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सचिन तेंदुलकर 2007 में ही क्रिकेट को कहना चाहते थे अलविदा फिर इस दिग्गज के फोन ने बदल दिया फैसला!

सचिन तेंदुलकर साल 2007 में क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला कर चुके थे।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Mon, 03 Jun 2019 10:04 AM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 10:04 AM (IST)
सचिन तेंदुलकर 2007 में ही क्रिकेट को कहना चाहते थे अलविदा फिर इस दिग्गज के फोन ने बदल दिया फैसला!
सचिन तेंदुलकर 2007 में ही क्रिकेट को कहना चाहते थे अलविदा फिर इस दिग्गज के फोन ने बदल दिया फैसला!

लंदन, जेएनएन। क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर ने रविवार को अपने संन्यास को लेकर एक बड़ा खुलासा किया। सचिन ने बताया कि वह साल 2007 में ही क्रिकेट को अलविदा कहने का फैसला कर चुके थे लेकिन वेस्ट इंडीज के दिग्गज क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स के एक फोन ने उनका ये फैसला बदलने में मदद की। 

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सचिन के संन्यास को लेकर कई बार यह बात सामने आई थी कि उनके बड़े भाई अजीत की सलाह के बाद तेंदुलकर ने 2007 में क्रिकेट से संन्यास नहीं लिया। इससे पहले कभी सचिन ने अपने संन्यास और इसमें दिग्गज क्रिकेटर रिचर्ड्स की भूमिका पर बात नहीं की थी। तेंदुलकर ने बताया कि जिस खेल ने उन्हें उनकी जिंदगी के बहुत अच्छे दिन दिखाए वह उन्हें खराब दिन भी दिखा रहा था। साल 2007 वर्ल्ड कप उनके करियर का सबसे खराब दौर था। 

तेंदुलकर ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा, 'मुझे लगता है कि उस समय भारतीय क्रिकेट से जुड़ी जो चीजें हो रही थीं उनमें सब कुछ सही नहीं था। हमें कुछ बदलाव की जरूरत थी और मुझे लगता था कि अगर वे बदलाव नहीं हुए तो मैं क्रिकेट छोड़ देता। मैं क्रिकेट को अलविदा कहने को लेकर 90 प्रतिशत सुनिश्चित था।' 

उन्होंने कहा, 'लेकिन मेरे भाई ने मुझे कहा कि 2011 में वर्ल्ड कप फाइनल मुंबई में होगा क्या तुम उस खूबसूरत ट्रॉफी को अपने हाथ में थामने की कल्पना कर सकते हो। इसके बाद मैं अपने फार्म हाउस में चला गया और वहीं मेरे पास सर विव का फोन आया, उन्होंने कहा कि उन्हें पता है कि मेरे अंदर काफी क्रिकेट बचा है। हमारी बात लगभग 45 मिनट तक चली और जब आपका हीरो आपको फोन करता है तो यह काफी मायने रखता है। यह वह लम्हा था जिसने मेरे लिए कई चीजें बदल दीं और इसके बाद से मेरा प्रदर्शन काफी बेहतर हो गया।' 

इस कार्यक्रम में सचिन के साथ सर विव रिचर्ड्स भी मौजूद थे। उन्होंने तेंदुलकर की तरफ देखते हुए कहा कि उन्हें हमेशा से उनकी क्षमता पर भरोसा था। रिचर्ड्स ने कहा, 'मुझे सुनील गावस्कर के खिलाफ खेलने का मौका मिला जो मुझे हमेशा से लगता था कि भारतीय बल्लेबाजी के गॉडफादर हैं। इसके बाद सचिन आए, इसके बाद अब विराट हैं। लेकिन मैं जिस चीज से सबसे हैरान था वह यह थी कि इतना छोटा खिलाड़ी इतना ताकतवर कैसे हो सकता है।' 

तेंदुलकर ने 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार के बारे में बताते हुए कहा कि यह हार हमेशा उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी निराशा में से एक रहेगी। उन्होंने कहा, 'हां, दुख है...क्योंकि उस टूर्नामेंट में हम इतना अच्छा खेले और फाइनल तक पहुंचे। इससे पहले हमारी बैटिंग लाइन अप इतनी मजबूत नहीं थी। इससे पहले हम न्यूजीलैंड में खेले थे और जब हम साउथ अफ्रीका पहुंचे तो हर मैच के साथ हमारा आत्मविश्वास बढ़ता गया। उस पूरे टूर्नामेंट में हम सिर्फ ऑस्ट्रेलिया से हारे थे।' 

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