गलत है खबर, मैंने धौनी की वजह से नहीं लिया था संन्यास: लक्ष्मण
किसी ने पूछा कि क्या आपने धौनी को भी बताया तो मैंने कहा कि उसका नंबर पहुंच से बाहर है।
नई दिल्ली, जेएनएन। ‘वेरी-वेरी स्पेशल’ वीवीएस लक्ष्मण ने वर्ष 2012 में संन्यास लिया था और अब वह अपनी किताब ‘281 एंड बियोंड’ में पुराने राज खोल रहे हैं। लोग मानते हैं कि लक्ष्मण ने तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धौनी के कारण अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया लेकिन उन्होंने अब इसको नकारा है। कई मुद्दों पर वीवीएस लक्ष्मण से अभिषेक त्रिपाठी ने विशेष बातचीत की। पेश हैं उनसे बातचीत का पहला अंश-
जब आपने तत्कालीन कप्तान धौनी को संन्यास की बात करनी चाही तो उनका फोन नहीं मिला। आपने इस बात को प्रेस वार्ता में कहा था। बाद में लोगों ने कहा कि आपने उनके कारण ही संन्यास लिया?
हां, केवल धौनी को ही नहीं, मैं जितने भी खिलाड़ियों के साथ खेला, उन सभी को फोन किया। जिन कोचों और दोस्तों का योगदान मेरे करियर में रहा है, उन सभी को मैंने फोन करके बताया। दोपहर का समय था, मैंने धौनी को भी फोन किया लेकिन उनका नंबर पहुंच से बाहर था। जब मैं प्रेस वार्ता में संन्यास की घोषणा कर रहा था तो किसी ने सवाल पूछा कि क्या आपने अपने साथी खिलाड़ियों को बताया तो मैंने कहा कि हां, सभी को बता दिया।
किसी ने पूछा कि क्या आपने धौनी को भी बताया तो मैंने कहा कि उसका नंबर पहुंच से बाहर है। तब मैंने मजाक के लिहाज में कहा था कि आपको पता ही है कि धौनी तक पहुंचना कितना मुश्किल है। एक बार अमिताभ बच्चन ने भी धौनी के लिए यह डॉयलाग मारा था, लेकिन मजाक में बोली गई मेरी उस बात को लोगों ने विवाद बना दिया कि मैं संन्यास इसलिए ले रहा हूं क्योंकि धौनी से नाराज हूं।
इसके बाद हैदराबाद में ही टेस्ट मैच के दौरान मैं किसी से नहीं मिला था। टेस्ट खत्म होने के बाद मैं टीम होटल जाकर सभी खिलाड़ियों से मिला और सपोर्ट स्टाफ से मिला। धौनी से भी मिला और उसे बताया कि मैं उसको कॉल कर रहा था लेकिन दरअसल मेरे पास जो धौनी का नंबर था वह 2011 ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान वाला था। धौनी ने उस दौरे के बाद अपना नंबर बदल लिया था। अभी भी लोग समझते हैं कि मैंने धौनी की वजह से संन्यास लिया जबकि यह सही नहीं है। इसके बारे में मैं और धौनी बात करके हंस रहे थे कि कैसे एक मजाक को लोग विवाद बना देते हैं।
आपको रिटायरमेंट के छह साल बाद किताब लिखने का ख्याल कैसे आया?
मेरे मेंटर और मेरे मामा बाबा कृष्णमोहन ने कहा था कि मैं अपने सफर को दुनिया के साथ साझा करूं। मैंने सोचा था कि संन्यास लेने के बाद किताब लिखूंगा लेकिन व्यस्तता की वजह से नहीं लिख पाया। दो साल पहले मैं गोवा में मोटीवेशनल स्पीच दे रहा था, तब 70 साल के बुजुर्ग आए और उन्होंने मुझसे कहा कि यह काफी प्रेरक है। आप किताब क्यों नहीं लिखते। तभी मेरे दिमाग में आ गया था कि मुझे अपनी किताब पर काम करना है। इस किताब को खत्म करने में डेढ़ साल लगे।
भारतीय क्रिकेटर आत्मकथा में विवादों पर लिखने से बचते हैं। सचिन का उदाहरण सामने है। क्या आपने भी ऐसा किया?
