न्यूजीलैंड में कांपती है टीम इंडिया!
हरी पिच, तेज गेंदबाज और न्यूजीलैंड की धरती। इसे देखते ही भारतीय टीम पसीने-पसीने हो जाती है। न्यूजीलैंड के दौरे पर भारतीय टीम का अभी तक का इतिहास इस काबिल नहीं रहा है कि वर्तमान दौरे पर उसकी जीत की आशा जताई जाए लेकिन भारतीय टीम को इस मिथक को तोड़ना होगा।
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। हरी पिच, तेज गेंदबाज और न्यूजीलैंड की धरती। इसे देखते ही भारतीय टीम पसीने-पसीने हो जाती है। न्यूजीलैंड के दौरे पर भारतीय टीम का अभी तक का इतिहास इस काबिल नहीं रहा है कि वर्तमान दौरे पर उसकी जीत की आशा जताई जाए लेकिन भारतीय टीम को इस मिथक को तोड़ना होगा। धौनी की सेना को 19 जनवरी से न्यूजीलैंड के खिलाफ उसी की धरती पर पांच मैचों की वनडे सीरीज खेलनी है। टीम में युवा खिलाड़ियों की भरमार है और धौनी की कप्तानी में पिछली सीरीज में मिली जीत के आधार पर ही वर्तमान टीम की जीत की उम्मीद लगाई जा सकती है।
पिछले महीने टीम इंडिया को दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट और वनडे दोनों सीरीज में हार का सामना करना पड़ा। इसको देखते हुए उसे न्यूजीलैंड में सतर्क रहना होगा। भारत ने न्यूजीलैंड में अभी तक नौ वनडे सीरीज खेली हैं जिसमें वह सिर्फ एक बार विजेता ट्रॉफी को अपने पास रख पाई है। 2008-09 में धौनी की ही कप्तानी में गई भारतीय टीम ने पांच मैचों की सीरीज के पहले मुकाबले को डकवर्थ लुईस आधार पर जीतकर विजयी शुरुआत की थी। वर्षा से बाधित इस सीरीज को टीम इंडिया ने 3-1 से जीता था। एक मैच रद हो गया था और दो मैचों के फैसले डकवर्थ लुईस के आधार पर भारत ने जीते थे।
इसके अलावा टीम इंडिया कोई भी सीरीज अपने नाम नहीं कर पाई। उसे 1993-94 और 1998-99 में हुई वनडे सीरीज को 2-2 से ड्रॉ कराने में सफलता प्राप्त हुई। 2002-03 में तो टीम इंडिया को सात मैचों की सीरीज में 7-2 से हार का सामना करना पड़ा। ड्रॉप इन पिचों के उपयोग वाली यह सीरीज भारतीय टीम के लिए भयावह रही। आधे से ज्यादा मैचों में भारतीय टीम बमुश्किल 100 रनों का आंकड़ा पार कर पाई। ऑकलैंड में हुए पहले ही मैच में सौरव गांगुली की कप्तानी वाली टीम 108 रन पर ऑलआउट हो गई। जैकब ओरम, शेन बांड और डेरेल टफी जैसे तेज गेंदबाजों से सजी कीवी टीम के सामने भारतीय बल्लेबाजों को समझ ही नहीं आ रहा था कि गेंद पड़ कहां रही है और जा कहां रही है। इस सीरीज में सिर्फ वीरेंद्र सहवाग के बल्ले में दम दिखाई दिया। नेपियर में हुए दूसरे मैच में उन्होंने 108 रन बनाए लेकिन टीम को हार का सामना करना पड़ा। क्राइस्टचर्च में हुए तीसरे मैच में टीम इंडिया फिर से कुल 108 रन पर आउट हो गई। क्वींसटाउन में हुए चौथे मैच में भारतीय टीम बमुश्किल 122 रन पर पहुंच पाई। लगातार चार मैच बुरी तरह हारने के बाद टीम ने पांचवां और छठा मैच जीता। छठे मैच में भी सहवाग के 112 रनों के अलावा गांगुली (23) और राहुल द्रविड़ (21) ही दहाई तक पहुंच पाए। सचिन तेंदुलकर एक रन बनाकर आउट हुए। हैमिल्टन में हुए सातवें मैच में टीम इंडिया 122 रनों का ही स्कोर बना सकी। इस बार टीम इंडिया में न ही सहवाग हैं और न ही द्रविड़ और सचिन।
इसके अलावा 1975-76 और 1980-81 में न्यूजीलैंड में टीम इंडिया सीरीज का एक भी मैच नहीं जीत पाई। 1989-90, 1991-92 और 1994-95 में खेली गई तीन त्रिकोणीय सीरीज में भारतीय टीम सिर्फ एक मैच जीत पाई। टीम इंडिया का न्यूजीलैंड ही नहीं विदेशी धरती पर ही रिकॉर्ड काफी खराब है। भारत ने विदेशी धरती पर 282 वनडे खेले हैं जिसमें से उसे 151 में पराजय का सामना करना पड़ा है। न्यूजीलैंड में उसने कुल उसकी हालत कुछ ज्यादा ही पतली रही है। यहां पर उसने 35 वनडे खेले जिसमें से 12 में जीत मिली है।
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