाली गई पानी की पुरानी पाइप लाइन है, जो 70 के दशक में डाली गई थी। यह लाइन अब कई जगह जर्जर हो चुकी है। इसके अलावा गांव में लगा ट्यूबवेल अब बंद होने के कगार पर है। इसका पानी खारा होता है। दूषित पानी की समस्या के बारे में गांव वालों का कहना है कि इसकी वजह पानी की लाइन के ठीक ऊपर से गुजरने वाली सीवर की लाइन है।

नहीं मिलती पूरी बिजली

गांव में बिजली से जुड़ी परेशानी लोगों की दुखती रग है। गांव में बिजली की आपूर्ति के लिए अभी सिर्फ एक ट्रांसफार्मर हैं, जहां नजफगढ़ ग्रिड से बिजली आती है। गांव वालों के मुताबिक यह ट्रांसफार्मर करीब 40 वर्ष पूर्व लगाया गया था। तब गांव की आबादी काफी कम होती थी। लोग बिजली का इस्तेमाल भी कम करते थे, लेकिन बदलती जीवन शैली और जनसंख्या में आए उछाल से अब बिजली की जरूरत पहले से कई गुना बढ़ चुकी है। ऐसे में ट्रांसफार्मर से काम नहीं चलता है। गांव में कई घंटे बिजली गुल रहती है। वोल्टेज में उतार-चढ़ाव की समस्या भी आए दिन बनी रहती है। लोगों के मुताबिक बिजली की समस्या पानी की समस्या को और भी विकराल बना देती है। बिजली नहीं होने से लोग पानी के लिए मोटर नहीं चला पाते हैं।

जलनिकासी की व्यवस्था चौपट

गांव की छोटी से लेकर बड़ी नालियां गंदगी से भरी हैं। कभी-कभार छोटी नालियों की सफाई होती है, लेकिन वह भी तरीके से नहीं होती। नालियां अधिकतर जगहों पर खुली हैं। बड़ी समस्या यह है कि गांव के बरसाती पानी की निकासी के लिए गांव के बाहर श्मसान घाट की ओर जाने वाले रास्ते पर एक चौड़ी नाली बनी है। यह नाली मुंगेशपुर नाले से जुड़ी है, लेकिन समस्या यह है कि श्मसान घाट के रास्ते से गुजरने वाली बड़ी नाली गंदगी से अटी पड़ी है। इसकी सफाई लंबे समय से नहीं हुई है। ऐसे में बारिश के समय गांव में जल निकासी की समस्या हर वर्ष रहती है। इस बार समस्या लोगों को कुछ ज्यादा ही गंभीर नजर आ रही है, क्योंकि यह नाली अब पूरी तरह गाद व गंदगी से भर चुकी है।

लोगों की आवाज

फोटो नंबर 13 यूटीएम 5

चाहे जल निकासी की बात करें या साफ-सफाई की। हर जगह स्थिति में सुधार होना चाहिए, लेकिन इस गांव में कोई भी सरकारी विभाग समस्याओं को दूर करने की दिशा में प्रयास करता नहीं दिख रहा है।

-मास्टर चांदराम।

फोटो नंबर 13 यूटीएम 6

गांव में पानी की किल्लत हमेशा रहती है। इस बारे में गांव के लोग शिकायत करते-करते थक चुके हैं, लेकिन समस्या जस की तस है। कुल मिलाकर स्थिति निराशाजनक है। लोग पीने का पानी खरीदने को मजबूर हैं।

-सतबीर सिंह।

फोटो नंबर 13 यूटीएम 7

गर्मी के मौसम में चाहे बिजली हो या पानी, दोनों ही मुद्दों पर गांव वालों को परेशानियों से जूझना पड़ता है। गांव में समस्याओं की कमी नहीं है। सच कहूं तो अब गांव वालों ने समस्याओं के साथ समझौता कर जीना सीख लिया है।

-ईश्वर सिंह।

फोटो नंबर 13 यूटीएम 8

गांव की चौपाल के सामने छोटा सा पार्क है। इस पार्क की दशा अत्यंत दयनीय है। एक तो इकलौता पार्क, ऊपर से यह बदहाल है। कुल मिलाकर शर्मनाक स्थिति है, लेकिन सरकारी विभागों पर इसका असर पड़ता नहीं दिख रहा है।

-प्रदीप कुमार।

------------

फोटो नंबर 13 यूटीएम 9

बड़े नाले की सफाई के लिए हम एक नहीं, कई सरकारी विभागों के पास गुहार लगा चुके हैं। हर कोई जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहा है। यदि ऐसा ही हाल रहा तो इस बार बारिश में गांव में जलभराव की समस्या बड़ी परेशानी का कारण बनेगी।

-दीवान सिंह।

------------

फोटो नंबर 13 यूटीएम 10

यह इस गांव का दुर्भाग्य है कि ग्रिड व पानी के जलाशय से सटे होने के बाद भी यहां बिजली व पानी दोनों की किल्लत है। यह समस्या दिन ब दिन गंभीर होती जा रही है।

-विजय कुमार।

फोटो नंबर 13 यूटीएम 11

सरकार ने गांव की कीमत पर शहरों का विकास किया। जितनी दिलचस्पी सरकार ने गांव की कृषि योग्य भूमि लेने में दर्शाई, उतनी दिलचस्पी अगर यहां के विकास में भी दर्शाई होती तो आज नंगली सकरावती दिल्ली का आदर्श गांव बन जाता। यह हमारा दुर्भाग्य रहा कि सरकार ने यहां कभी भी विकास करने की दिशा में गंभीरता के साथ प्रयास नहीं किया। आज चाहे बिजली हो या पानी, हर मामले में यह गांव पिछड़ा इलाका बन चुका है। आप चाहे किसी भी सरकारी विभाग में समस्याओं के बारे में शिकायत दर्ज करा लें, लेकिन उनकी दिलचस्पी शिकायत दूर करने के बजाय समस्या को टरकाने में अधिक होती है।

भरत सिंह, प्रधान ।

--------------

चाहे गांव हो या शहर, हर जगह विकास हमारी प्राथमिकता है। नंगली सकरावती गांव की समस्याओं के समाधान का प्रयास किया जाएगा। सफाई के बारे में जो भी समस्या है, उसकी जानकारी लेकर उसे दूर किया जाएगा। जहां तक नालियों की सफाई का प्रश्न है तो यह कार्य बारिश से पूर्व हो जाएगा। इसके अलावा जो भी समस्याएं निगम के क्षेत्राधिकार में है, उससे जुड़ी जानकारी लेकर उसे दूर किया जाएगा।

मुकेश यादव, निदेशक, प्रेस एवं सूचना, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.