बिलकुल नहीं। यह किताब विवाद पैदा करने के लिए नहीं है, बल्कि प्रेरणा देने के लिए है। इस किताब के जरिये मेरे बारे में जानकर लोग कुछ सीख सकते हैं। मेरे माता-पिता दोनों डॉक्टर थे। मेरे परिवार में या तो इंजीनियर हैं या डॉक्टर हैं। मैं खुद एक डॉक्टर बनना चाहता था। ऐसे में क्रिकेट को पेशे के रूप में चुना। मेरे माता-पिता ने मुङो क्रिकेट चुनने का एक विकल्प दिया। क्रिकेटर के जीवन में परिवार की अहमियत क्या होती है, पत्नी का सहयोग कितना जरूरी है यह सब इससे पता चलेगा।
गंभीर, सहवाग, द्रविड़ और आप को मैदान से बाहर संन्यास लेना पड़ा। जिंदगी क्रिकेट पर लगाने के बाद बड़े क्रिकेटर को जब मैदान पर संन्यास लेने का मौका नहीं मिलता तो कैसा लगता है?
संन्यास का फैसला बेहद निजी होता है। बहुत कम ऐसे खिलाड़ी हैं जो चाहते हैं कि उन्हें मैदान में ही संन्यास लेना है। मैंने जब संन्यास का फैसला किया था तो मैं खुश था। मेरे हिसाब से वह सही फैसला था। सभी चाहते थे कि मैं एक साल और खेलूं क्योंकि उन्हें पता था कि मेरे में खेलने की क्षमता बाकी थी लेकिन मुझे लगा कि वह संन्यास का सही वक्त था।
पहले टेस्ट में कुलदीप या भुवनेश्वर को ना खिलाना क्या सही फैसला है?
भारतीय टीम के पास गेंदबाजी में बहुत ज्यादा विकल्प हैं। आपके पास पांच ऐसे तेज गेंदबाज हैं जो किसी भी परिस्थिति में विकेट निकाल सकते हैं और पांचों तेज गेंदबाज अलग तरह से गेंदबाजी करने की कोशिश करके विकेट निकालने का प्रयास करते हैं। मेरा मानना है कि अश्विन सबसे अनुभवी स्पिनर हैं और उनके पास वह कला है कि वह ऑस्ट्रेलिया की परिस्थितियों में भी विकेट निकाल सकते हैं।
कुलदीप भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। खासतौर से सीमित ओवरों के प्रारूप में वह अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भी उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया और रवींद्र जडेजा भी गेंद के अलावा बल्ले से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। अश्विन पहले टेस्ट के लिए अच्छा विकल्प हैं।
सभी गेंदबाज तो एक साथ नहीं खेल सकते। शमी और बुमराह ने इंग्लैंड में अच्छी गेंदबाजी की। वहीं इशांत शर्मा ने इंग्लैंड में जिस तरह की गेंदबाजी की, वैसा कभी उनके करियर में देखने को नहीं मिला। मैंने भी काफी समय तक उनके साथ क्रिकेट खेला है। उनकी लेंथ में सुधार हुआ है, और लगातार उस लेंथ पर गेंदबाजी करने से उनके विकेट लेने की संभावना बढ़ जाती है। मुझे लगता है कि यह सही चयन हुआ है। उमेश, कुलदीप और जडेजा को तैयार होना पड़ेगा क्योंकि कभी भी किसी भी गेंदबाज को चोट लग सकती है। मुझे लगता है कि चार अच्छे गेंदबाजों का चयन हुआ है।
क्या ऑस्ट्रेलिया में ज्यादा स्विंग नहीं मिलती इसलिए भुवनेश्वर को बाहर बैठना पड़ा ?
मेरे मानना है कि जहां अच्छी स्विंग नहीं मिलती वहां भी भुवनेश्वर अच्छी गेंदबाजी करते हैं। वह इतने अनुभवी हो चुके हैं कि वह उन परिस्थितियों में भी विकेट निकाल सकते हैं। मेरा मानना है कि उनके पास कला और अनुभव है जिसके दम पर वह किसी भी परिस्थिति में जाकर विकेट निकाल सकते हैं। आगे उन्हें मौका मिलेगा।