भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरों पर इन विवादों ने बटोरी थी खूब सूर्खियां
यह कोई नई बात नहीं है कि भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज के दौरान कोई विवाद सामने आया।
उमेश राजपूत, नई दिल्ली। भारत ने विराट कोहली की कप्तानी में एडिलेड टेस्ट जीतकर इस बार ऑस्ट्रेलियाई दौरे की शानदार शुरुआत की। हालांकि, भारत की इस जीत के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने भारत की जीत को विवादास्पद बना दिया। रविचंद्रन अश्विन की गेंद पर केएल राहुल ने स्लिप में जोश हेजलवुड का कैच लिया, जिसके साथ ही भारत ने टेस्ट 31 रन से जीत लिया। ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में यह कहा जा रहा है कि राहुल ने कैच सफाई से नहीं लिया और गेंद जमीन को छू गई थी। यह कोई नई बात नहीं है कि भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज के दौरान कोई विवाद सामने आया। भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमों के बीच जब भी कोई टेस्ट सीरीज हई तो अक्सर कोई ना कोई विवाद भी सामने आया। हालांकि, कुछ विवाद तो हल्के-फुल्के रहे, लेकिन कुछ विवादों ने क्रिकेट जगत को हिला कर रख दिया। भारत के अब तक हुए ऑस्ट्रेलिया दौरों पर टेस्ट सीरीज के दौरान हुए ऐसे कुछ विवादों पर नजर डालते हैं, जिन्होंने क्रिकेट जगत में काफी सुर्खियां बटोरीं।
गावस्कर का मैदान छोड़कर जाना: भारतीय टीम सुनील गावस्कर की कप्तानी में 1980-81 में तीन टेस्ट की सीरीज खेलने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी। सीरीज का तीसरा और आखिरी टेस्ट मेलबर्न में था। भारत सीरीज में 0-1 से पिछड़ा हुआ था। इस टेस्ट में भी ऑस्ट्रेलियाई टीम पहली पारी में 182 रन की बढ़त लेने में सफल रही थी। ऐसे में गावस्कर और चेतन चौहान की सलामी जोड़ी ने भारत को दूसरी पारी में शानदार शुरुआत दिलाई। दोनों बल्लेबाज जब पहले विकेट के लिए 165 रन जोड़ चुके थे तो डेनिस लिली की एक गेंद पर अंपायर रेक्स व्हाइटहेड ने गावस्कर को एलबीडबल्यू आउट घोषित कर दिया। इस फैसले से नाराज होकर गावस्कर ने दूसरे छोर पर मौजूद चौहान को पवेलियन वापस लौट चलने को कहा। चौहान ने भी अपने कप्तान की बात मानी और पवेलियन लौट गए। ऐसे में हालात बिगड़ते देखकर भारतीय टीम प्रबंधन हरकत में आया और चौहान को फिर से बल्लेबाजी के लिए मैदान पर भेजा गया। गावस्कर का चौहान को लेकर पवेलियन लौटना आज भी क्रिकेट जगत के सबसे बड़े विवादों में शामिल है। हालांकि, गावस्कर ने कई साल बाद सफाई दी कि उनकी नाराजगी अंपायर के फैसले से नहीं थी, बल्कि लिली ने उन पर निजी टिप्पणियां की थीं, जिस वजह से वह नाराज होकर चौहान को साथ लेकर पवेलियन लौट गए थे। भारत के लिए राहत की बात यह रही कि इस विवाद के बावजूद भारत यह टेस्ट मैच जीतने में सफल रहा, जिससे सीरीज 1-1 से बराबरी पर खत्म हुई।
मंकी गेट विवाद : भारतीय टीम ने चार टेस्ट की सीरीज के लिए 2008 में अनिल कुंबले की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था। इस सीरीज के सिडनी में खेले गए दूसरे टेस्ट में ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर एंड्रयू सायमंड्स और भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह के बीच मामूली बहस हुई, जिसने बाद में विकराल रूप धारण कर लिया। सायमंड्स का आरोप था कि हरभजन ने उन्हें मंकी (बंदर) कहा था और यह नस्लभेदी टिप्पणी है। बाद में यह मामला सिडनी कोर्ट तक पहुंच गया। आरोपों की जांच के लिए एक अनुशासनात्मक पैनल का गठन किया गया। इस दौरान ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने हरभजन और भारतीय टीम के बारे में काफी कुछ भला बुरा लिखा। इस बीच बीसीसीआइ ने इस दौरे को बीच में ही खत्म करने की धमकी दे डाली। इस आरोप के बाद हरभजन पर तीन टेस्ट मैचों का प्रतिबंध लगा और 50 प्रतिशत मैच फीस का जुर्माना भी लगाया गया। सचिन तेंदुलकर के हरभजन के पक्ष में दिए गए बयान के बाद उन पर लगे प्रतिबंध को एक टेस्ट में बदल दिया गया। इस विवाद के बावजूद बाद में हरभजन और सायमंड्स आइपीएल में एक साथ मुंबई इंडियंस की टीम का हिस्सा रहे। हालांकि, मंकी गेट विवाद के एक दशक बाद सायमंड्स ने माना था कि यह विवाद उनके करियर को खत्म करने वाला साबित हुआ, क्योंकि इस विवाद के बाद उनके करियर में गिरावट आई और वह दबाव महसूस करने लगे थे। सायमंड्स का यह बयान आने के बाद हरभजन ने कहा था कि उन्हें इस विवाद का अच्छा खासा फायदा मिला था।
