सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट से कहा स्पॉट फिक्सिंग मामले में जुलाई के अंत तक सुनाए फैसला
श्रीसंत पर 2013 आईपीएल में राजस्थान की तरफ से खेलते हुए एक मैच के दौरान स्पॉट फिक्सिंग करने के आरोप लगे थे।
नई दिल्ली, जेएनएन। आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट को जुलाई के अंत तक फैसला सुनाने को कहा। साल 2013 में एस श्रीसंत और अन्य खिलाड़ी स्पॉट फिक्सिंग के चलते बैन झेल रहे हैं जिस पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट को जुलाई के अंत तक फैसला देने के लिये कहा।
स्पॉट फिक्सिंग के चलते श्रीसंत पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने आजीवन प्रतिबंध लगाया था जिसे केरल हाईकोर्ट ने भी इस प्रतिबंध को बरकरार रखा। श्रीसंत ने केरल हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट चुनौती दी थी। आपको बता दें कि श्रीसंत पर 2013 आईपीएल में राजस्थान की तरफ से खेलते हुए एक मैच के दौरान स्पॉट फिक्सिंग करने के आरोप लगे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा केरल हाईकोर्ट के फैसले का करना होगा इंतजार
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि खिलाड़ियों के आजीवन प्रतिबंध की व्याकुलता को समझा जा सकता है, लेकिन आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ दिल्ली पुलिस की ओर से दायर याचिका पर हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार करना होगा।
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आपको बता दें कि ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में एस श्रीसंत समेत अन्य खिलाड़ियों को स्पॉट फिक्सिंग के आरोपों से बरी कर दिया था। श्रीसंत ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से इंग्लिश काउंटी क्रिकेट खेलने की मांग की है। श्रीसंत का कहना है कि उन्हें स्पॉट फिक्सिंग मामले में बरी कर दिया गया है इसके बावजूद वो चार सालों से आजीवन प्रतिबंध झेल रहे हैं। गौरतलब हो कि दिल्ली पुलिस ने साल 2013 में आइपीएल के दौरान श्रीसंत, अजीत चंडीला और अंकित चव्हाण को गिरफ्तार किया था।
गिरफ्तारी के बाद खिलाड़ियों पर लगा था आजीवन प्रतिबंध
बीसीसीआइ ने साल 2013 आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग में गिरफ्तार किये गये खिलाड़ियों पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था। इस फैसले को चुनौती देते हुए श्रीसंत ने केरल हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसपर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने 7 अगस्त 2013 को श्रीसंत पर लगे आजीवन बैन को हटा दिया था। स्पॉट फिक्सिंग मामले में श्रीसंत समेत सभी 36 आरोपियों को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जुलाई 2015 में बरी कर दिया था। लेकिन इस फैसले के बाद भी बीसीसीआइ ने इन खिलाड़ियों पर आजीवन प्रतिबंध नहीं हटाया।