लॉकडाउन में भी जारी है देश के तमाम स्टेडियमों में रखरखाव का काम
देश भर के क्रिकेट मैदान और स्टेडियम को बंजर होने से बचाने के लिए मैदानकर्मी सुबह-शाम मेहनत में जुटे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। लॉकडाउन की वजह से फिलहाल किसी को नहीं पता है कि देश में क्रिकेट से जुड़ी गतिविधियां कब शुरू होंगी। क्रिकेटर घरों में रहने को मजबूर हैं, लेकिन क्रिकेट का आंगन कहलाए जाने वाले मैदान का रखरखाव करने वाले मैदानकर्मी भी इस समय योद्धा की भूमिका में हैं। देश भर के मैदान और स्टेडियम को बंजर होने से बचाने के लिए मैदानकर्मी सुबह-शाम मेहनत में जुटे हैं। राज्यों और जिले से जुड़े संघ भी लॉकडाउन के मुश्किल समय में मैदानकर्मियों की आर्थिक मदद कर रहे हैं।
मोहाली स्टेडियम की हो रही पूरी देखरेख
पंजाब क्रिकेट संघ के आइएस बिंद्रा क्रिकेट स्टेडियम मोहाली की देखरेख बीसीसीआइ के पूर्व क्यूरेटर दलजीत सिंह करते हैं। दलजीत ने बताया कि वह बीसीसीआइ से रिटायर होकर अब पंजाब क्रिकेट संघ के साथ जुड़े हैं, जबकि अन्य स्टॉफ नियमित है। लॉकडाउन के चलते चंडीगढ़ में रहने वाले कर्मचारी जरूर नहीं आ पा रहे हैं। फिलहाल हमारे पास सात ऐसे कर्मचारी है जो मोहाली में ही रहते हैं हमने उनके पास बनवा दिए हैं और वह नियमित आकर मैदान को पानी देते हैं, हफ्ते में एक बार घास की कटिंग करते हैं। हमारे ग्राउंड मैच के लिए पूरी तरह से तैयार है।
पटियाला में मिल रहा वेतन
पटियाला के धु्रव पांडव क्रिकेट स्टेडियम में कुल 14 मैदानकर्मी हैं। मैदान कर्मियों का प्रति महीना वेतन 8000 रुपए दिया जाता है। ग्राउंड मैनेजर तरविंदर सिंह ने बताया कि लॉकडाउन दौरान किसी भी कर्मचारी का वेतन नहीं काटा जा रहा है। फिलहाल लॉकडाउन के दौरान मैदान कर्मियों को मैदान नहीं बुलाया जा रहा है। मैदानकर्मी भगवान सिंह अनुसार वह लॉकडाउन के बाद से मैदान में नहीं गए और फिलहाल उन्हें वेतन काटने संबंधी कोई बात नहीं कही गई।
लॉकडाउन के बाद स्वागत को तैयार मेरठ का भामाशाह पार्क
लॉकडाउन के बाद भी मेरठ के भामाशाह पार्क की देखभाल पहले की तरह ही चल रही है। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के क्यूरेटर व ग्राउंड इंचार्ज रवींद्र चौहान की अगुआई में चार मैदानकर्मी मैदान की देखभाल कर रहे हैं। हर तीन से चार दिन पर मैदान के घास काट दिए जाते हैं और हर दिन 10 से 15 मिनट पानी शाम के समय डाला जाता है। जिससे मैदान की नमी भी बरकरार रहे और घास को पानी भी मिलता रहे।
चौहान के अनुसार मैदान की देखरेख के लिए कुल 15 लोगों का स्टाफ हैं, जिनमें से वर्तमान में चार ड्यूटी कर रहे हैं। वह मैदान पर ही बने क्वार्टर में रहते हैं। महिला कर्मचारियों को आने से मना कर दिया गया है। इस मैदान पर रणजी ट्रॉफी सहित अन्य बोर्ड ट्रॉफी के मुकाबले होते हैं। मैदान की देखभाल में लगे कर्मचारियों को शारीरिक दूरी के नियमों का पालन भी करने को कहा गया है। यह मैदान मेरठ कॉलेज का है, इसीलिए मैदानकर्मियों को वेतन मिल रहा है। इसके अलावा भी जरूरत पड़ने पर मास्क, सैनिटाइ़जर व दवाइयां मैदानकर्मियों को मुहैया कराई जा रही है।
पिच क्यूरेटर और मैदानकर्मियों को मिल रहा वेतन
पटना के मोइनुल हक स्टेडियम और ऊर्जा स्टेडियम में काम करने वाले पिच क्यूरेटर समेत 15 मैदानकर्मियों को कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन में भी समय पर वेतन मल रहा है। मोइनुल हक स्टेडियम में बीसीसीआइ की ओर से पिच क्यूरेटर का कोर्स कर चुके देवी शंकर को बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) से प्रति माह 30 हजार रुपये और मैदानकर्मी मंटू और अन्य आठ को 15 से 20 हजार रुपये के बीच नियमित रूप से भुगतान हो रहा है।
देवी और मंटू ने बताया कि हमलोगों को कोई परेशानी नहीं हो रही है। बीसीए अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के अनुसार, लॉकडाउन आगे भी जारी रहने पर हम अपने मैदानकर्मियों को कोई परेशानी नहीं होने देंगे। ऊर्जा स्टेडियम का पांच साल का अनुबंध कलसी बिल्डकॉन प्रालि. के साथ है, जो पिच क्यूरेटर सुब्रत माली को 18300 रुपये और अन्य चार मैदानकमी को 9450 रुपये प्रति माह तनख्वाह दे रहा है।
सौरव गांगुली ने बढ़ाया मदद का हाथ
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष सौरव गांगुली ईडन गार्डेस के मैदानकर्मियों की काफी मदद कर रहे हैं। उन्होंने मैदानकर्मियों को खाद्य सामग्रियां प्रदान की है और नियमित रूप से उनकी खोज-खबर ले रहे हैं। बंगाल क्रिकेट संघ ने भी प्रत्येक मैदानकर्मियों की 10-10 हजार रुपये की आर्थिक मदद की है। इसके अलावा उनके लिए चावल, दाल, आटा, सब्जी की भी व्यवस्था की है।
कैब के कमेटी सदस्यों ने भी मदद का हाथ बढ़ाया है। बंगाल के पूर्व क्रिकेटर और खेल राज्य मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला और अग्निशमन मंत्री सुजीत बोस ने भी सहायता की है। क्यूरेटर सुजन मुखर्जी भी अपनी तरफ से मदद कर रहे हैं।