भारत के खिलाफ गलत फैसले : जिस सिडनी टेस्ट में मंकी गेट विवाद सामने आया असल में वह टेस्ट इससे पहले ही एक अन्य वजह से विवादों में घिर गया था। वह वजह थी अंपायरों के लगातार गलत फैसले, जो कि भारतीय टीम के खिलाफ दिए गए। इस टेस्ट की पहली पारी में एंड्रयू सायमंड्स ने 162 रन की पारी खेली, लेकिन इसमें अंपायरों के गलत फैसलों की अहम भूमिका रही। अंपायर स्टीव बकनर ने सायमंड्स को उस समय आउट नहीं दिया जब वह 30 रन पर थे जबकि टीवी रिप्ले में साफ दिख रहा था कि गेंद बल्ले के किनारे को छूकर गई है। जब सायमंड्स 148 रन पर थे तब वह स्टंप आउट हो गए थे, लेकिन बकनर ने इस बार भी तीसरे अंपायर की मदद नहीं ली और सायमंड्स का एक और जीवनदान मिल गया। सायमंड्स की इस पारी से ऑस्ट्रेलिया मुकाबले में लौटा। इस पारी के बाद सायमंड्स ने कहा था, मैं बहुत भाग्यशाली था। मैं जब 30 रन पर था तब मैं आउट था, लेकिन मुझे नॉटआउट दिया गया। पांचवें दिन बकनर ने राहुल द्रविड़ को विकेट के पीछे कैच आउट दिया, जबकि टीवी रिप्ले में साफ दिख रहा था कि गेंद बल्ले को छुए बिना पैड से लगते हुए विकेटकीपर के हाथों में गई थी। अंपायर मार्क बेंसन ने भी गलत फैसला दिया। भारत की दूसरी पारी के दौरान बेंसन ने स्क्वॉयर लेग पर मौजूद अंपायर बकनर की सलाह लेने के बजाय विरोधी कप्तान रिकी पोंटिंग के कहने पर 51 रन बनाकर खेल रहे सौरव गांगुली को आउट दे दिया। टीवी रिप्ले में साफ नजर आया कि ब्रेट ली की जिस गेंद पर गांगुली का कैच माइकल क्लार्क ने लपका है वह क्लार्क के हाथों में जाने से पहले ही जमीन पर गिर चुकी थी। बीसीसीआइ ने अंपायरों के गलत फैसलों पर आइसीसी से आधिकारिक शिकायत की, जिसके बाद तीसरे टेस्ट से बकनर को अंपायरिंग से हटा दिया गया और उनकी जगह यह जिम्मेदारी बिली बॉडेन को सौंपी गई। हालांकि, इस टेस्ट के बाद भारतीय कप्तान अनिल कुंबले काफी नाराज दिखे। उन्होंने मैच के बाद प्रेस वार्ता में बॉडी लाइन सीरीज का जिक्र करते हुए यहां तक कह दिया कि मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि इस टेस्ट में मैदान पर सिर्फ एक टीम खेल भावना के साथ खेल रही थी।
तेंदुलकर का विवादास्पद एलबीडब्ल्यू : भारतीय टीम ने सचिन तेंदुलकर की कप्तानी में 1999-00 में तीन टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था। इस सीरीज को सचिन तेंदुलकर बनाम ग्लेन मैक्ग्रा के तौर पर देखा जा रहा था। मैक्ग्रा कई बार यह दावा कर चुके थे कि वह सचिन को आउट करेंगे। सीरीज के एडिलेड में खेले गए पहले ही टेस्ट में सचिन को मैक्ग्रा ने अपना शिकार भी बनाया, लेकिन यह काफी विवादास्पद रहा, क्योंकि गेंद सचिन के पैर में नहीं, बल्कि कंधे में लगी थी और सचिन को एलबीडब्ल्यू आउट दिया गया था। असल में मैक्ग्रा की एक गेंद को बाउंसर समझकर सचिन ने खेलने की कोशिश नहीं की और वह नीचे झुक गए। गेंद बाउंसर होने की बजाय नीचे रह गई और सचिन के कंधे से जा टकराई। इस पर मैक्ग्रा ने अपील की और अंपायर डेरल हार्पर ने सचिन को एलबीडब्ल्यू आउट दे दिया। अंपायर हार्पर का यह फैसला काफी विवादों में रहा।
कोहली ने दिखाई अंगुली : भारत ने महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी में 2011-12 में ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया। इस सीरीज में भारत को चारों टेस्ट में शिकस्त का सामना करना पड़ा, लेकिन भारत के प्रदर्शन से ज्यादा यह दौरान विराट कोहली की एक हरकत की वजह से चर्चाओं में आ गया। सिडनी में खेले गए सीरीज के दूसरे टेस्ट के दौरान मीडिया में कोहली की एक तस्वीर सामने आई, जिसमें वह पवेलियन में मौजूद दर्शकों को मिडिल फिंगर (बीच की उंगली) दिखा रहे थे। कोहली की इस हरकत पर उन पर 50 फीसदी मैच फीस का जुर्माना भी लगाया गया, लेकिन उनकी यह हरकत भारत के लिए बड़ी शर्मिदगी की वजह बन गई। हालांकि, कोहली ने अपनी हरकत को सही साबित करने की कोशिश करते हुए ट्विटर पर लिखा, मैं मानता हूं कि क्रिकेटरों को प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए, लेकिन जब दर्शक आपकी मां और बहन के बारे में बेहद ही भद्दी टिप्पणी करने लगें तो फिर क्या करें।