Move to Jagran APP

क्रिकेट पिच पर सफलता की पटकथा लिख रहीं तीन सगी बहनें, छह घंटे करती हैं अभ्यास

दुर्गा, लक्ष्मी और महारानी अपने गांव और प्रदेश का नाम देश-दुनिया में रोशन कर रही हैं।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 08:30 PM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 08:30 PM (IST)
क्रिकेट पिच पर सफलता की पटकथा लिख रहीं तीन सगी बहनें, छह घंटे करती हैं अभ्यास
क्रिकेट पिच पर सफलता की पटकथा लिख रहीं तीन सगी बहनें, छह घंटे करती हैं अभ्यास

राजीव शुक्ला, धनबाद। बलियापुर का घड़बड़ गांव। धनबाद, झारखंड के सिंदरी-बलियापुर मार्ग से दामोदर नदी की तरफ जानेवाली सड़क पर बसा यह अंतिम गांव है। यहां आदिवासी किसान लुखू मुर्मू का घर है। बेहद गरीब लुखू को आज सभी जानते, पहचानते और सम्मान देते हैं। वह भी बेटियों की बदौलत, जो क्रिकेट की पिच पर लगातार सफलता की पटकथा लिख रही हैं।

loksabha election banner

जी हां, उनकी पुत्रियां दुर्गा, लक्ष्मी और महारानी अपने गांव और प्रदेश का नाम देश-दुनिया में रोशन कर रही हैं। क्रिकेट क्वीन बनने की राह पर बढ़ रही बेटियों में बड़ी बेटी दुर्गा मुर्मू झारखंड सीनियर स्टेट क्रिकेट टीम में है। अंडर-23 में उसके शानदार प्रदर्शन पर झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन ने उसे इस वर्ष 29 जुलाई को सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर के खिताब से सम्मानित किया। मंझली बेटी लक्ष्मी अंडर-16 स्टेट क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करती है। सबसे छोटी बेटी महारानी जिले की क्रिकेट टीम का हिस्सा है। लुखू को भरोसा है कि एक न एक दिन उनकी बेटियां देश की टीम का हिस्सा बनेंगी। इस परिवार की लड़कियों में क्रिकेट का अजब जुनून है।

लुखू के पास गांव में खपरैल मकान और जमीन का छोटा सा टुकड़ा है। धान की इतनी उपज नहीं होती कि आठ सदस्यों का यह परिवार सालभर दो वक्त का भोजन कर सके। इसलिए लुखू मजदूरी भी करते हैं। पर उनकी सबसे बड़ी पूंजी तो बेटियां हैं, जो सम्मान की दौलत दे रही हैं। वह कहते हैं कि बेटियां तो लक्ष्मी हैं। बादल बनकर गगन में उड़ रही हैं।

क्रिकेट के साथ तालीम पर ध्यान :

दुर्गा कहती हैं कि हमने पढ़ाई को नजरअंदाज नहीं किया है। वह इंटरमीडिएट में पढ़ती है। लक्ष्मी हाईस्कूल और महारानी सातवीं की छात्रा है। दो भाई संजय हाईस्कूल व अजय नौवीं का छात्र है। मां सोहागी देवी और दादी बहामुनि को भी बेटियों पर गर्व है।

देश के लिए खेलना मकसद :

इन बहनों ने बताया कि देश के लिए खेलना ही उनका मकसद है। गरीबी के कारण रोटी-गुड़ और भात ही नसीब है। पर मेहनत कर लक्ष्य जरूर पाएंगे। महिला क्रिकेट के बड़े नाम शांता रंगास्वामी और भारत की कप्तान मिताली राज इनकी प्रेरणास्त्रोत हैं।

छह घंटे अभ्यास, फिर खेत में काम :

तीनों बहनें से बलियापुर तक सात किलोमीटर की यात्रा कर स्व. पीएल ग्रोवर कोचिंग कैंप जाती हैं। छह घंटे अभ्यास करती हैं। कोच श्रीराम दुबे और सीनियर स्टेट खिलाड़ी रोमा महतो के मार्गदर्शन में ये हर दिन अपने खेल को निखार रही हैं। पिता को भी खेती में सहयोग करती हैं। बकौल कोच श्रीराम दुबे, इन तीनों बहनों से बहुत उम्मीद है। इनका प्रदर्शन हर दिन निखर रहा है। विश्वास है कि ये देश की टीम का हिस्सा बनेंगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.