IPL 2018: इस वजह से है मुंबई इंडियंस आइपीएल 2018 की सबसे संतुलित टीम
मुंबई आइपीएल की सबसे संतुलित टीम है।
संजय मांजरेकर का कॉलम
इतने करीबी मुकाबले हमें आइपीएल के किसी सत्र में देखने को नहीं मिले। अंक तालिका इसे बयां भी करती है। एक टीम को छोड़कर लगभग हर टीम प्लेऑफ की होड़ में लगी है। हो सकता है कि सभी के लिए न हो, लेकिन अधिकतर के पीछे कोई न कोई वजह है।
मेरी भी अपनी एक सोच है कि इतने करीबी मुकाबले क्यों हो रहे हैं और बावजूद इसके उम्मीद खो चुकी टीमें वापसी कर रही हैं, जबकि इसका उलटा भी देखने को मिल रहा है। मेरा मानना है कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि इस आइपीएल में अधिकतर टीमों की कुछ मजबूती है तो कुछ कमजोरियां भी हैं, जो किसी न किसी दिन सामने आ जाती हैं। इससे विपक्षी टीमों को वापसी का मौका मिल रहा है। जरा आरसीबी को देखिए। टीम के पास एबी डिविलियर्स और विराट कोहली के रूप में दो बेहतरीन बल्लेबाज और चहल व साउथी के रूप में दो असाधारण गेंदबाज हैं। इन चारों को छोड़ दें तो बाकी खिलाड़ी अपेक्षाकृत योगदान नहीं दे रहे हैं जो टीम की सबसे बड़ी कमजोरी है।
राजस्थान रॉयल्स की टीम में कई खिलाड़ी बेहतरीन हैं, लेकिन टीम का आत्मविश्वास कमजोर है और इस प्रारूप में आत्मविश्वास बेहद जरूरी है। रहाणे, स्टोक्स और उनादकट अपेक्षानुरूप नहीं खेल सके हैं और अगर बटलर भी इस सूची में शामिल हो जाते तो अब तक टीम का पुलिंदा बंध चुका होता। किंग्स इलेवन पंजाब का गेंदबाजी आक्रमण अश्विन और मुजीब के शानदार हाथों में है और टीम के पास गेल व राहुल के रूप में जबरदस्त ओपनिंग जोड़ी है। मगर अपने करियर के इस पड़ाव पर गेल आपको लगातार रन बनाकर नहीं दे सकते। इन दोनों के बाद मध्य क्रम उतना मजबूत नजर नहीं आता। टीम की तेज गेंदबाजी भी बेहतर तरीके से संभालने की जरूरत है। दिल्ली डेयरडेविल्स की बल्लेबाजी काफी युवा हाथों में है। इसमें अनुभव की कमी झलकती है।
टीम के पास कोई गेम बदलने वाली स्पिन जोड़ी भी नहीं है। वहीं कोलकाता नाइटराइडर्स को प्रभाव छोडऩे के लिए स्पिन के मुफीद माहौल चाहिए। अगर उसे ऐसी स्थिति नहीं मिलती तो यह टीम साधारण नजर आती है। सभी टीमों में सनराइजर्स हैदराबाद सबसे मजबूत है। उनके गेंदबाज अगुआई कर रहे हैं। टीम के बल्लेबाज भी अब मोर्चा संभाल रहे हैं। चेन्नई सुपर किंग्स के पास अपार अनुभव है, लेकिन फिटनेस की कमी इस प्रारूप में मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। मुंबई इंडियंस की कहानी थोड़ी अजीब है। सुनील नारायण की तरह गेम चेंजर स्पिनर की कमी छोड़ दें तो टीम बेहद संतुलित है। यह ऐसी टीम है जिसकी सबसे कम कमजोरियां हैं। तो क्या वजह है कि उनका सफर भी इतना आसान नहीं रहा। आखिर यही तो टी-20 का रोमांच है।