सचिन तेंदुलकर के लिए यॉर्कशायर ने तोड़ा था 129 साल पुराना नियम
1863 में बने यॉर्कशायर क्लब ने 129 साल तक किसी विदेशी खिलाड़ी को अपने यहां से खेलने का मौका नहीं दिया था।
अभिषेक त्रिपाठी, लीड्स। सचिन तेंदुलकर यानी क्रिकेट के भगवान.. बात 1992 की है तब उनके खाते में कुछ हजार रन ही थे, वह क्रिकेट के भगवान भी नहीं थे, लेकिन उनके अंदर क्रिकेट की इतनी चाहत थी कि वह दुनिया के हर कोने में खेलना चाहते थे, ऐसी ही एक चाहत थी इंग्लैंड के सबसे पुराने काउंटी क्लबों में से एक यॉर्कशायर के लिए खेलना। अंग्रेज अपने नियमों के पक्के होते हैं और वह किसी की चाहत के लिए उन्हें नहीं तोड़ते हैं, लेकिन सचिन की प्रतिभा और एक अन्य भारतीय मूल के पूर्व खिलाड़ी सोली एडम की मेहनत के आगे उन्हें झुकना पड़ा।
1863 में बने यॉर्कशायर क्लब ने 129 साल तक किसी विदेशी खिलाड़ी को अपने यहां से खेलने का मौका नहीं दिया था। उनके क्लब में सिर्फ यॉर्कशायर के ही खिलाड़ी खेलते थे, लेकिन भारतीय मूल के ब्रिटिश खिलाड़ी सोली एडम से जब सचिन ने संपर्क किया तो उन्होंने इसके लिए कोशिश शुरू की। यॉर्कशायर के पूर्व क्रिकेटर सोली कहते हैं कि 1992 में इस क्रिकेट क्लब के लिए वही खेल पाता था, जो यहां का निवासी होता था, लेकिन सचिन इस क्लब से खेलने वाले पहले गैर-यॉर्कशायर खिलाड़ी बने। सचिन ने अपनी आत्मकथा में भी इस बारे में लिखा है कि वो साढ़े चार महीने मेरी जिंदगी के सबसे खूबसूरत दिन थे।
यहां के बड़े बिजनेसमैन और भारत व पाकिस्तान के सैकड़ों क्रिकेटरों को इंग्लिश काउंटी क्लबों में खेलने में मदद करने वाले 67 वर्षीय सोली कहते हैं कि मैं सचिन को तब से जानता हूं जब वह क्रिकेट के भगवान नहीं थे। वह तब ना लिटिल मास्टर थे और ना ही कोई स्टार। वह हमारी डाइनिंग टेबल में हमारे साथ खाना खाते थे। वह भारतीय खाना खाने के लिए हमारे यहां आते थे। मेरी पत्नी और भाभी उनके कपड़े धोती थीं क्योंकि उनको यह सब करना नहीं आता था। जब भी वह फ्री होते थे तो हम उनको किसी की शादी में और सिनेमा देखने के लिए ले जाते थे। उन्हें लीड्स के केंटकी का फ्राइड चिकन पसंद था। सचिन जब मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में रिटायर हो रहे थे तो उन्होंने मुझे बुलाया था। मैं देखकर हैरान था कि लोग उनके लिए पागल थे।
मालूम हो कि सचिन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के तीन साल बार 1992 में यॉर्कशायर के लिए एक सत्र तक क्रिकेट खेला। उन्होंने उस दौरान 46.52 के औसत से 1000 से ज्यादा रन बनाए। उन्होंने सत्र के अंत में डरहम के खिलाफ चार दिवसीय मैच में 96 गेंदों में शतक लगाया था। उन्होंने इसके अलावा सात अर्धशतक भी लगाए थे। उन्होंने लंकाशायर के खिलाफ वनडे मैच में 265 रनों का पीछा करते हुए 107 रनों की धमाकेदार पारी भी खेली थी, लेकिन उनकी टीम चार रन से हार गई। हालांकि, वह 1992 के बाद कभी काउंटी नहीं खेले।
सोली एडम कहते हैं कि उन्हें यॉर्कशायर से खिलाने के लिए मुझे बहुत पापड़ बेलने पड़े। मैंने क्लब वालों से कई मुलाकात कीं और उनसे बहुत झगड़ा करना पड़ा। अंत में वे माने। फिर मैंने सचिन तेंदुलकर का नाम प्रस्तावित किया। सचिन ने अनुरोध किया था कि सोली भाई मुझे अलग घर देना, लेकिन ड्यूजबरी में ही रहना है। सचिन जब यॉर्कशायर के लिए पहला मैच खेलने गए तो हम लोग साथ में ही गए थे। सचिन ने कहा था कि मुझे शतक बनाना है। पहले उसने 50 रन बनाए, फिर 60, फिर 70, फिर 80 और अंत में 86 रन पर आउट हो गया। उनकी आखिरी रात मुझे याद है। उन्होंने दरवाजा खटखटाया और कहा कि सोली भाई मैं जा रहा हूं, आपके और भाभी के पैर छूने आया हूं।